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सैम बहादुर: 1 दिसंबर को आ रही फिल्म, दिखेंगे ये ऐतिहासिक मोमेंट, किया नोटिस?

विक्की कौशल की फिल्म 'सैम बहादुर' 1 दिसंबर को रिलीज होगी. सैम मानेकशॉ के रोल में ढल चुके विक्की कौशल जितने शानदार लग रहे हैं, टीजर में फिल्म की डिटेल्स भी उतनी ही दमदार नजर आई. डेढ़ मिनट लंबे टीजर में भारत के इतिहास के कुछ बड़े मोमेंट भी दिखते हैं. क्या आपने ध्यान दिया?

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विक्की कौशल
विक्की कौशल

भारत के पहले फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ की बायोपिक, बॉलीवुड के उन प्रोजेक्ट्स में से है जिनका इंतजार दो साल से ही किया जा रहा है. फिल्म में लीड रोल कर रहे विक्की कौशल का फर्स्ट लुक देखने के बाद से ही फिल्म लवर्स को तसल्ली हो गई थी कि वो इस रोल में खूब जमेंगे. सैम मानकशॉ बने विक्की कौशल से नजरें हटाना मुश्किल है. फिल्म 1 दिसंबर 2023 को रिलीज होगी. पुराने इंटरव्यूस और तस्वीरों में सैम जैसे दिखते हैं, उनकी बॉडी लैंग्वेज जैसी नजर आती है, विक्की पूरी तरह उसी सांचे में ढले हुए लगते हैं. 

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'सैम बहादुर' का टीजर देखते हुए विक्की से ध्यान हटा पाना वैसे तो बहुत मुश्किल काम है. लेकिन इस टीजर में सिर्फ विक्की ही नहीं हैं. बल्कि फिल्म की कहानी से कुछ ऐसी झलकियां भी नजर आती हैं, जो गारंटी हैं कि फिल्म की टैगलाइन एकदम सच साबित होने वाली है. 'सैम बहादुर' की टैगलाइन है- 'जिंदगी उनकी इतिहास हमारा'. और सैम मानेकशॉ की कहानी कहने जा रही इस फिल्म के सिर्फ डेढ़ मिनट के टीजर में ही कुछ ऐसे मोमेंट्स हैं जो भारत के इतिहास में बड़ी जगह रखते हैं. आइए बताते हैं इनके बारे में... 

दूसरे विश्व युद्ध में सैम 
भारतीय सेना के इतिहास में अपनी शानदार उपलब्धियों के लिए याद रखे जाने वाले सैम की बहादुरी का पहला किस्सा दूसरे विश्वयुद्ध का है. तब भारत आजाद नहीं हुआ था और ये एक कॉमन प्रैक्टिस थी कि नए भारतीय ऑफिसर्स को पहले ब्रिटिश सेना की किसी रेजिमेंट में भेजा जाता था. सैम ने ब्रिटिश सेना की सबसे सीनियर रेजिमेंट 'रॉयल स्कॉट्स' में सेकंड बटालियन से आर्मी जॉइन की. बाद में उन्हें बर्मा में मौजूद 12वीं फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट में पोस्ट किया गया, जहां वो कैप्टन बनाए गए. 

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1942 में बर्मा की सिटांग नदी पर हुए युद्ध में सैम की बहादुरी का किस्सा दर्ज है. उनकी कंपनी ने घुसपैठ जापानी सेना को रोका था और पगोड़ा हिल पर कब्जा किया था. हिल पर कब्जे के बाद मानेकशॉ एक लाइट मशीन गन की फायरिंग मने बुरी तरह घायल हो गए थे. इस युद्ध में उनकी बहादुरी देख चुके मेजर जनरल डेविड कोवन को लगा कि सैम अब नहीं बचेंगे. रेड क्रॉस, ब्रिटिश सेना के ऑफिसर्स को दिया जाने वाला तीसरा सबसे बड़ा सैन्य सम्मान होता है. इस सम्मान का नियम है कि ये मृत व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता. 

'सैम बहादुर' टीजर से एक सीन (क्रेडिट: यूट्यूब)

डेविड ने अपना मिलिट्री क्रॉस सैम की वर्दी पर लगा दिया. शेर सिंह नाम के सैनिक ने सैम को युद्ध से बाहर निकाला और उन्हें एक ऑस्ट्रेलियाई सर्जन के पास ले गए. इलाज के बीच जब सैम को होश आया और डॉक्टर ने उनसे पूछा कि क्या हुआ था? तो सैम ने कहा, 'एक खच्चर ने लात मार दी'. डॉक्टर को सैम का ये ह्यूमर बहुत पसंद आया.

इस ट्रीटमेंट में सैम के लीवर, फेफड़ों और किडनी से 7 गोलियां निकली थीं. और उनकी अंतड़ियों का कुछ हिस्सा भी निकालना पड़ा था. बाद में लंदन गैजेट में एक नोटिफिकेशन जारी करके, सैम का रेड क्रॉस भी ऑफिशियल कर दिया गया था. 'सैम बहादुर' के टीजर में आपको युद्ध में घायल विक्की कौशल की झलक नजर आएगी. 

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गोरखा रेजिमेंट के सैम 'बहादुर'
1969 में सेना प्रमुख बनने के बाद सैम मानेकशॉ, 8 गोरखा राइफल्स के दौरे पर थे. वहां उन्होंने एक अर्दली से उसका नाम पूछा, अर्दली ने जवाब दिया 'हरका बहादुर गुरुंग'. सैम ने पलटकर अर्दली से पूछा कि क्या उसे उनका नाम पता है? अर्दली ने कुछ देर सोचने के बाद जवाब दिया- सैम बहादुर. यहीं से सैम मानेकशॉ का नाम सैम बहादुर हो गया. गोरखा राइफल्स के साथ सैम का पुराना इतिहास है. 

'सैम बहादुर' टीजर में दोहराया गया रियल लाइफ सीन

आजादी के साथ आए बंटवारे में, सैम की फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट वाली यूनिट जब पाकिस्तान सेना में चली गई, तब उन्हें इसी, 8 गोरखा राइफल में भेजा गया था. इस रेजिमेंट के साथ सैम का वक्त कई अलग-अलग चर्चित ऑपरेशन में बीता. 'सैम बहादुर' के टीजर में विक्की कौशल ठीक उसी पोज में नजर आते हैं, जिस पोज में सैम मानेकशॉ का एक गोरखा सैनिक के साथ फोटो है. 

सैम पर 'देशद्रोह' का आरोप और भारत-चीन युद्ध
1953 में जब डायरेक्टर, मिलिट्री ट्रेनिंग के पद पर रहते हुए सैम पर एक बड़ी जांच भी बैठी, जो उनका करियर भी खत्म कर सकती थी. इस पूरे मामले को राजनीति और सेना में तनातनी की तरह देखा जाता है. इस मामले से जुड़े कई अलग-अलग किस्से हैं, लेकिन एक नाम हर किस्से में आता है. नेहरू सरकार में दूसरे सबसे ताकतवर शख्स कहे जाने वाले, रक्षा मंत्री वी.के. कृष्ण मेनन को सैम का अंदाज खटक गया था. सैम पर 'बड़बोलेपन' और 'अंग्रेज प्रेम' का आरोप लगा. आरोप इस हद तक थे कि सैम ने अपने ऑफिस में 'वारेन हेस्टिंग्स और रॉबर्ट क्लाइव' के फोटो लगा रखे हैं. ये दोनों वो नाम हैं, जिन्हें भारत में ब्रिटिश शासन की नींव रखने का क्रेडिट दिया जाता है. 

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बताया जाता है कि सैम, सेना में राजनीतिक दखलंदाजी के सख्त खिलाफ थे. जबकि 1961 में, आर्मी हेडक्वार्टर जनरल स्टाफ प्रमुख बनकर आए मेजर जनरल ब्रिज मोहन कॉल उर्फ़ बिज्जी कौल को, मेनन से राजनीतिक सपोर्ट मिला हुआ था. और वो सैम के बाद दूसरे नंबर पर होने के बावजूद ज्यादा पावरफुल बन गए थे. सैम पर जांच शुरू हो गई और उनका करियर खतरे में आ गया योंकि आरोप सीधा 'देशद्रोह' का था. कहा जाता है कि कोर्ट ऑफ इन्क्वारी ने सैम को बरी कर दिया था लेकिन फैसले की फॉर्मल अनाउंसमेंट से पहले भारत-चीन में युद्ध छिड़ गया. 

'सैम बहादुर' टीजर से एक सीन (क्रेडिट: यूट्यूब)

सैम अक्सर कहते थे कि 'चीनियों ने मुझे बचा लिया'. इन्क्वारी में फंसे सैम इस युद्ध में हिस्सा नहीं ले पाए. भारत को हार का मुंह देखना पड़ा. कहा जाता है कि बिज्जी कौल और मेनन को जिम्मेदार ठहराते हुए उनसे इस्तीफा मांग लिया गया, और सैम को उस आर्मी रेजिमेंट की कमांड सौंपी गई जो युद्ध में थी.

कौल की जगह कमांड संभालने पहुंचे सैम ने जाते ही अनाउंस किया, 'जेंटलमैन, मैं आ गया हूं. अब कोई पीछे नहीं हटेगा.' इस डायलॉग वाला सीन भी 'सैम बहादुर' के टीजर में है. फिल्म के टीजर में मीटिंग जैसा एक सीन है, जिसमें दो किरदार प्रधानमंत्री नेहरू और कृष्ण मेनन जैसे दिख रहे हैं. 

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'सैम बहादुर' टीजर से एक सीन (क्रेडिट: यूट्यूब)

युद्ध में जाने से इनकार करने वाला जनरल 
1971 में बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) की आजादी की लड़ाई जोर पर थी. अप्रैल के महीने में भारत ने तय किया कि पूर्वी पाकिस्तान को एक नया देश बनवाने में मदद की जाएगी. अप्रैल के अंत में हुई एक कैबिनेट मीटिंग के अंत में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सैम से पूछा कि क्या वो युद्ध पर जाने के लिए तैयार हैं? सैम ने सीधा इनकार कर दिया. उन्होंने साफ़ कहा कि इस समय सेना तैयार नहीं है और युद्ध में जाना बहुत घातक होगा. सैम ने कहा कि अगर उनके बताए वक्त पर युद्ध में उतरा जाए, तो जीत पक्की होगी. 

'सैम बहादुर' टीजर से एक सीन (क्रेडिट: यूट्यूब)

इतिहास में दर्ज है कि जब पूरी कैबिनेट, मीटिंग रूम से बाहर चली गई तो सैम ने प्रधानमंत्री के सामने इस्तीफा देने की भी पेशकश की थी. लेकिन इंदिरा गांधी ने उनकी सलाह मान ली. नतीजा ये रहा कि 1971 के युद्ध में भारत की जीत, देश के इतिहास में सबसे गर्व भरे क्षणों में से एक है. 'सैम बहादुर' के टीजर में ये हिस्सा भी नजर आता है. 

देखें टीजर...

 

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