ऋचा चड्ढा इन दिनों सीरीज 'हीरामंडी' में अपने काम के लिए खूब तारीफ बटोर रही हैं. इस शो में उन्होंने लज्जो नाम की तवायफ का रोल निभाया है, जो प्यार में हारी हुई है. ऋचा की परफॉरमेंस दर्शकों को खूब पसंद आ रही है. सोशल मीडिया पर उनकी कई वीडियो भी वायरल हो रही हैं. इस बीच एक इंटरव्यू के दौरान ऋचा चड्ढा से फेमिनिज्म को लेकर सवाल किया गया.
ऋचा चड्ढा ने कही ये बात
कुछ वक्त पहले डांसर और एक्ट्रेस नोरा फतेही ने फेमिनिज्म पर अपने विचार रखे थे. नोरा फतेही ने यूट्यूबर रणवीर अलाहाबादिया से फेमिनिज्म को लेकर बात की थी. उन्होंने महिलाओं को 'पालन-पोषण' करने वाली बताया था. इसपर ऋचा चड्ढा से उनके विचार पूछे गए. ऋचा ने कहा कि वो नोरा की बात से पूरी तरह सहमत नहीं हैं.
पूजा तलवार के साथ इंटरव्यू के दौरान ऋचा चड्ढा ने कहा, 'फेमिनिज्म में क्यूट चीज ये है कि ये उन लोगों को भी अपनाता है, जो इसका फायदा उठाते हैं, लेकिन खुद को फेमिनिस्ट बताने से बचते हैं. आप करियर बनाने लायक हैं, आप जो पहनना चाहते हैं पहन रहे हैं, जो काम करना चाहते हैं, अपनी चॉइस से सब करने के लिए आजाद हैं, ये सब फेमिनिज्म की देन है. और इसलिए है क्योंकि हमसे पहले की पीढ़ी ने ये निर्णय लिया था कि महिलाओं को भी बाहर निकलकर काम करना चाहिए, सिर्फ घर पर ही नहीं रहना चाहिए.'
ऋचा चड्ढा ने आगे कहा, 'सभी रोल परिभाषित हैं, लिंग के आधार पर नहीं, सिर्फ लोगों के आधार पर जो एक बच्चे को दुनिया में लाने की जिम्मेदारी को शेयर कर रहे हैं. और मैं इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं हूं कि महिलाओं को ऐसा होना चाहिए और वैसा नहीं होना चाहिए. मैं असल में हैरान हूं कि इस बात को सही में कहा गया है.'
नोरा फतेही ने दिया था बड़ा बयान
नोरा फतेही की बात करें तो उन्होंने कहा था, 'ये आइडिया कि मुझे कोई नहीं चाहिए. फेमिनिज्म है. मैं इस बकवास में विश्वास नहीं रखती. मुझे लगता है फेमिनिज्म ने समाज को खराब कर दिया है. पूरी तरह से आत्मनिर्भर होने का आइडिया और शादी न करना, बच्चे न करना, घर पर मेल और फीमेल डाइनैमिक्स न होना, जहां एक मर्द घर चलाने वाला, घर के लिए खाना लाने वाला है और महिला पालन-पोषण करने वाली है. मैं उन लोगों में विश्वास नहीं रखती, जो इस बात को सच नहीं मानते. मुझे लगता है महिलाएं पालन-पोषण करने वाली हैं, हां, उन्हें काम पर जाना चाहिए और अपनी जिंदगी जीनी चाहिए और आजाद होना चाहिए, लेकिन एक सीमा तक.'
उन्होंने आगे कहा था, 'उन्हें मां का, पत्नी का और पालन-पोषण करने वाली का रोल अपनाने के लिए भी तैयार रहना चाहिए. जैसे एक मर्द को कमाने वाले, पिता और पति बनने की भूमिका निभाने के लिए तैयार रहना चाहिए. हम इसे सोचने का ओल्ड स्कूल पारंपरिक तरीका कहते हैं. मैं इसे नॉर्मल सोचने का तरीका कहती हूं. बात बस इतनी है कि फेमिनिज्म ने चीजों को थोड़ा खराब कर दिया है. हम सोचने के मामले में बराबर हैं, लेकिन समाज की चीजों में हम बराबर नहीं हैं. बुनियादी तौर पर फेमिनिज्म कमाल की चीज है. मैं भी महिलाओं के अधिकार का समर्थन करती हूं. मैं भी चाहती हूं कि लड़कियां स्कूल जाएं. हालांकि जब फेमिनिज्म उग्र हो जाता है, तब वो समाज के लिए खतरा बन जाता है.'
नोरा फतेही की इस बात का समर्थन कुछ फैंस ने किया था. तो वहीं कई यूजर्स ने उनकी आलोचना भी की थी. यूजर्स ने उनके काम करने के अधिकार और सोच पर सवाल उठाए थे. प्रोजेक्ट्स की बात करें तो नोरा फतेही को पिछली बार फिल्म 'मडगांव एक्सप्रेस' में देखा गया था. इसमें उनके साथ प्रतीक गांधी, दिव्येंदु शर्मा और अविनाश तिवारी थे. कुणाल खेमू ने फिल्म का निर्देशन किया था.