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Panchayat season 3: आते ही छा गया बिनोद, बोले- हमारा नाम मत बताना, 'प्रह्लादचा' निकले दबंग

जैसे साल में एक बार गर्मी की छुट्टियां आती हैं, और बच्चों के लिए खेलकूद मस्ती के दिन लेकर आती है. वैसे ही पंचायत का सीजन 3 आया है और फैंस के लिए बेस्ट और मजेदार अनुभवों की भरमार लाया है. एक-एक सीन, एक-एक कैरेक्टर उनके दिल को छू रहा है. और जीता जागता सबूत सोशल मीडिया पर दिख रहा है.

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पंचायत 3 के वायरल सीन्स
पंचायत 3 के वायरल सीन्स

'देख रहे हो बिनोद...' पंचायत का तीसरा सीजन आ गया है. और देखो कैसे टूटे पड़े हैं दर्शक, सोशल मीडिया पर एकदम 'बवासीर' मचा दिए हैं. मीम्स की तो जैसे बाढ़ ही आ गई है. जिसको देखो कुछ ना कुछ बोल रहा है. लोगों को पंचायत इतनी अच्छी लग रही है कि पहले के सीजन से भी कम्पेयर करने में लगे हैं. फैंस इस कदर पगलाए जा रहैं है कि बस पूछो ही मत. एक एक सीन रट के रखा हुआ है. जहां से दूसरे सीजन को छोड़ा था वहीं से उठाकर इस सीजन के सीन से मिलाकर खुश हो रहे हैं. 

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अब जैसे ये सीन ही देख लो. 'कोई पूछे तो हमारा नाम मत लीजिएगा...बिनोद नाम है हमारा...' 

'बिनोद' का तो अलग ही फैन बेस है. अगर कहें कि बिनोद के लिए 'पंचायत' के मेकर्स अलग से सीरीज निकाल दें और वो हिट हो जाए, तो गलत नहीं होगा. मासूम सा बिनोद जो हर बार 'बनराकस' के बहकावे में आ जाता है. बिनोद के कंधे पर बंदूक रखकर बनराकस प्रधान जी और सचिव जी पर तान देता है. अपने हाथ में तो तंबाकू है, इसे मले जाओ और बिनोद जैसी मासूम जनता के दिमाग से खेले जाओ. इस बार भी उसका भोलापन दर्शकों के दिल में अपनी बनाई अलग जगह को पक्का कर चुका है. फैंस को गुदगुदाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है. 

रुलाते गए थे, अब फिर हंसाने आए प्रह्लाद

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इसके बाद आते हैं उप-प्रधान प्रह्लाद पर...पंचायत के दूसरे के अंत में जो सबको रुला गए थे. इस बार उन्होंने अपने उन्हीं फैंस के चेहरे पर स्माइल ला दी है. सीजन 2 के अंत में प्रह्लाद का एकलौता बेटा शहीद हो जाता है, वो अपने बेटे की अर्थी को कंधा देते हैं. जवान बेटे को मुखाग्नी देने और जीवन में अकेले रह जाने का गम फैंस की भी आंखों को नम कर गया था. लेकिन सीजन 3 प्रह्लाद के साथ उनके फैंस के भी चेहरे पर खुशी की लहर लेकर आया है. सीजन 3 में उनके बढ़े बाल-खिलखिलाता चेहरा, पहले की तरह प्रधान जी की सेवा में तत्पर उप-प्रधान को देख फैंस फूले नहीं समा रहे हैं.

रुलाते छोड़े थे, अब हंसा गए प्रह्लाद

कहावत जो असली लगे...

पंचायत सीरीज को जो खास बनाती है वो है इसकी देहाती पृष्ठभूमि की करीने वाली डिटेलिंग. जो इस बार भी देखने को मिली है. जैसे सीजन 1 में आपने देखा होगा, जब डिस्ट्रिक कलेक्टर गांव में परिवार नियोजन के तहत दीवारों पर बेहतर जीवन के लिए सीख देती लाइनें लिखवाते हैं- 'दो बच्चे हैं खीर...तीन बच्चे बवासीर'!! इस बार आपको ये फील भरपूर मात्रा में दी गई है. फुलेरा के गांव की दीवारों पर लिखी गई है- 'ठोकर लगती है तो दर्द होता है तभी मनुष्य सीख पाता है!' अब ये लाइन जो है वो बनराकस पर बिल्कुल फिट बैठती है.

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बनराकस को ठोकर लगना जरूरी है...

फैंस पंचायत की हर डिटेल्स को बेहद पसंद कर रहे हैं. हर एक लाइन और सीन उनके दिल को छू रही है. जहां सचिव जी बने जितेंद्र, प्रधानजी यानी रघुबीर यादव और मंजू देवी उर्फ नीना गुप्ता ने उनके दिल में अलग जगह बनाई है. वहीं बनराकस यानी दुर्गेश कुमार, बिनोद उर्फ अशोक पाठक और उप-प्रधान प्रह्लाद यानी फैजल मलिक फैंस के दिल में घर कर गए हैं. पंचायत सीजन 3 अमेजन प्राइम पर 28 मई से स्ट्रीम हो गई है. 

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