तमिल तेलुगु और हिंदी फिल्मों की एक्ट्रेस और रिश्ते में प्रियंका चोपड़ा की कजिन सिस्टर अभिनेत्री मीरा चोपड़ा ने आजतक से आपने बेबाक इंटरव्यू में की सरकार से अपील और साथ की अपने वेब शो "द टैटू मर्डर्स" से जुड़ी कई दिलचस्प बातें.
"दा टैटू मर्डर्स" के लिए मैं कहूंगी कि हर एक एक्टर की जिंदगी में उसके किरदारों की एक बकेट लिस्ट होती है. मेरी भी है. लेकिन उस लिस्ट में कभी भी इस किरदार का नाम नहीं था जो मैंने इसमें किया यानि एक पुलिस वाली का किरदार. ये रोल मुझे मेरी फिल्म सेक्शन 375 के ट्रेलर लांच होने के बाद ऑफर हुआ था और मुझे बहुत पसंद आया. मैंने इस किरदार को करते हुए बहुत एंजॉय किया क्योंकि मुझे मेरे काम से एक किक चाहिए होती है, वो किक इस किरदार में मुझे मिली. 80 प्रतिशत हमने ऑरिजनल लोकेशन यानि मुंबई के कमाठीपुरा इलाके पर शूट किया और करीब से वहां की जिंदगी जानने का मौका मिला जो अनुभव बिना वहां जाये नहीं हो सकता. आपको भी हॉटस्टार पर इस शो को एक बार देखना चाहिए.
"द टैटू मर्डर्स " पहले शो का था कुछ और नाम बाद में बदलना पड़ा
इस शो का नाम हमे बदलना पड़ा पहले इस शो का नाम "कमाठीपुरा " ही था, लेकिन जिस तरह इसको बनाने के लिए परमिशन से लेकर ऐसे कई तमाम पहलू हैं जिन्हें हम नहीं दिखा सकते थे, उस गलियों में ऐसी कई गलियां थी जहां हम नहीं जा सकते थे, कोई जबरन तो कोई हालात से मारी महिलाएं वहां गली गली में है. बहुत संघर्षपूर्ण है वहां की जिंदगी. भारत में सेक्स वर्कर्स के अवैध होने की वजह से कोई महिला अपनी आवाज नहीं उठा सकती. मजबूरी में उसे ये गन्दा काम करना पड़ रहा है और अगर वो इसका विरोध करती है तो कहां गायब हो जाती है किसी को पता भी नहीं चलता. तो ऐसी तमाम बाधाएं हैं जिनका जिक्र नहीं किया जा सकता एक शो के माध्यम से और यही कारण है कि हमें अपने शो का नाम भी चेंज करना पड़ा.
फ्रीडम ऑफ स्पीच का मतलब समझना चाहिए
जो हम बातें बोल नहीं सकते हमें अब बोलना चाहिए. द टैटू मर्डर्स करने के बाद मैं ये कहूंगी की सेक्स वर्कर्स को इन्साफ मिलना चाहिए. या तो इसे लीगल कर दें या फिर पूरी तरह सख्ती के साथ इसे प्रतिबंधित कर दें. ये चोरी-छिपे जो सेक्स वर्कर्स काम कर रहे हैं वो भी तो अपना पेट पालने के लिए कर रहे हैं तो मेरे हिसाब से इस पर बात होनी चाहिए.
सरकार से मीरा चोपड़ा की मांगें
देश के मौजूदा हालात को देखते हुए मैं कहूंगी कि इस महामारी से निपटने के लिए आर्मी डिप्लोइड कर देनी चाहिए क्योंकि आर्मी हॉस्पिटल्स बनाने में तजुर्बा रखते हैं और जल्दी काम खत्म कर सकते हैं. जिसकी इस वक्त देश को बहुत जरूरत है. मैं अगर अपने खुद का अनुभव बताऊं तो पिछले साल मैं खबरें सुन रही थी पढ़ रही थी लेकिन तब हमारे आस-पास किसी को कोविड हुआ नहीं लेकिन इस बार कहानी बदली हुई है. इस बार आस पास बहुत सारे लोगों की डेथ हुई है तो आप समझ सकते है की कितनी बुरी हालत है और उस पर ऑक्सीजन की कमी. कोविड अस्पतालों में बेड की कमी, डॉक्टर्स पर अतिरिक्त प्रेशर और उस पर हमारा मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर.
हम एक साल से ज्यादा इस महामारी से जूझ रहे हैं. एक नागरिक होने के नाते मुझे बहुत गुस्सा आता है कि हम अभी तक इस महामारी से निपटने के लिए तैयारी नहीं कर पाए. हर आदमी खौफ में जी रहा है. मैं खुद अपने घर दिल्ली जा रही हूँ. कम से कम इस महामारी के दौर में अपने परिवार के साथ रह सकूं क्योंकि ऐसे वक्त में आपको कभी अकेले नहीं रहना चाहिए. कोई डिप्रेशन का शिकार हो सकता है और जो चीज आपको खुश रख सकती है वो करने की कोशिश करते रहना चाहिए.