
संजय लीला भंसाली की सीरीज 'हीरामंडी' के चर्चे कम होने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. नेटफ्लिक्स पर रिलीज के बाद इस सीरीज को मिक्स रिव्यू मिले थे. भंसाली ने अपने शो में लाहौर के फेमस रेड लाइट एरिया हीरामंडी को दिखाया है. इसमें 1940 के जमाने की तवायफों की कहानी को दर्शकों के सामने डायरेक्टर ने रखा. ये कहानी असल जिंदगी की तवायफों से प्रेरित तो नहीं है, लेकिन क्या आपको पता है कि एक वक्त पर असल जिंदगी की तवायफ नरगिस बेगम उर्फ निग्गो हीरामंडी से निकलकर पाकिस्तानी सिनेमा का जाना माना नाम बन गई थीं?
कौन थीं नरगिस बेगम उर्फ निग्गो?
नरगिस बेगम उर्फ निग्गो, हीरामंडी की तवायफ हुआ करती थीं. उन्होंने पाकिस्तानी सिनेमा में बतौर एक्ट्रेस अपने करियर की शुरुआत की थी. वो अपने समय में इंडस्ट्री की सबसे फेमस और सबसे ज्यादा कमाई करने वाली आइटम गर्ल रहीं. लेकिन उनकी जिंदगी और करियर का अंत काफी ट्रैजिक तरीके से हुआ था.
निग्गो का जन्म हीरामंडी की तवायफ के घर हुआ था. उनकी मां महफिलों में मुजरा कर अपना घर चलाया करती थीं. बड़ी होकर निग्गो ने भी अपनी मां के नक्शेकदमों पर चलते हुए मुजरा करना शुरू किया. दिलचस्प बात ये है कि पाकिस्तान की फिल्म इंडस्ट्री भी लाहौर में ही थी. उन दिनों में कई महिलाओं को कैमरा के सामने डांस करने में शर्म आती थी, ऐसे में फिल्म मेकर्स अक्सर अपनी पिक्चरों में तवायफों को लिया करते थे. इसी तरह निग्गो एक्ट्रेस बनी थीं.
फिल्मों में यूं मिला काम
निग्गो के डांस ने फिल्ममेकर्स को इम्प्रेस किया और उन्होंने फिल्मों में जाने के ऑफर को अपना लिया और इसी तरह निग्गो एक्ट्रेस बन गईं. 1964 में निग्गो ने पाकिस्तानी फिल्म 'इशरत' से अपना डेब्यू किया था. उन्हें एक के बाद एक मौके मिले और वो पॉपुलर हो गईं. निग्गो ने लगभग 100 फिल्मों में काम किया था. इनमें ज्यादातर उन्हें डांस करते ही देखा गया. इसी के साथ वो इंडस्ट्री की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली आइटम गर्ल बनकर उभरीं.
प्यार और फिर शादी
फिल्मी दुनिया में काम करते हुए निग्गो को प्रोड्यूसर ख्वाजा मजहर से प्यार हो गया था. 1971 में फिल्म 'कासू' में साथ काम करते हुए दोनों करीब आए थे. निग्गो का परिवार इस रिश्ते को लेकर राजी नहीं था. लेकिन फिर भी कपल ने शादी कर ली. उन दिनों में तवायफों का शादी करना बुरा माना जाता था. शादी के बाद निग्गो ने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया था. हीरामंडी के साथ भी उनका रिश्ता खत्म हो गया, जो उनके परिवार को पालने का एकमात्र जरिया था. निग्गो की मां ने उन्हें वापस लाने की कोशिश भी की थी.
निग्गो की मां ने बीमारी का बहाना बनाकर उन्हें हीरामंडी वापस बुला लिया था. वहां उन्होंने निग्गो को बहलाया-फुसलाया और उन्हें हीरामंडी में ही रह जाने को मना लिया. दूसरी तरफ ख्वाजा मजहर, निग्गो को वापस पाने के लिए परेशान थे. वो निग्गो को वापस बुलाते और निग्गो न कह देतीं. जब निग्गो को वापस आने के लिए वो मना नहीं पाए, तो ख्वाजा ने उन्हें गोली मार दी.
पति ने कर दी थी हत्या
जनवरी 1972 में ख्वाजा, निग्गो के कोठे पर उन्हें वापस लाने गए थे. जब उन्होंने आने से मना किया तो ख्वाजा ने निग्गो और उनके परिवार पर गोलियां बरसा दीं. ऐसे में नरगिस बेगम उर्फ निग्गो, उनके अंकल और एक म्यूजिशियन की मौत हो गई थी. उनके खून के लिए ख्वाजा मजहर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.