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इस साल की सबसे एक्साइटिंग वेब सीरीज में से एक 'पाताल लोक 2' का ट्रेलर आ चुका है. 5 साल के लंबे इंतजार के बाद, जयदीप अहलावत एक बार फिर से पुलिस ऑफिसर हाथीराम चौधरी के रोल में एक सॉलिड कहानी के साथ एंटरटेन करने के लिए तैयार हैं.
'पाताल लोक 2' के ट्रेलर में जयदीप के साथ इश्वाक सिंह, गुल पनाग और तिलोत्तमा शोम जैसे दमदार कलाकारों की मौजूदगी तो एक्साइटिंग है ही. साथ ही, कहानी में भी ऑडियंस को बांध कर रखने वाला सस्पेंस भरपूर नजर आ रहा है. हालांकि इस ट्रेलर में एक और दिलचस्प चीज ये है कि शो का प्लॉट देश के नॉर्थ-ईस्ट हिस्से में आने वाले नागालैंड पर बेस्ड है.
पाताल लोक का अंधेरा बढ़ाता नागालैंड
जयदीप अहलावत के अमेजन प्राइम शो 'पाताल लोक 2' की कहानी में नागालैंड और वहां दशकों से जारी हिंसा, एक बड़ा प्लॉट-पॉइंट बनते नजर आ रहे हैं. अगर 'पाताल लोक' का सीजन 1 याद करें तो ये शो एक सोशल थ्रिलर की तरह ज्यादा काम करता है. हाथीराम चौधरी के हाथ आने वाले केस, लोगों के बिहेवियर में बदलाव लाने वाले सोशल-पॉलिटिकल माहौल की परतों में झांकते हैं और डार्क किरदारों की कैरेक्टर स्टडी पेश करते हैं.
सीजन 2 में हाथीराम के पास नागालैंड के एक लीडर की हत्या का केस आने वाला है. इस केस की गुत्थी सुलझाने के लिए उसे नागालैंड जाना होगा,जहां अलग-अलग जनजातीय समुदायों की हिंसा और सत्ता के साथ उनका कनफ्लिक्ट फोकस में होगा. हालांकि, इसी साल एक और बहुत पॉपुलर शो की कहानी में नागालैंड एक किरदार की तरह आने वाला है.
'द फैमिली मैन' भी चला नागालैंड
अमेजन प्राइम का एक और बेहद पॉपुलर शो 'द फैमिली मैन' इस साल अपना तीसरा सीजन लेकर आने वाला है. मनोज बाजपेयी स्टारर इस शो ने भी अपने पहले दो सीजन की कहानी से जनता को बहुत इम्प्रेस किया है. 'द फैमिली मैन' के पहले सीजन की कहानी में जहां मुंबई और कश्मीर मुख्य प्लॉट का हिस्सा थे. वहीं दूसरे सीजन की कहानी में ये काम चेन्नई के हिस्से था.
अब तीसरे सीजन में कहानी नागालैंड पहुंचने वाली है. और 'द फैमिली मैन' जिस तरह का शो है, ये नागालैंड के अंदर चलने वाले कनफ्लिक्ट को कहानी का हिस्सा ना बनाए, ऐसा होना लगभग नामुमकिन है. 'द फैमिली मैन 3' का काफी बड़ा हिस्सा नागालैंड में शूट हुआ है ये बात रिपोर्ट्स में सामने आती रही है और एक्टर्स ने वहां से तस्वीरें भी शेयर की हैं.
नॉर्थ-ईस्ट में शूट हुई बॉलीवुड फिल्में
ऐसा नहीं है कि पहले नागालैंड, मेघालय या अरुणाचल प्रदेश को कहानी में जगह नहीं मिली, या वहां फिल्में शूट नहीं हुईं. देव आनंद की फिल्म 'ज्वेल थीफ' (1967) तो सिक्किम में तब शूट ही थी, जब वो भारत का हिस्सा भी नहीं था. रिपोर्ट्स बताती हैं कि शबाना आजमी, नसीरुद्दीन शाह और फारुख शेख स्टारर 'एक पल' के कई हिस्से शिलोंग (मेघालय) और जोरहाट (असम) में शूट हुए थे.
90s में सलमान खान की फिल्म 'कुर्बानी' (1991) के कुछ हिस्से शिलोंग, मेघालय में शूट हुए थे. शाहरुख खान की 'कोयला' (1997) का गाना 'तनहाई तनहाई' अरुणाचल में शूट हुआ था. जहां रवीना टंडन स्टारर 'दमन' (2001) असम में शूट हुई थी, वहीं नागालैंड के कुछ हिस्सों में जॉन अब्राहम की 'साया' (2003) का शूट हुआ था. 2016 में आई 'रॉक ऑन 2' और 2017 में आई 'रंगून' भी नॉर्थ-ईस्ट में शूट हुई थीं. लेकिन बीते कुछ सालों में नॉर्थ-ईस्ट सिर्फ एक लोकेशन भर नहीं रहा, बल्कि फिल्मों की कहानी और कनफ्लिक्ट का हिस्सा भी बना है.
नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों से कहानी को मिल रही डेप्थ
देश का उत्तर-पूर्वी हिस्सा 'पाताल लोक 2' और 'द फैमिली मैन 3' से पहले भी कुछ ताजा बॉलीवुड फिल्मों में कहानी का हिस्सा बन चुका है. आयुष्मान खुराना स्टारर 'अनेक' (2022) में नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में चल रहे अलगाववादी आंदोलनों, जनजातीय गुटों की हिंसा और वहां की संस्कृति को मुख्य तौर पर कहानी का प्लॉट बनाया गया था. असम और मेघालय में शूट हुई 'अनेक' नॉर्थ-ईस्ट पर बेस्ड बड़ी बॉलीवुड फिल्मों में से एक है.
2022 में ही आई हॉरर-कॉमेडी फिल्म 'भेड़िया' की कहानी भी नॉर्थ-ईस्ट में सेट थी. अरुणाचल के कई जिलों में शूट हुई इस फिल्म में वहां के लोगों, समाज और मिथकों को कहानी में बहुत अच्छे से बुना गया था. विकास की कीमत, नॉर्थ-ईस्ट के प्राकृतिक संसाधन और पर्यावरण के नुकसान से चुकाना, वरुण धवन स्टारर इस फिल्म की सेन्ट्रल थीम थी.
कैसे बढ़ रहा क्रेज?
फिल्मों के नैरेटिव में लैंडस्केप का एक बड़ा रोल होता है. लोकेशंस फिल्म की कहानी का मूड सेट करती हैं. नॉर्थ-ईस्ट के पहाड़, वादियां, जंगल और वाटरफॉल ना सिर्फ खूबसूरत विजुअल्स बनते हैं, बल्कि सस्पेंस और रहस्यमयी फील देने में भी काम आते हैं. एक नया लैंडस्केप दर्शक को इसलिए भी बांध कर रखता है क्योंकि वो किरदारों के साथ-साथ, उसके आसपास वो सबकुछ देखते हैं जो नया लगता है. फिल्मों में नॉर्थ हो या साउथ, अधिकतर पॉपुलर लोकेशंस फिल्मों में खूब यूज हो चुकी हैं और पहाड़ों के नाम पर उत्तराखंड या कश्मीर को भी फिल्मों में काफी यूज किया जा चुका है. जबकि नॉर्थ-ईस्ट में प्राकृतिक रूप से खूबसूरत ऐसी लोकेशंस की भरमार है, जिन्हें अभी तक जनता ने फिल्मों में देखा ही नहीं है. फिल्ममेकर्स अब इन लोकेशंस को एक्सप्लोर कर रहे हैं.
दूसरा बड़ा फैक्टर ये है कि नागालैंड और अरुणाचल के साथ दूसरे कई राज्यों में भी जनजातीय समुदायों के बीच संघर्ष का दशकों पुराना इतिहास है. कई जगहों पर तो ये संघर्ष आज भी चल रहे हैं. इन राज्यों में पॉलिटिकल और सोशल कनफ्लिक्ट भी भरपूर हैं जो फिल्मों का प्लॉट बनकर कहानी को डेप्थ दे सकते हैं. बॉलीवुड की हिंदी भाषी जनता का बड़ा हिस्सा इन राज्यों की पॉलिटिक्स और सोशल कनफ्लिक्ट से आज भी बहुत अच्छे से परिचित नहीं है. ऐसे में फिल्म की कहानी को लेकर सोशल मीडिया पर होने वाली नुक्ताचीनी से भी बचा जा सकता है.
तीसरा बड़ा फायदा फिल्म शूट करने के खर्च से जुड़ा है. 2017 में असम के मुख्यमंत्री ने, राज्य में शूट होने वाली फिल्मों के लिए 45% तक सब्सिडी अनाउंस की थी. राज्य में पिछले कई सालों से फिल्म टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं. अरुणाचल प्रदेश में शूट करने के लिए कई तरह के परमिट और पास की जरूरत पड़ती है. लेकिन इन परमिशन्स के लिए पिछले कुछ सालों में सिंगल-विंडो क्लीयरेंस शुरू कर दी गई है, जिससे वहां फिल्में शूट करना आसान हुआ है.
मेघालय भी फिल्म-फ्रेंडली बनने की राह पर है और राज्य में फिल्म शूट करने के लिए कई तरह की छूट और सब्सिडी मिलती हैं. इसी तरह की सुविधाएं नागालैंड में भी मिलती हैं, जहां राज्य की अपनी फिल्म पॉलिसी पर भी काम चल रहा है जो फिल्म टूरिज्म को बढ़ावा देगी. सिक्किम ने तो नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स, 2021 में 'मोस्ट फिल्म फ्रेंडली' स्टेट का अवॉर्ड भी जीता है.
नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों की संस्कृति और लोकेशंस की खूबसूरत तस्वीरें हमेशा से लोगों का ध्यान खींचती रही हैं. अब देखना है कि बॉलीवुड देश के इस नेचुरली गिफ्टेड हिस्से की खूबसूरती को बड़े पर्दे पर कितने अच्छे से एक्सप्लोर करता है.