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'बाहुबली' से लगी प्रभास के करियर की 'लंका'? हीरोज पर भारी पड़ती हैं राजामौली की फिल्में!

'बाहुबली' फ्रैंचाइज़ी के बाद से प्रभास पूरे देश के फेवरेट स्टार बन गए. इसके बाद ही उन्हें पैन इंडिया स्टार का टैग मिला. उनकी अगली फिल्में भी पैन इंडिया रिलीज थीं. लेकिन प्रभास फिर से वैसी बड़ी कामयाबी नहीं जुटा पा रहे. इसके पीछे वजह शायद वो खुद भी नहीं हैं. राजामौली के हीरोज के साथ ऐसा होना आम बात है.

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'आदिपुरुष' में प्रभास
'आदिपुरुष' में प्रभास

पैन इंडिया स्टार प्रभास का नाम आजकल खबरों में लगातार बना हुआ है. इस चर्चा के पीछे जो वजह है, वो शायद प्रभास को पसंद न आए. उनकी लेटेस्ट फिल्म 'आदिपुरुष' तगड़े विवादों में फंस गई. रामायण पर बेस्ड 'आदिपुरुष' को डायलॉग्स और कंटेंट के लिए हर तरफ से जबरदस्त आलोचना मिली. प्रभास के स्टारडम के दम पर 'आदिपुरुष' ने बॉक्स ऑफिस पर ताबड़तोड़ शुरुआत की. लेकिन थिएटर्स में 7वां दिन आते-आते फिल्म की ऐसी हालत हो गई है, जिसकी उम्मीद किसी को भी नहीं रही होगी. 

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पहले दिन 87 करोड़ रुपये कमाकर शानदार ओपनिंग लेने वाली 'आदिपुरुष', एक हफ्ते बाद 7 करोड़ भी नहीं कमा पाई. फिल्म के पीछे लग चुके विवादों ने इसकी कमी को बुरी तरह नुक्सान पहुंचाया है. हाल ये है कि 'ब्रह्मास्त्र' जैसी बड़ी फिल्मों की कमाई पार करने के बावजूद, 'आदिपुरुष' के बहुत बड़ी बॉक्स ऑफिस फ्लॉप बनने की तरफ बढ़ रही है. 'बाहुबली 2' के बाद पैन इंडिया स्टार कहलाने के सबसे बड़े दावेदार प्रभास की फिल्में, उनके स्टारडम के लेवल को मैच नहीं कर पा रहीं. दो हफ्ते के बाद 'आदिपुरुष' का कलेक्शन देखने लायक बचेगा, इसके चांस बहुत कम हैं. लेकिन इससे पहले भी प्रभास की फिल्मों का हाल कोई बहुत बेहतर नहीं रहा. 

'आदिपुरुष' में प्रभास (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

लगातार बड़ी कामयाबी से चूक रहे प्रभास की नाकामी के बाद, एक ऐसी चीज पर लोगों का ध्यान जा रहा है जिसके लिए तेलुगू इंडस्ट्री में बाकायदा एक टाइटल गढ़ा गया है. प्रभास की अपनी इंडस्ट्री में इसे कहा जाता है 'द राजामौली कर्स'. यानी राजामौली के साथ काम करने के बाद, उनके हीरोज के साथ एक तरह का शाप लग जाता है. आइए बताते हैं क्या है ये 'द राजामौली कर्स'. और क्या 'बाहुबली 2' के बाद प्रभास भी इसकी चपेट में आ गए हैं? 

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राजामौली के पहले हीरो, जूनियर एनटीआर के साथ हुई थी शुरुआत 
एस.एस. राजामौली ने अपनी पहली फिल्म 'स्टूडेंट नंबर 1' (2001) के लिए जूनियर एनटीआर को हीरो लिया. चाइल्ड एक्टर के तौर पर डेब्यू कर चुके एनटीआर के लिए ये डेब्यू फिल्म होने वाली थी, लेकिन इसे बनने में काफी समय लगा. इससे पहले उनकी एक फिल्म Ninnu Choodalani थिएटर्स में आई और फ्लॉप हो गई. राजामौली की 'स्टूडेंट नंबर 1' रिलीज हुई, तो ऐसी कामयाब हुई कि उस साल की सबसे बड़ी हिट तेलुगू फिल्मों की लिस्ट में शामिल हो गई. 

'स्टूडेंट नं 1' के सेट पर जूनियर एनटीआर, एस.एस. राजामौली (क्रेडिट: ट्विटर)

राजामौली की फिल्म के बाद जूनियर एनटीआर की अगली फिल्म 'सुब्बू' थी. धमाकेदार हिट देकर आ रहे हीरो की ये फिल्म बुरी तरह बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हुई. जूनियर एनटीआर के लिए ये करियर की शुरुआत थी और ऐसे दौर में कामयाबी के साथ-साथ स्पीड ब्रेकर मिलना भी कोई बड़ी बात नहीं थी. इसलिए बात आई-गई हो गई. 

राजामौली ने अपनी दूसरी फिल्म 'सिम्हाद्री' (2002) में फिर से अपने पहले हीरो को ही रिपीट किया. इस बार कामयाबी इतनी बड़ी थी कि 'सिम्हाद्री' उस वक्त सबसे बड़ा ग्रॉस कलेक्शन करने वाली तेलुगू फिल्म बन गई. मगर राजामौली की फिल्म के बाद जब जूनियर एनटीआर की अगली फिल्म 'आंध्रवाला' (2004) रिलीज हुई तो एक बार फिर से उन्हें बॉक्स ऑफिस पर बड़ा फेलियर देखना पड़ा. 

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'यमडोंगा' में जूनियर एनटीआर (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

2007 में राजामौली ने फिर से एनटीआर को 'यमडोंगा' में कास्ट किया. इस जोड़ी ने एक बार फिर से तेलुगू सिनेमा को साल की सबसे बड़ी हिट दी. लेकिन इसके ठीक बाद दूसरे डायरेक्टर के साथ एनटीआर की फिल्म 'कंत्री' को खूब नेगेटिव रिव्यू मिले. राजामौली के बनाए स्टार, जूनियर एनटीआर के जलवे ने किसी तरह फिल्म को बुरी तरह फ्लॉप होने से तो बचा लिया. लेकिन एकदम एवरेज कमाई वाली ये फिल्म, उनकी सबसे कम पॉपुलर फिल्मों में से एक बन गई. 

राजामौली का दूसरा हीरो और फ्लॉप फिल्मों का रिकॉर्ड 
पहली दो फिल्मों में जूनियर एनटीआर के बाद, राजामौली ने अपनी तीसरी फिल्म 'Sye' (2004) में नितिन को हीरो लिया. 2002 में 'जयम' के साथ ब्लॉकबस्टर डेब्यू से शुरुआत करने वाले नितिन में तेलुगू सिनेमा नए स्टार की उम्मीदें दिख रही थीं. राजामौली के साथ नितिन की फिल्म बहुत बड़ी हिट रही. उम्मीद की गई कि यहां से नितिन बड़े स्टार बन जाएंगे. लेकिन 'Sye' के बाद नितिन की अगली फिल्म 'Allari Bullodu' बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई. बात सिर्फ यहीं नहीं रुकी, नितिन की अगली फिल्में भी उन्हें कामयाबी नहीं दिला पाईं.

'Sye' में नितिन (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

नितिन का करियर इस तरह लटका कि उनके नाम तेलुगू में लाइन से सबसे ज्यादा फ्लॉप फिल्में देने का रिकॉर्ड दर्ज है. राजामौली की फिल्म के बाद नितिन की पूरी एक दर्जन फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी नहीं देख पाईं. उन्हें 8 साल बाद 'इश्क' (2012) में दोबारा कामयाबी का स्वाद चखने को मिला. 

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राम चरण और रवि तेजा का भी हुआ 'द राजामौली कर्स' से सामना 
RRR से पहले राम चरण ने राजामौली के साथ फिल्म 'मगधीरा' में काम किया था. उस समय तेलुगू सिनेमा की सबसे महंगी फिल्म रही 'मगधीरा', इंडस्ट्री के इतिहास में सबसे कामयाब फिल्म भी बनी. लेकिन डायरेक्टर भास्कर के साथ राम चरण की अगली फिल्म 'ऑरेंज' का ऐसा हश्र हुआ कि उसे फ्लॉप ही नहीं डिजास्टर कहा जाता है. 

'मगधीरा' में राम चरण (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

राम चरण के साथ ये संयोग दूसरी बार हाल ही में हुआ है. ऑस्कर विनर फिल्म RRR की धमाकेदार कामयाबी के बाद, उनकी अगली फिल्म 'आचार्य' भी बुरी तरह फ्लॉप रही. और वो भी तब, जब फिल्म में उनके साथ, उनके पिता और तेलुगू इंडस्ट्री के आइकॉन चिरंजीवी भी फिल्म में थे. 'आचार्य' का ग्रॉस कलेक्शन 100 करोड़ तक पहुंचने में बुरी तरह हांफ गया. 

'Vikramarkudu' (2006), जिसका रीमेक हिंदी में 'राउडी राठौर' के नाम से बना, राजामौली की फिल्म थी. इसमें हीरो थे रवि तेजा. रवि के डबल रोल ने धमाका मचाया और राजामौली की फिल्म फिर से ब्लॉकबस्टर साबित हुई. लेकिन इसके बाद रवि तेजा की फिल्म 'खतरनाक' बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल नहीं कर सकी. 

'Vikramarkudu' में रवि तेजा (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

दूसरी बार ऐसे दौर से गुजर रहे प्रभास 
प्रभास ने पहली बार राजामौली के साथ फिल्म 'छत्रपति' (2005) में काम किया था. फिल्म में प्रभास जिस तरह के धमाकेदार एक्शन अवतार में नजर आए, उसने ऑडियंस को हिला कर रख दिया. लेकिन इसके बाद प्रभास की तीन फिल्में 'Pournami' 'योगी' और 'मुन्ना' लाइन से फ्लॉप हो गईं. अगली तीन फिल्मों से प्रभास को बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास कामयाबी तो नहीं मिली, लेकिन कम से कम ये तीनों फ्लॉप नहीं हुईं. 

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'छत्रपति' में प्रभास (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

'बाहुबली' फ्रैंचाइज़ी में प्रभास को देखना, ऑडियंस के लिए अपने आप में एक कमाल का अनुभव था. लेकिन इसके बाद पहले 'साहो' और फिर 'राधे श्याम' में शायद जनता को प्रभास वैसे ग्रैंड हीरो नहीं लगे जैसी उम्मीद उनसे की जाती है. 'आदिपुरुष' से प्रभास के खाते में बड़ी हिट आने की उम्मीद थी. फिल्म में भगवान राम के ऊपर मॉडल किए गए, राघव के किरदार में प्रभास को तो फिर भी तारीफ मिली. लेकिन डायलॉग्स और कंटेंट की लिए फिल्म की इतनी आलोचना हुई कि पहले 3 दिन के बाद से ही 'आदिपुरुष' का सिर्फ थिएटर्स में टिके रहना ही एक बड़ा चैलेंज हो गया है. 

मात्र एक संयोग? या जनता की उम्मीदों का बोझ?

फिल्मों की कामयाबी बहुत सारे फैक्टर्स पर डिपेंड करती है. स्टार्स का नाम तो इसमें एक फैक्टर है ही, लेकिन ओवरऑल प्रोडक्ट का दमदार होना सबसे जरूरी है. एस.एस. राजामौली का प्रोडक्ट कितना दमदार होता है, ये किसी को बताने की जरूरत नहीं है. वो अपने हीरो और कहानी को जिस तरह स्क्रीन पर पेश करते हैं, वो सिर्फ एक एक्टर के फैन्स के लिए ही नहीं, बल्कि हर सिनेमा फैन के लिए एक बहुत शानदार एक्सपीरियंस होता है.

शायद यही वजह है कि राजामौली की कहानी में हीरो को देखने के बाद, जनता की उम्मीदें बहुत बढ़ जाती हैं. और फिर वो अपने हीरो को उसी तरह के अद्भुत स्केल पर देखना चाहते हैं. राजामौली की फिल्में करने के बाद, उनके हीरोज की अगली फिल्मों के साथ जो होता है, वो शायद इसी का असर है. हालांकि ये एक हैरान करने वाला संयोग तो है ही. 

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राजामौली के पिछले 3 हीरोज में से राम चरण और प्रभास तो अपने करियर में कई बार इस संयोग से गुजर ही चुके हैं. हालांकि, राजामौली के साथ RRR में काम करने वाले जूनियर एनटीआर की अगली फिल्म अभी तक रिलीज नहीं हुई है. ये देखना दिलचस्प होगा कि एनटीआर की अगली फिल्म 'देवारा', जो अगले साल रिलीज होगी, इस संयोग को तोड़ पाती है या नहीं. एक नजर इसपर भी रहेगी कि प्रभास की अगली फिल्म 'सलार', उनके खाते में एक बड़ी हिट ला पाएगी या नहीं! 

 

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