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'राम तेरी गंगा मैली' के बाद मेकर्स जबरदस्ती फिल्मों में नहाने के सीन्स ठूंसकर आते थे- मंदाकिनी

मंदाकिनी ने 25 साल बाद म्यूजिकल सॉन्ग मां से कमबैक कर लिया है. मंदाकिनी 'राम तेरी गंगा मैली हो गई' से लाइमलाइट में आई थीं. मंदाकिनी का कहना है कि इस मूवी में नहाने का सीन करने की वजह से उन्हें कई दूसरे फिल्ममेकर्स ने इसी तरह के रोल ऑफर किए थे. उन्होंने नेपोटिज्म पर भी बात की.

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मंदाकिनी
मंदाकिनी

राज कपूर की फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली हो गई' से एक्टिंग डेब्यू करने वालीं मंदाकिनी ने कुछ साल फिल्में करने के बाद विवादों की वजह से इंडस्ट्री से दूरी बना ली थी. मंदाकिनी ने इस दौरान हाउसवाइफ बन अपने परिवार को संभाला. अब मंदाकिनी ने लगभग 25 साल बाद कमबैक किया है. मंदाकिनी ने  एक म्यूजिकल सॉन्ग मां से वापसी की है. इस खास मुलाकात में उन्होंने हमसे अपने कमबैक, फिल्मों के तरीकेकार और चीजों पर दिल खोलकर बातचीत की है.

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पहली फिल्म सुपरहिट फिर कुछ फिल्मों के बाद अचानक से इंडस्ट्री से दूरी, मिस नहीं करती थीं?
- सच कहूं, तो कभी मिस किया ही नहीं. उसका कारण यही है कि वो वक्त बहुत अजीब सा हो गया था, उस दौर में एक्ट्रेस को बस दो तीन रोमांटिक सीन्स और एक दो गाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. मैं वो करके थक गई थी. फिर अच्छे रोल्स ही मिलने बंद हो गए. वहीं दूसरी ओर फैमिली स्टार्ट हो गई. ऐसा लगा कि बच्चों को ज्यादा ध्यान की जरूरत है. मैंने अपना पूरा वक्त बच्चों को दे दिया. इसका भी एक अलग मजा था, तो उतनी ज्यादा याद नहीं आई. हां, अब बच्चे बड़े हो गए हैं, तो लोगों ने कहा कि अब दोबारा स्टार्ट करना चाहिए. ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं, जहां एक्स्प्लोर किया जा सकता है. मैं अब पूरी तरह से वापसी के लिए तैयार हो चुकी हूं.

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 जब वापसी की अनाउंसमेंट की थी, तो कैसा रिस्पॉन्स था? इंडस्ट्री आपको लेकर वेलकमिंग है?
-ऐसा तो फील हो रहा है कि लोग वेलकमिंग है. अच्छा लगता है, जब लोग रिस्पेक्ट देते हैं और प्यार से बात करते हैं. आगे देखते हैं क्या होता है.

शो मैन राज कपूर संग काम करना हर आर्टिस्ट का सपना था. आपकी पहली फिल्म में लॉटरी लगी थी?
-वो तो जादू होना था, जो हो गया. मेरी किस्मत अच्छी थी कि फिल्म मिल गई. कितने लोगों की कोशिश भी रही कि मैं इस फिल्म से निकाल दी जाऊं. क्योंकि कई एक्ट्रेसेज लाइन में थीं. लेकिन राज कपूर के सामने किसी की चलती नहीं. उन्होंने जो निर्णय ले लिया हो, वो ही होता था. कोई कुछ भी कहे, उन्होंने मुझे अपनी फिल्म में मौका दिया और मेरे लिए यह जिंदगीभर का उद्धार रहा.

पहली फिल्म के बाद से ही बोल्ड इमेज को लेकर चर्चा में रहीं थीं. अब जब फिल्मों में बोल्डनेस देखती हैं, तो क्या सवाल होते हैं?
- मैंने जब अपनी पहली फिल्म में बोल्ड सीन किया था, तो कितना बवाल कटा था. आज देखो, उससे कहीं ज्यादा बोल्ड चीजें हैं. मेरे वक्त तो लोगों ने हंगामा मचा दिया था, अब वही लोग उसे आर्ट करार देते हैं. लोग कहते थे कि राजकपूर तो जानबूझकर ये सब करते हैं. ये वही लोग थे, जो उनसे जलते थे और उनके अगेंस्ट थे. उनसे राजकपूर की कामयाबी देखी नहीं जा रही थी. वो कहते थे कि राजकपूर को अपनी हीरोइनों को ऐसा दिखाने का शौक है, वो जबरदस्ती महिलाओं को ऐसे रिप्रेजेंट करते थे. मैंने जो बोल्ड सीन्स किए थे, उसे वाकई में एक्स्प्लेन नहीं किया जा सकता है. आप जाकर फिल्म वापस से देखें तो पाएंगे कि ब्रेस्ट फीडिंग का जो सीन है, वहां मैं बच्चे को लेकर बैठी हूं और सिर्फ मेरा क्लीवेज दिख रहा है. जितना उस वक्त मेरा क्लीवेज दिखा था, आज तो यहां लोग उससे ज्यादा नॉर्मल ड्रेसेज में दिखाते हैं. लेकिन मेरे उस सीन को लेकर क्या-क्या नहीं कहा गया. लोग बोलते थे कि ब्रेस्ट फीडिंग करवाया होगा. दरअसल जो ब्रेस्ड फीडिंग का प्रोसिजर था, वो हो नहीं रहा था लेकिन उसे प्रोजेक्ट ऐसा किया गया था. मैं अब भी वो सीन प्रैक्टिकली करके दिखाऊं, तो शायद लोगों को बात समझ आए. खैर, उस वक्त जो बदनामी होनी थी, वो हो ही गई. लोगों ने मेरे लिए जैसी धारणा बनानी थी, बना ली.

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उसके बाद क्या हुआ..
-उसके बाद तो इंडस्ट्री में टैग सा लग गया. हर मेकर आकर मुझसे नहाने का सीन करवाकर इनकैश करना चाहता था. वो जबरदस्ती फिल्मों में नहाने का सीन डालने की कोशिश करते थे. मैं मना कर देती थी, लेकिन अगर किसी में किया भी तो उसे प्रॉपर तरीके से करती थी. देखिए मेरी वो पहली फिल्म थी, वाइट साड़ी थी, राजकपूर एक ऐसे मेकर हैं, जिनके साथ काम करना सपना होता है. वो जो कहेंगे, पूरी दुनिया उसे फॉलो करेगी, तो मैं नई लड़की ऐसे मौके को कैसे जाने देती. मुझे उस दौरान कोई असहजता नहीं हुई लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं था कि हर मेकर्स के प्रति मेरा वही कॉन्फिडेंस जगे. इसलिए जब ऑफर लेकर आते, तो मैं यही कहती थी कि आप मुझे प्रॉपर कपड़े दे दो, मैं पानी के नीचे बैठकर नहाने वाला सीन कर लूंगी. हालांकि वाइट साड़ी वाला सीन पहली फिल्म के बाद मैंने कभी वो रिपीट ही नहीं किया.

आपके पहले को-एक्टर राजीव कपूर नहीं रहे. कैसी बॉन्डिंग थी?
-राजीव के जाने का बहुत अफसोस है. उसकी कमी जिंदगीभर खलेगी. मैं बहुत ज्यादा टच में नहीं थी लेकिन एक दूसरे की खबर रहती थी. एक खालीपन सा महसूस होता है. हमारे बीच एक अच्छी बॉन्डिंग थी. एक ऐसी दोस्ती, जो कह सकते हैं, दो लड़कों के बीच होती है. हम एक दूसरे को दिल की बात बताते थे, काफी कुछ शेयर करते थे.

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आप आउटसाइडर रही हैं. तो क्या उस दौरान नेपोटिज्म जैसी चीजें हुआ करती थीं?
-नहीं, उस वक्त तो ऐसा कुछ भी नहीं था. उस वक्त हर आर्टिस्ट के अनुसार उन्हें कास्ट किया जाता था. डायरेक्टर के जहन में चीजें पहले से ही फीक्स होती थीं. उसी के अनुसार वो काम करते थे. उस वक्त यह नहीं था कि हमारे घर में कोई आ रहा है या हमारे खानदान का है, तो उसे ले लो. वो तो कास्ट को गांवों, कस्बों में जाकर ढूंढा करते थे. उस वक्त सारा कमान डायरेक्टर के हाथों होता था, गुरूदत्त, राजकपूर, सुभाष घई जैसे लोग स्टार्स बनाया करते थे. वो लोग स्टार के पीछे नहीं भागते थे बल्कि खुद ही स्टार्स हुआ करते थे, एक्टर्स उनके इर्द-गिर्द घूमा करते थे. अब तो रोल रिवर्स हो गया है. स्टार्स ही सबकुछ चलाते हैं. हालांकि मैं नेपोटिज्म के खिलाफ कभी रही नहीं. मुझे लगता है इसमें कुछ गलत है भी नहीं. अगर कोई स्टार का बेटा एक्टर बनना चाहेगा, तो क्या स्टार को उनकी मदद नहीं करनी चाहिए. वो बचपन से अपने माता-पिता को एक्टिंग करता देख रहा है, उसका सर्किल वही है, तो जाहिर सी बात है काम भी उसे ही आसानी से मिलेगा न. मेरा ही उदाहरण लें, अगर मुझे अपने बेटे के लिए किसी डायरेक्टर व प्रोड्यूसर को कॉल करना पड़े, तो मैं करूंगी.

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लगभग 25 साल बाद कैमरा फेस कर रही हैं. नर्वस थीं आप?
-फीलिंग बहुत ही नॉर्मल सी थी. मुझे ऐसा महसूस ही नहीं हुआ कि मैं पच्चीस साल बाद वापसी कर रही हूं. ऐसा लग रहा था कि मानो कल ही की बात हो, शूटिंग खत्म पूरी की और वापस से आ गई. हो सकता है कि शूटिंग का माहौल घर जैसा था. सच में कोई डिफरेंस का एहसास हुआ ही नहीं, मैं इस सॉन्ग के डायरेक्टर साजन को 30 साल से जानती हूं. उन्होंने तो कोई अंतर महसूस नहीं होने दिया. हां, हो सकता है कि अब दूसरी जगह काम करूं और चीजों के बीच फर्क महसूस हो. अभी तो स्टार्ट ही किया है, आने वाला वक्त ही बताएगा. देखा जाए, तो बदलाव आए हैं, वो अच्छे के लिए ही हुए हैं.

तो अब कोई अंतर महसूस होता है?
-मैंने बदलाव यही महसूस किया है कि मेरे वक्त के जो लोग थे, वो अब इंडस्ट्री में हैं ही नहीं. मेरे वक्त में डायरेक्टर व प्रोड्यूसर अपने 50वें में थे, कुछ तो रहे नहीं और कईयों ने इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया. पूरा यू-टर्न सा हो गया है. उस वक्त जब असिस्टेंट थे आज प्रोड्यूसर व डायरेक्टर बन गए हैं. कितनों को मैं जानती भी हूं और अब उन्हें बड़े पोजिशन पर देख रही हूं. मुझे याद है जब मैं फिल्म डांस-डांस कर रही थी, तो उस वक्त सलमान खान शशि नायर जी के असिस्टेंट थे. वो सेट पर मेरे पास शशि लाल नायर का मैसेज देने आए थे. उन्हें शशि जी ने भेजा था, मुझे कोई स्टोरी सुनाने के लिए. मैंने सलमान को उस वक्त से देखा है और आज देखें सुपरस्टार बन चुके हैं.

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आपने किस तरह के किरदार के लिए खुद को तैयार रखा है?
-फिलहाल तो मैं चाहती हूं कि सेंट्रिक कैरेक्टर करूं. मुझे मां, वाइफ, बहन सभी तरह के रोल्स करने हैं लेकिन शर्त यही हो कि किरदार की धुरी मैं बनूं. ऐसा नहीं कि फिल इन ब्लैंक की तरह मैं फिट कर दी जाऊं.

आपके साथ बेटा भी एक्टिंग में कदम रखने जा रहे हैं. आप इंडस्ट्री के तरीकेकार से वाकिफ हैं. कितनी प्रोटेक्टिव हैं?
-मां का नेचर ही होता है कि वो अपने बच्चे को प्रोटेक्ट करे. चूंकि मुझे एक्स्पीरियंस है और जानती हूं, तो जाहिर सी बात है मैं तब तक उसे गाइड करती रहूंगी, जबतक वो सेटल न हो जाए. मैं उसे गलत निर्णय लेने से रोकने की कोशिश करूंगी, सही क्या है समझाऊंगी, ये तो हर मां का फर्ज और अधिकार है. जितना मैं कर सकती हूं, मैं करूंगी. मैं लकी हूं कि आज भी मेरे बच्चे निर्णय लेने से पहले हमसे सलाह-मशविरा करते हैं. जब बेटे ने इच्छा जताई कि उसे भी एक्टिंग करनी है, तो मैं बिलकुल भी हैरान नहीं हुई. मैं चाहती हूं कि मेरे बच्चे हर वो चीज ट्राई करें, जो वो करना चाहते हैं.


 

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