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'मैं करवाचौथ का व्रत रखूंगी? पागल हूं क्या...' रत्ना पाठक के बयान पर मचा हंगामा

रत्ना पाठक शाह अपने नए इंटरव्यू को लेकर चर्चा में बनी हुई हैं. इस इंटरव्यू में समाज, करवा चौथ और महिलाओं के बारे में बात की है. अपने बयान की वजह से रत्ना विवादों में घिरती दिख रही हैं. रत्ना पाठक शाह ने कहा, 'जैसे जैसे समाज रूढ़िवादी बनता जाएगा और समाज रूढ़िवादी बन रहा है, हमारा समाज रूढ़िवादी बन रहा है मैं यह बात मानती हूं.'

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रत्ना पाठक शाह
रत्ना पाठक शाह

बॉलीवुड एक्ट्रेस रत्ना पाठक शाह कई फिल्मों और सीरीज में अपने एक्टिंग टैलेंट का जलवा दिखा चुकी हैं. मुश्किल से ही कभी ऐसा होता है कि रत्ना अपने किरदार से पर्दे पर कमाल ना करें. जबरदस्त एक्ट्रेस होने के साथ-साथ रत्ना पाठक शाह को अपनी बेबाकी के लिए भी जाना जाता है. रत्ना ने अपने लेटेस्ट इंटरव्यू में समाज और भारत में मॉडर्न महिलाओं के करवा चौथ मनाने को लेकर बात की है. रत्ना पाठक शाह की बातों को सुनने के बाद विवाद भी शुरू हो गया है.

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रत्ना ने समाज पर की बात 

पिंकविला के साथ बातचीत में रत्ना पाठक शाह ने कहा, 'जैसे जैसे समाज रूढ़िवादी बनता जाएगा और समाज रूढ़िवादी बन रहा है, हमारा समाज रूढ़िवादी बन रहा है मैं यह बात मानती हूं. हम वहमी बनते जा रहे हैं, हमें धर्म को अपनी जिंदगी का बहुत जरूरी पार्ट बनाने के लिए और उसे अपनाने के लिए फोर्स किया जा रहा है. अचानक से सब बात कर रहे हैं कि करवा चौथ का व्रत नहीं कर रहे आप. आजतक मुझे किसी ने नहीं पूछा. पिछले साल मुझे किसी ने पूछा. मैंने कहा- पागल हूं मैं?'

उन्होंने आगे कहा, 'यह आश्चर्य की बात है कि आज के समय में मॉडर्न और पढ़ी-लिखी महिलाएं करवा चौथ का व्रत रख रही हैं. अपने पति की जिंदगी के लिए, ताकि उन्हें उनकी खुद की जिंदगी में कुछ वैधता मिले. इस बयान के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर रत्ना पाठक को ट्रोल किया जा रहा है. उनके बयान की जमकर आलोचना भी हो रही है. 

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रत्ना पाठक ने आगे कहा,  क्योंकि भारतीय समाज में एक विधवा होना बहुत बुरा माना जाता है. तो कोई भी चीज जो मुझे विधवा होने से बचाए. 21वीं सदी में हम ऐसी बातें कर रहे हैं. पढ़ी-लिखी महिलाएं ऐसी चीजें कर रही हैं. तो हां, हम रूढ़िवादी हो रहे हैं.' 

धर्म गुरुओं के पीछे चल रहे लोग

रत्ना ने आज के जमाने में चीजों के प्रचार को लेकर कहा, 'विज्ञापनों में भी आजकल कुंडली दिखाओ, वास्तु कराओ, ज्योतिष को दिखाओ. नित्यानंद को देखो उसने कोई कहीं आइलैंड ही बना लिया है. हां, कोई भी गुरु, कहीं से भी निकलकर सामने आ रहा है. और सब उनके पीछे चल रहे हैं. क्या इसे मॉडर्न समाज कहते हैं? ढाबोरकर जैसे रैशनलिस्ट को दिनदहाड़े मार दिया जाता है. और इसके बारे में कुछ नहीं किया जा सकता. उनका ट्रायल अभी भी चल रहा है. इसके बारे में कुछ भी नहीं किया जाएगा. तो हम सही में एक रूढ़िवादी समाज बनने की ओर बढ़ रहे हैं.'

औरतों पर पड़ेगा असर

महिलाओं को लेकर रत्ना कहती हैं, 'और पहली चीज जो एक रूढ़िवादी समाज करता है वो है अपनी औरतों को दबाना. दुनिया के सभी रूढ़िवादी समाजों को देखो. वो औरतें ही हैं जिनपर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है. सऊदी अरेबिया में क्या है औरतों का स्कोप? हम लोग सऊदी अरेबिया बनना चाहते हैं क्या? और बन जाएंगे, यह बहुत आसान है.'

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