नीतू कपूर ने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट की थी. करियर के पीक में ही वो अपने को-स्टार ऋषि कपूर से शादी कर कपूर खानदान की बहू बन गई थीं. शादी के बाद नीतू ने फिल्मों से दूरी बना ली थी. नीतू का कहना था कि शादी के बाद उनकी लाइफ पूरी तरह से ऋषि कपूर को डेडिकेटेड रही.
ऋषि कपूर की डेथ के बाद नीतू अब अपने इस खालीपन को काम कर पूरा करना चाहती हैं. पिछले दिनों ऋषि कपूर की रिलीज हुई आखिरी फिल्म शर्माजी नमकीन से खुद को रिलेट करते हुए नीतू आजतक डॉट इन से कहती हैं कि यह कहानी मेरे हाल को बयां करती हैं. मैं वाकई में अपनी दूसरी इनिंग की शुरुआत कर रही हूं और इसे लेकर मैं खासी उत्साहित भी हूं.
आपने कहा कि यह फेज आपके लिए नया है. इस नए फेज के लिए आप कैसे तैयार हुईं?
ऋषि जी के जाने के बाद जब फिल्म जुग-जुग जियो का ऑफर आया, तो मैं बहुत डरी हुई थी. मैं दिमागी रूप से तैयार नहीं थी, सोचती थी कि एक्टिंग अभी कैसे हो पाएगी. मैंने फिर इसे चैलेंज की तरह ही लिया और खुद को धकेला कि चलो इसे करते हैं. शूटिंग के पहले दिन मेरी हालत खराब थी. मैं बहुत ही ज्यादा उदास और डिप्रेस थी. आगे-आगे चीजें ठीक होती गईं. मैं व्यस्त होने लगी, खुद के अंदर आत्मविश्वास जगा. मैं तो मानती हूं कि अगर आप किसी बुरे दौर से गुजर रहे हो, तो सबसे अच्छा तरीका है खुद को व्यस्त कर लो.
ऋषि जी की फिल्म शर्माजी नमकीन भी सेकेंड इनिंग की बात करती है. आप इस फिल्म से प्रेरित हैं?
-बिलकुल सही समझा है आपने, मैं पूरी तरह से इस फिल्म से खुद को रिलेट करती हूं. यह जिंदगी का सेकेंड फेज है. सारा दिन टीवी या शोज देखकर आप कैसे रह सकते हो. भई, हमें अपने लिए कुछ करने की जरूरत है. देखिए ऋषि जी फुल टाइम जॉब हुआ करते थे, मेरी जिंदगी उन्हीं के ईर्द-गिर्द रही है. उन्हीं को लेकर बिजी रहा करती थी. उनके जाने के बाद वो खालीपन है. घर में कोई नहीं है, तो मैं क्या करूं. मैं रोज रोते हुए जिंदगी नहीं गुजार सकती न. मुझे भी जिंदगी में खुश व व्यस्त रहने का हक है. यह मेरी जिंदगी की सेकेंड इनिंग है और मैं इस दिल खोलकर जीना चाहती हूं. मैंने जब चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की थी, तो वो मुझपर दबाव था. मुझे वो घर के सपोर्ट के लिए करना पड़ा था. अपने जॉब को खासा पसंद नहीं करती थी, लेकिन अब मैं वाकई में काम करना चाहती हूं. अपने पैशन को फॉलो कर रही हूं. अकेले रहती हूं, तो खुद को व्यस्त करना जरूरी है.
अपनी आखिरी फिल्म को लेकर ऋषि कपूर कितने उत्साहित थे?
- वो तो बहुत ही उत्साहित थे. मुझे याद है, कैंसर डिटेक्ट करने के बाद जब हम जा रहे थे, तो उस वक्त उनके बाल पूरे सफेद थे. क्योंकि फिल्म के किरदार के लिए उन्होंने 7-8 घंटे बैठकर अपने बाल सफेद कर लिए थे. जब वो गए, तो वहां पूरे बाल सफेद नहीं चाहते थे, तो उन्होंने कुछ ट्रीटमेंट किया, लेकिन उनके बाल सफेद ही रह गए, क्योंकि उनकी पिगमेंट पूरी निकाल दी गई. वहीं पर उनका कैंसर डिटेक्ट हुआ था. मैंने फिर रणबीर और अपने फैमिली फ्रेंड्स को कॉल किया कि उन्हें वापस लेकर आए क्योंकि हमें न्यू-यॉर्क जाना था. जब फोटोग्राफ्स आए, तो लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि ओह यह तो इतने बीमार हैं कि इनके बाल भी सफेद हो गए हैं. लोगों ने बातें बनानी शुरू कर दी थी. न्यू-यॉर्क में जब वे ट्रीटमेंट के दौरान कैंसर फ्री हो गए, तो पहला काम वो ये करना चाहते थे कि फिल्म पूरी हो जाए. हम नहीं चाहते थे कि वो दिल्ली जाएं क्योंकि उस वक्त वो ठीक हो रहे थे. वो दिल्ली गए, फिर इन्फेक्शन हुआ, हम जल्दबाजी में उन्हें बॉम्बे लेकर गए और फिर बचा नहीं सकें. उन्होंने फिल्म 30 दिन में पूरी की थी. 10 दिन पहले और 20 दिन आने के बाद.
इस नए इनिंग में आपको किस तरह के किरदार की तलाश है?
- मैं कुछ अलग करना चाहूंगी. मैं मां और भाभी बनकर तो नहीं रहने वाली हूं. कुछ ऐसा किरदार जिससे हर महिला खुद को रिलेट कर सके और वैसी बनना चाहिए. आने वाली फिल्म में गीता के किरदार में भी कुछ ऐसा ही है. मैं ऑर्डनरी किरदार नहीं करने वाली हूं, उससे बेहतर तो मैं ट्रैवल कर लूं या जिंदगी एक्स्प्लोर करूं. मेरे लिए यह पैशन है, तो थोड़ा करूंगी लेकिन अच्छा करना है.