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Lata Mangeshkar Tribute: जिंदगी का हर मौसम देखा, अब विदा लेने का वक़्त है...

28 सितंबर 1929 में अंग्रेजों के शासनकाल में जन्मीं लता मंगेशकर भारत के दोनों पहलुओं की गवाह बनीं. सूफी-कव्वाली-गजल-ठुमरी-चैती और ना जाने कितने संगीत के तरानों को सुनकर बड़ी हुईं लता ने 21वीं सदी का मॉडर्न रॉक-पॉप म्यूज‍िक सुना. संगीत के कितने रूप आए मगर इनमें लता मंगेशकर जैसी आवाज ना पहले कभी थी और ना शायद कभी होगी.

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लता मंगेशकर
लता मंगेशकर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लता मंगेशकर का 92 की उम्र में निधन
  • कोरोना से संक्रमित थीं लता
  • एक युग का अंत...

Lata Mangeshkar passes away: एक युग का अंत हो गया....एक सुहाना सफर अब खत्म हो गया...चाशनी सा मीठा सुर..टूटे दिल की दवा वो राग...उस राग‍िनी ने हमेशा के लिए अपनी आंखों पर सुकून की चादर ओढ़ ली है. लता मंगेशकर ने दुन‍िया को अलव‍िदा कह दिया है. एक पल को शायद ये लफ्ज खामोश हो जाए, सुनकर यकीन ना हो, पर यही जिंदगी की हकीकत है. 

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जैसे पेंट‍िंग में प‍िकासो वैसे संगीत में लता मंगेशकर का नाम आता है. उन्हें स्वर कोक‍िला कहा जाता है. उनके ब‍िना संगीत की खूबसूरती का एहसास समझने में सद‍ियां बीत जाती. आज हम उस स्वराग‍िनी लता मंगेशकर को अपनी श्रद्धांजल‍ि देते हैं. 

आजाद भारत से पहले हुआ जन्म 

28 सितंबर 1929 में अंग्रेजों के शासनकाल में जन्मीं लता मंगेशकर भारत के दोनों पहलुओं की गवाह बनीं. सूफी-कव्वाली-गजल-ठुमरी-चैती और ना जाने कितने संगीत के तरानों को सुनकर बड़ी हुईं लता ने 21वीं सदी का मॉडर्न रॉक-पॉप म्यूज‍िक सुना. संगीत के कितने रूप आए मगर इनमें लता मंगेशकर जैसी आवाज ना पहले कभी थी और ना शायद कभी होगी. लता के गानों का दौर एवरग्रीन है जिसे आनी वाली कई पीढ़ियां याद रखेंगी. 

लता के संगीत श‍िक्षा में उनकी नानी का बहुत बड़ा हाथ था

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लता मंगेशकर का जन्म पंड‍ित दीनानाथ मंगेशकर और शेवंती के घर इंदौर में हुआ था. वे अपने घर की सबसे बड़ी औलाद थीं. उनकी मां शेवंती, दीनानाथ मंगेशकर की दूसरी पत्नी थीं. लता के दादा गणेश भट्ट नवथे हार्द‍िकर गोवा में मंगुवेशी मंद‍िर के पुजारी थे. उनकी दादी येसुबाई राणे, गोवा में गोमंतक मराठा समाज से थीं. लता के नाना सेठ हर‍िदास रामदास एक गुजराती कारोबारी थे. लता के संगीत श‍िक्षा में उनकी नानी का बहुत बड़ा हाथ था. उन्होंने अपनी नानी से गुजराती लोक गीत सीखे थे. 

लता मंगेशकर के प‍िता दीनानाथ ने मंगेशकर सरनेम अपने पूर्वजों के गांव मंगेशी को अपनी पहचान के तौर पर नाम के साथ जोड़ा था. लता का नाम भी जन्म के समय हेमा था जिसे बाद में बदलकर लता रख दिया गया. लता के जन्म के बाद उनकी बहनें मीना, आशा, ऊषा और भाई हृदयनाथ का जन्म हुआ. लता की तरह ही उनकी भाई-बहन ने भी संगीत के क्षेत्र में खूब नाम कमाया है. 

5 साल की उम्र में पिता से मिली संगीत की श‍िक्षा 

लता को पांच साल की उम्र में अपनी पहली संगीत श‍िक्षा अपने पिता से मिली थी. जब लता 13 साल की थीं तब हृदयरोग से उनके पिता का देहांत हो गया. पिता के गुजर जाने के बाद मास्टर विनायक, नवयुग च‍ित्रपट मूवी कंपनी के माल‍िक और मंगेशकर पर‍िवार के करीबी ने लता के पर‍िवार का बहुत साथ दिया. मास्टर विनायक ने ही लता को बतौर सिंगर और एक्ट्रेस उनका कर‍ियर बनाने में मदद की थी. 

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1948 लता की जिंदगी का टर्न‍िंग प्वॉइंट     

लता ने 1942 में मराठी फिल्म किती हसाल के लिए अपना पहला गाना 'नाचू या गाडे, खेलू सारी मण‍ि हौस भारी' गाया था. लेक‍िन गाने को फिल्म से हटा दिया गया था. उन्होंने 1943 में मराठी फिल्म गजाभाऊ के लिए अपना पहला हिंदी गाना 'माता एक सपूत की दुन‍िया बदल दे तू' गाया था. 1945 में लता मुंबई आ गईं और यहां उन्होंने उस्ताद अमन अली खान से हिंदुस्तानी क्लास‍िकल गाने सीखे. उन्होंने 1946 में फिल्म आप की सेवा के लिए गाना 'पा लागूं कर जोरी' गाया था पर तब उनकी प्रतिभा पर किसी का ध्यान नहीं गया. फिर 1948 में लता को अपना पहला बड़ा ब्रेक मिला फिल्म मजबूर से. इस फिल्म में उन्होंने 'दिल मेरा तोड़ा, मुझे कहीं का ना छोड़ा' गाया. 1940-1950 के दशक में लता ने कई म्यूज‍िक डायरेक्टर्स के साथ काम किया. 

लता के गानों ने अब तक अपने सुरों की तान छेड़ दी थी. उनके गानों से प्रभाव‍ित होकर म्यूज‍िक कंपोजर एसडी बर्मन ने लता को अपनी कई फिल्मों का लीड फीमेल सिंगर चुना. उन्हें 1958 में अपने गाने आजा रे परदेसी के लिए बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला. 

शुरू हुआ लता का दौर जो कभी खत्म ना हुआ 

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अभी लता के दौर की बस शुरुआत ही हुई थी. 60 के दशक के बाद लता ने कई हिट गाने गाए. प्यार किया तो डरना क्या, अजीब दास्तान है ये, अल्लाह तेरो नाम, कहीं दीप जले कहीं दीया, ऐ मेरे वतन के लोगों, आज फ‍िर जीने की तमन्ना है, गाता रहे मेरा दिल, पिया तोसे नैना लागे रे, होठों पे ऐसी बात, कितनी अकेली कितनी तन्हा, आप की नजरों ने समझा, मेरा साया, तस्वीर तेरी दिल में, चलते चलते, इन्हीं लोगों ने, खिलते हैं गुल यहां, बीती ना ब‍िताई, रूठे रूठे पिया समेत कई गाने हैं जिन्हें एक पन्ने में पिरोना मुमक‍िन नहीं है. 

पद्म भूषण अवॉर्ड से लेकर ग‍िनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज लता का नाम 

लता मंगेशकर ने कई अवॉर्ड्स अपने नाम किए थे. 1969 में पद्म भूषण, 1989 में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड, 1999 में पद्म विभूषण, 2001 में भारत रत्न, 2008 में भारत की आजादी के 60वीं सालग‍िरह पर 'One Time Award for Lifetime Achievement' का सम्मान मिला था. 1972 में पर‍िचय फिल्म में अपने गाने के लिए बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर का नेशनल अवॉर्ड, 1974 में फिल्म कोरा कागज के लिए और फिर 1990 में फिल्म लेक‍िन के लिए बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर का अवॉर्ड मिला. लता को मिलने वाले सम्मान की सूची यहीं खत्म नहीं होती है. उन्हें महाराष्ट्र स्टेट फ‍िल्म अवॉर्ड्स, फिल्मफेयर अवॉर्ड, बंगाल फिल्म जर्नल‍िस्ट एसोस‍िएशन अवॉर्ड डॉक्टर ऑफ लेटर्स भी मिले थे. 1974 में लता मंगेशकर का नाम ग‍िनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ था. उनके नाम 30 हजार से भी अध‍िक गानों का रिकॉर्ड था. 1996 में राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना अवॉर्ड, 1997 में राजीव गांधी अवॉर्ड प्राप्त किया. 

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कोरोना से संक्रमित थीं लता  

92 साल तक अपनी आवाज का जादू ब‍िखरने वाली लता मंगेशकर ने आज दुन‍िया से विदा ले ली है. वे कोरोना वायरस से संक्रमित हो गई थीं. उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लता ने अपने गानों के जर‍िए हमेशा खुश‍ियां बांटी, तो कभी किसी का गम कम किया. आज उनके जाने पर दुन‍िया गमजदा है. 

तू जहां जहां चलेगा मेरा साया साथ होगा...लता अपने गानों के जर‍िए लोगों के दिलों में हमेशा बसी रहेंगी. उन्हें हमारी श्रद्धांजल‍ि. 

एक शरीर छोड़ गया हमें,
एक शख्स ने आंखें मूंद ली,
पर जाते जाते उस पाक रूह ने, 
अपनी विरासत पीछे छोड़ दी...  

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