
बड़े पर्दे का हीरो बनना आसान नहीं. हीरो तो छोड़िए, जब बात आती है कॉमेडी की तो इसके लिए तो टाइमिंग बहुत जरूरी होती है. सही टाइम पर सटीक बात मारना, जिसपर लोग ठहाके लगा सकें, इसे करने में 100 में से शायद 2 ही सक्षम हो पाएं. इन्हीं में से एक कॉमेडी के बादशाह राजपाल यादव हैं. इनका सेंस ऑफ ह्यूमर इतना तगड़ा है कि क्या ही कहने. बड़े पर्दे पर अपनी सही कॉमिक टाइमिंग से इन्होंने लाखों- करोड़ों दर्शकों को हंसाया है. अपना दीवाना बनाया है. इस बात को साबित किया है कि हर मर्ज की दवा 'हंसी' है. राजपाल यादव अपना 53वां जन्मदिन मना रहे हैं. आज जिस मुकाम पर राजपाल यादव हैं, उसपर पहुंचना एक्टर के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं रहा.
टीवी की दुनिया में रखा कदम
90 के दशक में राजपाल ने पहले छोटे पर्दे पर एक्टिंग करके लोगों का मनोरंजन किया. फिल्मों में तो यह काफी बाद में आए. हालांकि, बतौर कॉमेडियन ही ये लोगों के बीच पहचाने गए. उत्तर प्रदेश में एक जिला है शाहजहांपुर. इससे 50 किलोमीटर दूर एक छोटा सा कस्बा है, कुलरा. 16 मार्च, 1971 को राजपाल का जन्म इसी गांव में हुआ. पढ़ाई में इनका मन ही नहीं लगता था. ज्यादातर समय इनका गांव के आसपास हो रही नौटंकी देखने में निकलता था. बचपन के वो दिन भी, क्या दिन थे. राजपाल फुल मौज- मस्ती करने वाले व्यक्ति थे. पड़ोस के बच्चों के साथ खेलकूद में ही ज्यादातर समय निकाल देते थे. राजपाल घर के आर्थिक हालातों को अच्छी तरह जानते थे. पांचवी तक की पढ़ाई इन्होंने गांव के प्राइमरी स्कूल से की. 10वीं तक पहुंचते- पहुंचते इन्होंने तीन स्कूल बदले. राजपाल ने 11वीं और 12वीं की पढ़ाई शाहजहांपुर की ऑर्डिनेन्स क्लोदिंग फैक्ट्री में स्थित स्कूल से की. यह एक सरकारी संस्थान है, जहां आर्मी, एयर फोर्स, नेवी के लिए कपड़े और जरूरत की अन्य चीजें बनाती हैं. राजपाल इस स्कूल का एक हिस्सा रहे. एक इंटरव्यू में एक्टर ने कहा था कि अगर वह आज के समय में एक एक्टर न होते तो ऑर्डिनेन्स क्लोदिंग फैक्ट्री में जॉब कर रहे होते.
राजपाल के माता- पिता उन्हें डॉक्टर बनते हुए देखना चाहते थे. डॉक्टरी की पढ़ाई राजपाल ने शुरू तो की, लेकिन बहुत जल्दी उन्हें समझ आ गया कि साइंस और एक्स्पेरिमेंट उनके बस की बात नहीं. ऐसे में उन्होंने साइंस से आर्ट्स सेक्शन में तबादला करवा लिया. एक्टर ने रुहेलखंड यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस और हिंदी लिटरेचर में ग्रैजुएशन की. कॉलेज के दिनों में राजपाल प्ले वगैराह करते थे. जिसके बाद उन्होंने एक्टिंग की फील्ड में जाने का मन बनाया. राजपाल, शाहजहांपुर के लोकल थिएटर ग्रुप कोरोनेशन आर्ट थिएटर से जुड़ गए. 1992 में राजपाल ने लखनऊ के भारतेंदु नाट्य अकादमी से दो साल का एक्टिंग डिप्लोमा कोर्स किया. डिप्लोमा करके राजपाल, दिल्ली के लिए रवाना हुए. उस जमाने में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा इकलौता प्लेटफॉर्म था, जहां न्यू टैलेंट को जगह मिलती थी. राजपाल ने यहां तीन साल एक्टिंग की ट्रेनिंग ली. साल 1997 में राजपाल पास आउट हुए और मुंबई के लिए जून के महीने में रवाना हुए.
राजपाल को सबसे पहले सीरियल में काम करने का मौका मिला. सीरियल का नाम था, 'स्वराज'. पहली बार राजपाल ने शूटिंग सेट पर किसी डायरेक्टर से 'एक्शन' सुना था. इसके बाद राजपाल नजर आए 'नया दौर' और 'मोहनदास' में दिखे. जाने- माने डायरेक्टर प्रकाश झा ने एक सीरियल बनाया, 'मुंगेरीलाल के हसीन सपने'. इस सीरियल का डायरेक्टर 10 साल बाद सीक्वल बना रहे थे, इसमें राजपाल को काम करने का मौका मिला. हालांकि, इस सीरियल में एक्टिंग करके राजपाल को एक्स्पोजर कुछ खास नहीं मिला. डेढ़-दो साल तक राजपाल 5-6 टीवी शोज में नजर आए. कुछ छोटे- मोटे रोल्स किए, पर एक्टर कुछ बड़ा नहीं कर पा रहे थे. साल 1999 में डायरेक्टर प्रकाश झा, अजय देवगन, काजोल और महिमा चौधरी को लेकर 'दिल क्या करे' फिल्म बना रहे थे. इसमें राजपाल को एक स्कूल वॉचमैन का रोल मिला था. राजपाल के करियर की यह पहली फिल्म थी. इसी साल में एक्टर आफताब शिवदासानी की डेब्यू फिल्म 'मस्त' में नजर आए, जहां इन्हें एक चपरासी के रोल में देखा गया. इसके बाद राम गोपाल वर्मा की फिल्म 'शूल' में यह दिखे. एक कुली का रोल अदा किया, जिसने रातोंरात एक्टर की किस्मत बदल दी. हालांकि, पहले तो राजपाल यादव ने इस रोल को करने से मना कर दिया था, पर बाद में राम गोपाल के बहुत समझाने के बाद इन्होंने इसके लिए हामी भरी थी. इसके बाद राजपाल और राम गोपाल ने एक साथ 17 फिल्में कीं, जिनमें से 'जंगल' राजपाल के करियर के लिए टर्निंग प्वॉइंट रही.
किस फिल्म से मिली पहचान
'जंगल' में राजपाल ने निगेटिव किरदार निभाया था. इसके बाद राजपाल को 'प्यार तूने क्या किया', 'चांदनी बार', 'कंपनी' और 'हासिल' जैसी फिल्मों में देखा गया. साल 2003 में एक फिल्म आई थी 'हंगामा', इसमें इन्होंने राजा नाम के लड़के का रोल किया था. इस फिल्म के बाद राजपाल की दर्शकों के बीच पहचान ही बदल गई. निगेटिव और विलेन की इमेज साफ कर राजपाल ने खुद की बतौर कॉमेडी हीरो की छवि बनाई. फिल्ममेकर्स भी इनकी कॉमिक टाइमिंग्स को पसंद करने लगे थे. राजपाल को अच्छा पैसा भी ऑफर होने लगा था. बस तभी एक्टर ने तय कर लिया था कि वह आगे अपने करियर में कॉमिक रोल्स ही करेंगे.
बने कॉमेडी के 'बादशाह'
2006 में आई फिल्म 'चुप चुपके' एक्टर की बेस्ट फिल्मों में से एक रही. फिल्म में शाहिद कपूर, परेश रावल, ओम पुरी, करीना कपूर और सुनील शेट्टी जैसे बड़े एक्टर्स थे पर लाइमलाइट राजपाल ले गए. इनकी कॉमेडी की टाइमिंग्स जबरदस्त थी. आज अगर इस फिल्म को देखा जाता है तो शायद राजपाल की परफॉर्मेंस की वजह से. साल 2007 में फिल्म आई 'भूल भुलैया'. इसमें राजपाल ने छोटा पंडित का रोल अदा किया था. 5 फुट 2 इंच के इस एक्टर ने इस रोल को निभाने में अपनी जान फूंक दी थी.
'भूल भुलैया' का रोल बना यादगार
राजपाल यादव का 'भूल भुलैया' का किरदार बहुत अलग था. फिल्म के डायरेक्टर प्रियादर्शन ने इस किरदार में बदलाव किए थे. लाल पाउडर लगाए पंडित को दिखाया गया. बता दें कि आज के समय में राजपाल के इस किरदार पर कई मीम्स बनते हैं. फिल्म के रिलीज होने के 16 साल बाद भी इसे लोग याद करते हैं. साल 2022 में इसी फिल्म का सीक्वल बना. राजपाल के किरदार को इसमें जिंदा रखा गया. पर इस बार लाल की जगह इनके चेहरे पर सफेद पाउडर लगा दिखा. राजपाल ने एक इंटरव्यू में अपने इस किरदार पर कहा कि मेरे जीवन का यह एक ऐसा कॉमिक कैरेक्टर रहा है, जिसे लोग खूब पसंद करते हैं. मुझे भी इस तरह के किरदार करने का आगे सौभाग्य मिलता रहे, मैं तो यही उम्मीद करता हूं.