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'नाम गुम जाएगा...', कभी संगीत से चिढ़ने लगे थे भूपिंदर सिंह, फिर ऐसा चला आवाज का जादू कि...

'दिल ढूंढता है फिर वही फुरसत के रात दिन' के सिंगर भूपिंदर सिंह ने संगीत की दुनिया में अपनी सत्ता लगातार बनाए रखी. अपनी जवारीदार गंभीर आवाज और आवाज से मखमली एहसास पैदा करने वाले महान गायक भूपिंदर सिंह का जादू हमेशा सिर चढ़ कर बोलता रहेगा.

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भूपिंदर सिंह
भूपिंदर सिंह

मशहूर सिंगर भूपिंदर सिंह के निधन से हर को सदमे में है. गायक भूपिंदर सिंह 82 साल की उम्र में इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए. भूपिंदर सिंह का जाना म्यूजिक जगत के लिए बड़ा नुकसान है. उन्होंने मौसम, सत्ते पे सत्ता, आहिस्ता आहिस्ता, दूरियां और हकीकत संग कई फिल्मों के गानों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा था. लेकिन आज ये चमकता सितारा हमेशा के लिए सो गया है. 

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'दिल ढूंढता है फिर वही फुरसत के रात दिन' के सिंगर भूपिंदर सिंह ने संगीत की दुनिया में अपनी सत्ता लगातार बनाए रखी. अपनी जवारीदार गंभीर आवाज और आवाज से मखमली एहसास पैदा करने वाले महान गायक भूपिंदर सिंह का जादू हमेशा सिर चढ़ कर बोलता रहेगा.

भूपिंदर सिंह को संगीत से क्यों होने लगी थी चिढ़?

हालांकि बचपन से किशोरावस्था की ओर बढ़ रहे भूपिंदर सिंह को सख्त मिजाज गुरु और अपने पिता नत्था सिंह के कठोर अनुशासन की वजह से संगीत से चिढ़ भी होने लगी थी. लेकिन बाद में उनको संगीत से ऐसा लगाव हुआ कि सांसों में एहसासों की खुशबू इस कदर घुल गई की उनकी आवाज का असर सदियों तक रहेगा.

भूपिंदर सिंह के परिवार में पत्नी मिताली सिंह और बेटा अमनदीप सिंह हैं. भूपिंदर सिंह का जन्म 6 फरवरी 1940 को पंजाब में गुरुओं के शहर अमृतसर में हुआ था. हालांकि संगीतकार और गायक नत्था सिंह ने उनको गाने और गिटार बजाने की तालीम बचपन से ही देनी शुरू कर दी थी. लेकिन फिल्मी दुनिया में पहला ब्रेक मशहूर संगीतकार मदनमोहन ने 1964 में दिया. इसके बाद तो भूपिंदर सिंह फिल्म इंडस्ट्री में छा गए. उन्होंने चुनिंदा गाने गाए लेकिन अपनी शर्तों पर...

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भूपिंदर सिंह कैसे बने संगीत के स्टार?

फिल्मों के साथ-साथ गजलों को भी उन्होंने रंगमंच पर नई ऊंचाई और गरिमा दी. 1962 के भारत चीन युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म हकीकत के गीत 'हो के मजबूर मुझे उसने बुलाया होगा...' गाने में अपनी भावुक आवाज का जादू जगाने के बाद तो भूपिंदर सिंह मायानगरी में जम गए. 

दरअसल, संगीतकार मदन मोहन ने एक संगीत समारोह में भूपिंदर सिंह को गाते देखा तो बस उनकी आवाज और अंदाज पर ऐसे फिदा हुए कि उनको अपनी अगली फिल्म में मौका देने की ठान ली. 

गायिका मिताली मुखर्जी से भूपिंदर सिंह की शादी 1984 में हुई थी. गायन और गिटार बजाने में माहिर भूपिंदर सिंह और मिताली की जोड़ी ने फिल्म संगीत और गजलों की दुनिया में खूब धूम मचाई.  गुलमोहर, शबनम, अर्ज किया है, दूरियां, तेरा प्यार, चांद परोसा है जैसे म्यूजिक एल्बम्स के अलावा फिल्म सत्ते पे सत्ता, दीवार, ज्वेल थीफ, मौसम, एक बार फिर  जैसी यादगार फिल्मों में अपनी आवाज का जादू बिखेरा. आज पूरा देश भूपिंदर सिंह को नम आंखों से याद कर रहा है. 

 

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