हीरोपंती 2 इस हफ्ते रिलीज को तैयार है. फिल्म में एक ओर जहां टाइगर श्रॉफ अपने पावर पैक्ड एक्शन के साथ हैं, तो वहीं दूसरी ओर नवाजुद्दीन सिद्दीकी एंटी हीरो के रूप में एक बेहद ही अनोखे अंदाज में नजर आने वाले हैं. नवाज इसमें ऐसे साइको किलर के किरदार में हैं, जहां उनकी बॉडी लैंग्वेज में फेमिनिन साइड दिखता है. लिपस्टिक लगाता विलेन वाकई नवाज के फैंस के लिए उनका एक फ्रेश अवतार है. अपने किरदार और जर्नी पर नवाज हमसे दिल खोलकर बातचीत करते हैं.
अपने इस अनोखे किरदार के बारे में कुछ बताएं?
-मेरी बड़ी ख्वाहिश थी कि कभी भी मैं अगर विलेन का किरदार निभाऊं, तो उसे फेमिनिन टच दूं. जो इस फिल्म में संभव हो पाया है. मैं मानता हूं कि ऐसे किरदार बड़े डेंजरस हो जाते हैं. मैं यह थिएटर के वक्त से सोचता आ रहा था. आप ही सोचे कोई आदमी बैठकर आपको घूर रहा है लेकिन अचानक से अपनी हाथों को नजाकत से मोड़ दे, तो जाहिर है आप भी थोड़े असहज हो जाएंगे. आजकल तो मेरे दिमाग में बहुत से अजीबो-गरीब आइडियाज आने लगे हैं. मैं अब्सर्ड सा काम व किरदार करना चाहता हूं. अब तो मैं ऐसी फिल्म भी लिख रहा हूं.
आप कहानी लिख रहे हैं! थोड़ा सा विस्तार से बताएं?
- जी, दरअसल मैं एक थिएटर एक्टर के ऊपर कहानी लिख रहा हूं. यह फिल्म फेस्टिवल के लिए ही तैयार होगी. यहां तो नहीं चलेगी, वो सिनेमा लवर्स के लिए फेस्टिवल में जाएगी. मैं ही इस कहानी में एक्टिंग भी खुद ही करूंगा. बता दूं, कहानी पूरी तरह से काल्पनिक होगी, हां लेकिन मेरी जिंदगी के कुछ एक्स्पीरियंस रहेंगे. मैंने अपने आसपास मिलने वाले थिएटर एक्टर्स से प्रभावित होकर यह कहानी लिखी है.
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आपकी असल जिंदगी में कभी हीरोपंती मोमंट रहा है?
-हां, हीरोपंती की कोशिश एक बार की थी और उसके लिए पिटाई भी बहुत हुई थी. जब मैं 17 साल का था, उस वक्त कॉलोनी में मैच चल रही थी. मैं हीरो बनने के चक्कर में दूसरी टीम से कहने लगा कि मेरी टीम पहली बैटिंग करेगी. दूसरी टीम में हट्टे-कट्टे लोग थे, उन्होंने तो पहले मुझे घूर कर ऊपर से नीचे तक देखा. फिर गुस्से में कहा कि क्या कह रहा है, तू? बैटिंग करेगा? मैं भी जिद्द पर था, पूरे कॉन्फिडेंस से कहने लगा, हां, मैं ही बैटिंग करूंगा. उस लड़के ने पास के बेंत के पेड़ से बांस तोड़ी और मेरी पिटाई कर दी. बहुत मार पड़ी थी, उसके बाद से मैंने जिंदगी में कभी हीरोपंती नहीं की थी.
हीरो के मुकाबले क्या आप खुद को सिक्यॉर एक्टर मानते हैं?
- हां, बिलकुल मैं खुद को सबसे ज्यादा सिक्यॉर एक्टर मानता हूं. इसका कारण यह है कि मैं जिस तरह के किरदार करना चाहता हूं, मुझे वैसे ही रोल्स ऑफर मिलते रहते हैं. आप मेरे फिल्मों का ग्राफ उठाकर देख लें, मैं अपने काम से संतुष्ट हूं.
आपने मुंबई में अपना शानदार बंगला बना लिया है. नवाज अब वाकई में नवाब बन गए हैं?
- अरे नहीं, मैं घरवाला टाइप का इंसान हूं नहीं कि जिसने प्लान किया हो कि घर बनाउंगा और उसमें रहूंगा. किसी ने जगह दिखाई, तो सोचा कि चलो ठीक है मुंबई में प्लॉट मिलना मुश्किल है, मिल रही है, तो बना लेते हैं. फीलिंग की बात करूं, तो जब मैं इस घर में शिफ्ट हुआ, तो बड़े कमरे में सो रहा था. नींद नहीं आ रही थी. मैंने फिर अपना बेड बंगले के सबसे छोटे से कमरे में शिफ्ट करवाया, जहां केवल बेड और दो कुर्सीयां है. वहां अब नींद आने लगी है, मेरी औकात शायद यही है.
आप पिछले दिनों लोकल ट्रेन में भी सफर करते नजर आए थे?
- हां, दरअसल मैं मुंबई के आउटस्कर्ट में शूट कर रहा था और शाम को टाउन में एक कॉनक्लेव अटेंड करना था. शूटिंग सेट से अगर कार से निकलता तो शायद मैं वक्त में पहुंच नहीं पाता, ट्रेन के अलावा और कोई ऑप्शन नजर ही नहीं आया. मैं निकल गया लोकल पकड़ कर. आज से दस साल पहले तक तो मैं लोकल में ही सफर किया करता था. बीच-बीच में भी कभी आता जाता रहता हूं, हालांकि खुद को छिपाना पड़ता है.
सेलिब्रिटी बनने के बाद कितना मिस करते हैं, इन सब आम चीजों को?
- जब मैं ट्रेन में सफर कर रहा था, तो यही सोच रहा था. सच कहूं तो मुझे यहां ज्यादा सांस आती है लगता है यही मेरी असल लाइफ है. बड़ी-बड़ी चीजें होती हैं, तो मैं घबरा जाता हूं. भई, हमलोग बहुत ही नॉर्मल से लोग हैं, हमें नॉर्मल चीजें ही ज्यादा सुकून देती हैं.
लग्जरी की कौन सी चीजें हैं, जिसमें आप सहज हो पाए हैं?
- लग्जरी क्या है, मैं तो इसे बहकावा ही मानता हूं. ये सब होता कुछ नहीं है. पता नहीं, मैंने बहुत चाहा कि कुछ महंगे शौक पाल लूं. लेकिन वो हो नहीं पाया है. अगर महंगे जूते भी हैं, तो मैं अपने भाई का पहन लेता हूं. हां अभी सोशल मीडिया पर एक दो महीने से थोड़ा एक्टिव हुआ हूं. अपनी लेटेस्ट तस्वीरें अपलोड की हैं. दरअसल गूगल पर मेरी बहुत ही गंदी तस्वीरें थीं. मुझे किसी ने कहा कि यार तस्वीर अच्छी खिंचवाओ, तो मैंने अपना फोटोशूट करा लिया.
लॉकडाउन के दौरान आप अपने गांव में थे ?
- हां थोड़े दिन रहा लेकिन फिर मैं पहाड़ों में चला गया था. एक टॉप के एरिए में ऐसे घर में रहा जहां केवल दो कमरे थे और आसपास कोई भी नहीं. मैं अकेले उस घर पर रहा और राशन वगैरह लेकर चला था. मैं वहां सुकून में रहता, खाना बनाता और फिल्में देखता. मेरा लॉकडाउन ऐसा ही गुजरा है.