जन्माष्टमी का जिक्र हो और नितीश भारद्वाज का नाम न आए, ये संभव नहीं. आज इसी खास मौके पर नितीश भारद्वाज हमसे बातचीत कर अपने शूटिंग के दिनों की यादें शेयर करते हैं.
इस फेस्टिवल से जुड़ी आपकी कोई अनोखी यादें? जवाब में नितीश भारद्वाज कहते हैं, मुझे याद कुछ सालों पहले मैं जन्माष्टमी के मौके पर वृंदावन पहुंचा था. वहां मैंने लोकल महिलाओं और लोगों के साथ जमकर डांस किया. हम डांस में इतने मग्न थे कि पता ही नहीं चला कि कैसे तीन घंटे गुजर गए. मैं मानता हूं शायद वो एक ऐसा पल था, जब मुझे असल खुशी का अहसास हुआ था. यह तब ही संभव है, जब हम खुद को भूल जाएं और भगवान कृष्णा में खुद न्यौछावर कर दें.
मीरा बन लड़कियां करती हैं मेसेज
कहा जाता था कि उस वक्त दर्शक नितीश को भगवान कृष्ण मानने लगे थे. ऐसे में फैंस से जुड़ी क्रेजी घटना शेयर करते हुए नितीश बताते हैं, मुझे अपनी तारीफ करना बिलकुल भी नहीं पसंद है. मैं खुद को खुशनसीब मानता हूं,जिसे लोगों से इतना प्यार और विश्वास मिला है. आज के कलयुग में लोगों का विश्वास जीत पाना मुश्किल है, वहां मुझ पर लोग निस्वार्थ भाव से प्यार लुटाते हैं. आज भी फैंस को मेरे अंदर कृष्णा की झलक मिलती है. आज के दौर में जहां मटीरियलिज्म अपने उफान पर है, तब भी मुझे इंस्टाग्राम पर कई महिलाओं के मेसेजस आते हैं, जो खुद को मीरा बताती हैं और मुझे अपना कृष्णा मानती हैं. यह कमाल की बात है. मैं यह भी मानता हूं कि बड़े शहरों में दही-हांडी जैसे फेस्टिवल्स ने कमर्शल बजारों का रूप ले चुके हैं. सही मायने में इस फेस्टिवल का असली मजा तो छोटे शहरों में देखने को मिलता है.
कृष्ण की वजह से निगेटिव किरदार कभी नहीं किया
उस वक्त किसी माइथोलॉजी किरदारों से जुड़ने के बाद एक्टर्स के कंधे पर उस किरदार की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. उस किरदार की गरिमा को बनाए रखने के लिए निजी जिंदगी में नितीश को किस तरह के त्याग या समझौते करने पड़े थे? जवाब में नितीश कहते हैं, मेरी पैदाईश ही चित्रपुर सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुई है, जिसका मतलब हम वेजिटेरियन खाना ही खाते हैं और शराब-सिगरेट को हाथ तक नहीं लगाते हैं. जब कोई गंदी आदत रही नहीं, तो मुझे कुछ खास बलिदान देना नहीं पड़ा था. हां, लेकिन मैंने उसी वक्त सोच लिया था कि निगेटिव किरदार नहीं करूंगा. मैंने उन दिनों कई निगेटिव किरदारों को मना कर दिया था.
किसे मानते हैं आज की जनरेशन का कृष्ण?
राम... अरुण गोविल और कृष्ण नीतिश भारद्वाज.. आज की जनरेशन में आप किस एक्टर को कृष्ण मानते हैं? इसके जवाब में नितीश कहते हैं, मैंने कृष्णा के रूप में बेस्ट परफॉर्मेंस देने की कोशिश की थी. ये उनकी ही कृपा था कि उन्होंने मुझपर प्यार न्यौछावर किया था. उम्मीद है कि आने वाले समय में उनकी कृपा जिसपर बरसेगी, उसे भी दर्शकों का उतना प्यार मिलेगा.
एक्टिंग नहीं मिली, तो राइटिंग व डायरेक्शन पर फोकस
जब कोई एक्टर किसी किरदार को अमर कर दे, तो कई बार उससे उसे इतर देख पाना मुश्किल होता है. आपको उस फ्रंट पर कभी प्रोजेक्ट्स मिलने में दिक्कतें हुई थी? जवाब में नितीश कहते हैं, बेशक बहुत दिक्कतें रहीं. शायद यही वजह है कि मैंने एक्टिंग के अलावा अपने दूसरे टैलेंट राइटिंग और डायरेक्शन को एक्सप्लोर करने लगा हूं.
फैंस की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं करना चाहता
फैंस आपको ज्यादा से ज्यादा स्क्रीन पर देखना चाहते हैं. लेकिन आप बहुत सिलेक्टिव काम करते ही नजर आते हैं. सक्रियता पर कुछ कहना चाहेंगे? नितीश कहते हैं, हां, मैं रोल एक्सेप्ट करने के वक्त इसी बात को ध्यान में जरूर रखता हूं कि मेरी चॉइसेस की वजह से लोगों की धार्मिक भावना को ठेस न पहुंचे. इसलिए सिलेक्टिव काम करता हूं और उसी में बेस्ट देने की कोशिश भी रहती है. एक एक्टर के तौर पर यह बहुत बड़ा रिस्क होता है, मॉनिटरी लॉस झेलने पड़ते हैं. लेकिन मैं अपने फैंस के सेंटीमेंट्स के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहता.