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मनोज पाहवा को अधिकतर लोग 'धमाल' 'वांटेड' और 'सिंह इज किंग' जैसी फिल्मों में मजेदार कॉमेडी करने के लिए याद रखते थे. मगर पिछले कुछ सालों में 'मुल्क' 'आर्टिकल 15' जैसी फिल्मों और 'अ सूटेबल बॉय' में अपनी दमदार सीरियस एक्टिंग से उन्होंने ऑडियंस को सरप्राइज और क्रिटिक्स को इम्प्रेस किया. थिएटर कर के एक्टिंग में पके मनोज पाहवा भले सपोर्टिंग रोल्स में ज्यादा दिखते हों, लेकिन उनकी कहानी जानने वालों को पता है कि वो एक हीरो हैं.
बहुत सारी फिल्मों में आपने मनोज को एक खास तरह के किरदारों में देखा होगा. बढ़े हुए वजन के कारण भी उन्हें कई ऐसे किरदारों में दिखे हैं, जो कहानी में फिजिकल कॉमेडी के लिए रखे गए. जैसे 'वांटेड' में उनका किरदार ही देख लीजिए. लेकिन मनोज पाहवा के इस बढे हुए वजन के पीछे एक बहुत वजनदार कहानी है. उनके कमबैक की कहानी.
वो कहानी, जिसमें 8 नवंबर 1963 को पैदा हुए मनोज को 20s की उम्र में इंडियन टीवी के पहले 'सोप ऑपेरा' यानी सीरियल में काम किया. लेकिन जैसे ही पहचान बनने लगी, उनके पिता का निधन हो गया और मुंबई से वापस दिल्ली लौटना पड़ा. लेकिन मनोज एक्टिंग मनोज के खून में कहीं दौड़ती रही और कई साल बाद वो फिर मुंबई लौटे, मगर इस बार उन्होंने खूंटा गाढ़ दिया.
रामलीला से शुरू की एक्टिंग, लड़कियों की तारीफ से लगा चस्का
मनोज पाहवा दिल्ली के एक ठीकठाक परिवार से थे. दिल्ली के दरियागंज में उनके पिता का बैटरीज का बिजनेस था. एक इंटरव्यू में मनोज बताते हैं कि पैसे-वैसे की कोई दिक्कत नहीं थी. वो पढ़ने में भी बहुत तेज नहीं थे और मौज मस्ती ही ज्यादा किया करते थे, तो उनके पिता उन्हें बड़ा ही इसी तैयारी के साथ कर रहे थे कि उन्हें आगे अपना ही बिजनेस संभालना है. चौथी-पांचवी क्लास से ही वो स्कूल के बाद अपने पिता के गैराज जा कर काम समझा करते थे.
मनोज और उनके दोस्तों ने लक्ष्मी नगर में अपनी कॉलोनी में रामलीला करनी शुरू की और इसमें उन्हें लक्ष्मण का किरदार मिला. ये एक्टिंग से उनका पहला परिचय था. मनोज ने बताया कि एक शाम दोस्तों के साथ दूध लेने जाते हुए उन्होंने छत से कुछ लड़कियों को आवाज लगाते सुना- 'वो देखो लक्ष्मण जा रहा है.' यहीं से मनोज को एक्टिंग का चस्का लगा.
किसी का पीछा करते हुए पहुंचे मंडी हाउस
मनोज बताते हैं कि रामलीला में एक व्यक्ति आया करते थे जो सारे लड़कों को तैयारी वगैरह करवाते थे और वो मंडी हाउस में किसी थिएटर से जुड़े हुए थे. जब मनोज ने एक्टिंग में दिलचस्पी लेते हुए उनसे कहा 'मुझे भी थिएटर करना है' तो उन्होंने मना कर दिया कि 'पहले रामलीला तो कर लो सही से!' लेकिन मनोज नहीं आने और एक दिन उनका पीछा करते हुए मंडी हाउस पहुंच गए.
वहां 6-7 लोग बैठे एक प्ले की रिहर्सल कर रहे थे. और जब मनोज के जानने वाले ने उन्हें वहां देखकर हैरानी जतानी शुरू की तो प्ले के डायरेक्टर शेखर वैष्णवी ने उन्हें देखा. डायरेक्टर ने मनोज से बस एक सवाल पूछा- 'टाइम पर आया करोगे?' बस अगले ही दिन से मनोज स्कूल से गैराज जा कर सीधा घर लौटने की बजाय मंडी हाउस पहुंचने लगे. मनोज ने इंटरव्यू में बताया, मंडी हाउस में उनकी इमेज ये थी कि 'ये कोई अमीर घर का लड़का है जो यहां लड़कियां ताड़ने आता है.' लेकिन एक नाटक में जब उन्होंने लीड रोल किया तो उनका काम देखकर लोगों की सोच बदल गई. अपनी पत्नी सीमा पाहवा से मनोज मंडी हाउस में ही मिले थे और वो उनसे सीनियर एक्टर थीं.
दूरदर्शन के शो 'हम लोग' में मिला काम
दूरदर्शन पर देश का पहला टीवी सीरियल 'हम लोग' शुरू हो रहा था और इसकी कास्टिंग चल रही थी. इस सीरियल में बड़की' का किरदार सीमा के हिस्से आया था और उन्होंने ही 'टोनी' के रोल के लिए मनोज का नाम सुझाया था क्योंकि मेकर्स को एक स्टाइलिश और हैंडसम लड़का चाहिए था. इस शो ने मनोज को दिल्ली से मुंबई पहुंचा दिया. मनोज बताते हैं कि इस शो में काम करने के बाद जब वो दिल्ली वापिस लौटे तो लोग उन्हें पहचानने लगे थे और उनके पिता इस बात से खुश थे कि उनका लड़का 'अशो कुमार के साथ टीवी पर आता है.'
टीवी सीरियल से लोग मनोज को पहचानने लगे और उन्हें काम मिलने लगा. यहां तक उनका सफर किसी सपने जैसा बेहतरीन चल रहा था. लेकिन फिर आया एक बड़ा ट्विस्ट.
पिता को खोने के बाद छूटा एक्टिंग का साथ
मनोज बताते हैं कि वो ऑलमोस्ट मुंबई शिफ्ट हो चुके थे और तभी दिल्ली से खबर आई कि उनके पिता बीमार हैं. 15 दिन बाद उनका निधन हो गया. मनोज बताते हैं कि पिता के जाने से घर का पूरा बैलेंस बिगड़ा और जिम्मेदारियों का वजन उनपर ऐसा आया कि वो रो भी नहीं पाए. मनोज ने बताया, 'दो बहनें, एक भाई, बिजनेस और मैं सबसे बड़ा लड़का था. एक बहन 10th में थी, एक 11th में थी. इमोशनल होने का टाइम ही नहीं मिला यार, जिम्मेदारी आ गई. मुझे याद है मैं अपने पिता की डेथ पर रोया ही नहीं. क्योंकि मैं हॉस्पिटल में भी कैलकुलेट कर रहा था कि अगर कुछ हो गया तो क्या करना है. सलूशन क्या होगा. फिर खबर आई कि वो नहीं रहे. तुरंत मैं ये कैलकुलेट करने लगा कि एक्टिंग करता हूं तो ये सब खराब हो जाएगा, जो पीछे परिवार और बहनें वगैरह हैं. और ये करता हूं तो पूरे 6 साल में मैं ये जो एक्टिंग करियर ग्राउंड से बना के यहाँ तक लाया हूँ, वो चला जाएगा. तो मैंने तय कर लिया कि ये लाइफ है और अब यही करना है.'
जिम्मेदारियों के बाद भी नहीं छूटा एक्टिंग का चस्का
मनोज ने बताया कि उनके रिश्तेदार कह रहे थे कि पिता की 13वीं तक तो दुकान बंद रखी जाए. लेकिन उनके पास बैटरीज के कुछ ऑर्डर थे जो जल्दी पूरे करने थे. तो उन्होंने तय किया कि जब यही काम करना है तो इंतजार किस बात का. उन्होंने कहा, 'उनका चौथा हुआ, मैंने वहां हाथ जोड़े और काम शुरू.'
22-23 साल के मनोज पूरी तरह घर, परिवार और बिजनेस संभालने लगे. और उनके कई साल इसी में चले गए. उम्र के वो सबसे प्रोडक्टिव साल जब वो डटे रहते तो न जाने कितने नए एक्टिंग ऑफर बटोर सकते थे. इस दौर और दुकान बंद करने के बाद शाम को दोस्तों के साथ पार्टी करने से ही मनोज का वजन खूब बढ़ा.
एक्टर की मुंबई वापसी
मनोज आगे बताते हैं, 'कहीं न कहीं ये हमेशा लगता था कि मुझे वापिस आना ही है. कैसे होगा, क्या होगा, पता नहीं. 92 में मां को बोला कि अब मुझे थिएटर करना है और फिर से मंडी हाउस.' तब तक मनोज के छोटे भाई ने काम संभालना शुरू कर दिया था. वो बताते हैं कि इस फैसले के लिए उनके चाचा-ताऊ ने उन्हें 'पागल' भी कहा. लेकिन अब मनोज रुकने वाले नहीं थे और दो साल बाद 1994 में सीमा और अपने दोनों बच्चों के साथ मुंबई आ गए.
तब तक टीवी बहुत फैल चुका था, प्राइवेट चैनल आने लगे थे. शोज अब साप्ताहिक नहीं, रोजाना आने लगे थे. लेकिन मनोज को लगा कि अगर दिहाड़ी के हिसाब से ही काम करना हो तो अपना बिजनेस क्या बुरा था. मगर आगे रास्ता बनाने के लिए ये तो करना ही था. लेकिन मनोज की पुरानी पहचान, और अब इंडस्ट्री में काम पा रहे अपने थिएटर्स के साथियों से मदद मिली और फिल्मों में रोल मिलने शुरू हो गए. वो लगातार फिल्मों में काम करने लगे लेकिन अधिकतर फिल्मों में उन्हें एक ही तरह का काम मिलता और वो बोर भी होने लगे.
नसीरुद्दीन शाह और अनुभव सिन्हा आए काम
एक पार्टी में मनोज की मुलाकात लेजेंड एक्टर नसीरुद्दीन शाह से हुई. शाह ने हाल पूछा तो शराब के नशे में मनोज बोल बैठे 'सर खुशी नहीं है, मजेदार काम नहीं हो रहा. यारी रोड पर फ्लैट ले लिए चार, गाड़ियां आ गईं. लेकिन रोल वही एक जैसे.'
अगली सुबह नसीरुद्दीन शाह ने मनोज के घर एक नाटक की स्क्रिप्ट भिजवा दी. मनोज बताते हैं कि 15 साल बाद थिएटर करने का सोच कर ही उन्हें डर लग रहा था, मगर इतने बड़े आदमी को कमिटमेंट कर के पलटना गलत हो जाता. इसलिए उन्होने तैयारी कर के फिर से नाटक शुरू कर दिए. और फिर अनुभव सिन्हा ने उनकी 'मुल्क' करने के लिए बुलाया, जिसमें उन्हें अपने रेगुलर किरदारों से अलग एक गंभीर और ठोस किरदार करना था. मनोज कहते हैं कि पहले 'मुल्क' और फिर 'आर्टिकल 15' से अनुभव ने उनके करियर को एक नई दिशा दी.
2022 में मनोज पाहवा, अनुभव की 'अनेक' और नेटफ्लिक्स की फिल्म 'मिली' में नजर आ चुके हैं. इन दोनों ही फिल्मों में उनके काम को लोगों ने काफी पसंद किया.