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Rocket Boys 2 Review: इमोशंस के समंदर में खूब गोते खिलाती है भारत के 'न्यूक्लियर पावर' बनने की कहानी, दिलों पर फिर राज करेंगे 'रॉकेट बॉयज'

भारत के परमाणु शक्ति बनने के सपने की कहानी पिछले साल शुरू हुई थी. 'रॉकेट बॉयज' का पहला सीजन फरवरी, 2022 में आया था. इंडिया के सबसे बेहतरीन ओटीटी शोज में गिने जाने वाले इस शो का अब सीक्वल आ गया है. क्या 'रॉकेट बॉयज 2', शो के फैन्स की उम्मीदों पर खरा उतर पाएगा? आइए बताते हैं.

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रॉकेट बॉयज 2 (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
रॉकेट बॉयज 2 (क्रेडिट: सोशल मीडिया)
फिल्म:रॉकेट बॉयज 2
3.5/5
  • कलाकार : जिम सरभ, इश्वाक सिंह, रेजीना कैसेंड्रा, सबा आजाद, अर्जुन राधाकृष्णन
  • निर्देशक :अभय पन्नू

कहते हैं कि सच, फिक्शन से भी ज्यादा मजेदार होता है. लेकिन उससे भी दिलचस्प होता है सच के बहुत करीब वाला फिक्शन. सोनी लिव के शो 'रॉकेट बॉयज' में भारत के न्यूक्लियर प्रोग्राम और स्पेस प्रोग्राम की कहानी सच के करीब वाला फिक्शन थी. डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा और विक्रम साराभाई के सफर को स्क्रीन पर लेकर आया ये शो, इंडिया के सबसे पॉपुलर और ज्यादा देखे गए शोज में से एक था. सीजन 1 को जनता से लेकर क्रिटिक्स तक से जमकर तारीफ मिली थी और सभी को बहुत बेसब्री से दूसरे सीजन का इंतजार था. नया सीजन आ गया है और इंडिया के रॉकेट बॉयज एक बार फिर से स्क्रीन पर लौट आए हैं. 

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रॉकेट बॉयज 2 (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

पॉपुलर ओटीटी शोज के साथ एक तरह का शाप रहा है कि दूसरा सीजन, पहले जितना दमदार नहीं लगता. 'रॉकेट बॉयज 2' के साथ भी अपनी कुछ छोटी-मोटी दिक्कतें जरूर हैं, लेकिन ये शो इमोशंस, गर्व, उल्लास और देशभक्ति के उन धागों को मजबूती से बांधे रखता है जो पहले सीजन ने तैयार किए थे. 

रॉकेट बॉयज 2 (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

प्लॉट 
पहले सीजन में होमी भाभा (जिम सरभ) भारत के प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू के सामने, भारत को न्यूक्लियर शक्ति बनाने का सपना रख चुके थे. उनसे अलग रास्ता चुन चुके विक्रम साराभाई (इश्वाक सिंह) अपनी रिसर्च का फायदा आम जनता तक पहुंचाने के लिए काम शुरू कर चुके थे. 'रॉकेट बॉयज 2' की शुरुआत इतिहास के उस चैप्टर से होती है जहां भारत आजाद होने के बाद अपनी पहली जंग हार चुका है. दूसरे सीजन में शो की कहानी जितना फोकस दोनों लीड किरदारों के सफर पर करता है, उतना ही फोकस देश की राजनीति में आ रहे बदलावों पर भी है. 

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नए सीजन में जवाहरलाल नेहरू (रजित कपूर) एक ऐसे लीडर के तौर पर नजर आते हैं जिसके चेहरे पर युद्ध हारने का दर्द साफ नजर आता है. उनकी सेहत भी गिरती जा रही है. एक सीक्वेंस में भाभा के साथ बैठे नेहरू की बातें कुछ ऐसी हैं जैसे उन्होंने नींद में अंत को करीब आते देख लिया हो, और अब जागने के बाद सबकुछ सहेज कर सही हाथों में सौंप जाने की तैयारी कर रहे हैं.

रॉकेट बॉयज 2 (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

कहानी में एक ऐसी वल्नरेबल इंदिरा गांधी (चारु शंकर) दिखती हैं जिन्हें नहीं पता कि वो क्या चाहती हैं. यहां उनके किरदार की जर्नी बहुत कमाल की है और वो उस छोर पर खत्म होता है जहां पिता की विरासत संभालने से ज्यादा, भारत को मजबूत बनाने की कोशिश है. लाल बहादुर शास्त्री, मोरारजी देसाई और के. कामराज जैसे पॉलिटिशियन भारत के सपनों की कहानी में अपने-अपने पक्ष-विपक्ष के साथ नजर आते हैं. शो के इस हिस्से में भाभा का विज्ञान, राजनीति में दखल देता दिखता है. उधर एक दूसरा हिस्सा भी है, जहां न्यूक्लियर और स्पेस प्रोग्राम में भारत ही नहीं, इंटरनेशनल पॉलिटिक्स अपना दखल देती दिखती है.

रॉकेट बॉयज 2 (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

सोवियत से लेकर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र संघ तक, भारत का एक सपना कितनी ही आंखों की किरकिरी बनता नजर आता है. इस हलचल के बीच, भाभा के बगल में उनके दो साइंटिस्ट साथी अपने-अपने खेल में नजर आते हैं. इनमें से एक को आप अमेरिका की इंटेलिजेंस एजेंसी के लिए बतौर खबरी कम करते देखेंगे. जबकि दूसरा, इस खबरी की खबर लेने के लिए भटकता नजर आता है. 

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'रॉकेट बॉयज' के पहले सीजन की एक हाईलाईट भाभा और विक्रम की पर्सनल लाइफ भी थी. दोनों के साथ रोमांटिक इंटरेस्ट में नजर आईं तीनों महिलाएं इस बार भी कहानी का हिस्सा हैं. पिप्सी (सबा आजाद) की शादी के बाद, भाभा का उनसे रिश्ता दूसरे सीजन को एक अलग खूबसूरती देता है. जबकि विक्रम और मृणालिनी (रेजिना कैसेंड्रा) की इक्वेशन, कहानी में एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर का एंगल लिखने वालों के लिए एक सिलेबस की तरह है. इस कपल की पर्सनल कहानी को शो में काफी समय दिया गया है और इस सबप्लॉट का कनफ्लिक्ट बहुत बेहतरीन बन पड़ा है. 

रॉकेट बॉयज 2 (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

पहले शो में आखिरी के एपिसोड्स में आए एपीजे अब्दुल कलाम (अर्जुन राधाकृष्णन), इस बार एक्शन में ज्यादा नजर आते हैं (एक बार विक्रम के 'एक्शन' को डिस्टर्ब करते भी!). उन्हें शाइन करने का मौका शो के आखिरी एपिसोड में मिलता है, जिसका ट्रीटमेंट काफी फिल्मी है. लेकिन कहानी में जिस पॉइंट पर ये हो रहा है, वहां ये फिल्मी अंदाज बहुत ज्यादा नहीं खलता. 

परफॉरमेंस 
शो के पहले सीजन में सभी एक्टर्स की परफॉरमेंस बहुत पसंद की गई थी. 'रॉकेट बॉयज 2' में भी  एक्टर्स का काम कमाल का है. जिम सर्भ और इश्वाक सिंह ने अपने किरदारों को जिस तरह निभाया है, उन्हें इसके लिए यकीनन काफी अवॉर्ड्स मिलने वाले हैं. दोनों एक्टर्स अपने कम को उसी लेवल से शुरू करते हैं जहां उन्होंने पहले सीजन में छोड़ा था.

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इमोशनल सीन्स में इश्वाक और जिम दोनों का ठहराव देखने लायक है. मृणालिनी साराभाई के रोल में रेजीना का काम अद्भुत है. ड्रामा पर उनकी पकड़ तो पहले सीजन में ही नजर आ रही थी, जो इस बार और टाइट दिखती है. मगर 'द ब्लू लोटस' डांस-ड्रामा के सीक्वेंस में उनका क्लासिकल डांस और एक्सप्रेशन एक अलग लेवल पर चला जाता है.

रॉकेट बॉयज 2 (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

ये पूरा सीक्वेंस अपने आप में अद्भुत है. सबा के सीन्स इस बार पहले के मुकाबले थोड़े कम हैं, मगर जितने हैं उसमें उनका टैलेंट खूब नजर आता है. रजित कपूर, दिब्येंदु भट्टाचार्य, के सी शंकर समेत सभी सपोर्टिंग एक्टर्स ने भी सॉलिड काम किया है, जो शो के ओवरऑल असर को कहीं भी कम नहीं होने देता. सभी किरदारों को देखते हुए कविश सिन्हा की तारीफ की जानी चाहिए जिन्होंने इतनी परफेक्ट कास्टिंग की है.

टेक्निकल पहलू 
सोनी लिव के शोज की प्रोडक्शन वैल्यू, इंडियन ओटीटी सीन में सबसे बेहतरीन कहलाने लायक है. 'रॉकेट बॉयज 2' भी इस पैमाने पर पूरी तरह खरा उतरता है. मेघना गांधी का प्रोडक्शन डिजाईन और प्रदीप निगम का आर्ट डायरेक्शन इस पीरियड कहानी को बहुत परफेक्ट बनाता है. शो का पूरा सेटअप डिटेल्स से भरा लगता है और उस दौर को बहुत अच्छे से फ्रेम्स में लाता है, जिसमें कहानी सेट है. सुभाष साहू का साउंड डिजाईन कहानी के ड्रामा को सूट तो करता है, लेकिन नए सीजन में कहीं-कहीं पर नैरेटिव के साथ थोड़ा ओवर-ड्रामेटिक भी लगता है. 

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रॉकेट बॉयज 2 (क्रेडिट: सोशल मीडिया)

शो के D.O.P हर्षवीर ओबेरॉय की खास तारीफ होनी चाहिए. पूरे शो में शैडोज के बेहतरीन यूज से बेहतरीन फ्रेम्स बने हैं. फ्रेम्स की लाइटिंग भी बहुत अपीलिंग है. विजुअल्स में ब्लू और येलो कलरटोन के हल्के शेड का यूज शो के टाइम पीरियड को सूट करता है और खूबसूरती को बढ़ाता है. माहिर जावेरी की एडिटिंग का कमल भी जगह-जगह दिखता है लेकिन वो शुरूआती एपिसोड्स को थोड़ा और ट्रिम कर सकते थे. ड्रामा इफेक्ट के लिए शॉट्स को लंबा छोड़ देना हर बार असरदार नहीं लगता. लेकिन ये सब बहुत छोटी दिक्कतें हैं और शो देखने के एक्सपीरियंस को बेअसर नहीं पड़ने देतीं. 

राइटिंग और डायरेक्शन
पहले सीजन की तरह 'रॉकेट बॉयज 2' के डायरेक्टर भी अभय पन्नू ही हैं. उनका लिखा स्क्रीनप्ले बेहतरीन है. ड्रामा और पॉलिटिक्स के मेल में साइंस को इस तरह घोलना कि वो हेवी न लगे, अभय के लिए एक तगड़ा टास्क रहा होगा. ऊपर से लेजेंड्स पर बनने वाले कंटेंट में, उनके किरदार को ग्रैंड दिखाने की तरफ झुकने का डर भी बना रहता है. अभय अपनी कहानी में लेजेंड्स के कनफ्लिक्ट को बहुत अच्छे से मैनेज करते हैं.

कहानी के अपने रास्ते के बगल में, किरदारों की पर्सनल जिंदगी के दरिया में गोते खा जाना भी एक रिस्क रहता है. लेकिन अभय ये बहुत अच्छे से संभालते हैं कि कब उस दरिया में गोता खाना है और कब निकलकर फिर अपने मेन प्लॉट की सड़क पर चल देना है. कुछेक जगह ऐसा लग सकता है कि नैरेटिव, प्लॉट से ज्यादा किरदार की लाइफ पर जा रहा है, लेकिन कहीं भी ऐसा बहुत देर तक नहीं होता. बहुत थोड़ी देर में कहानी ट्रैक पर लौट आती है. कौसर मुनीर ने अभय के साथ मिलकर शो के डायलॉग लिखे हैं और लगभग सभी किरदारों को कुछ बहुत अच्छी लाइनें मिली हैं. 

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कम-ज्यादा 
राजनीति के गलियारों से गुजरते हुए भारत का परमाणु शक्ति बनने का सपना किस तरह आकार लेता है उसे स्क्रीन पर देखना कई मौकों पर रोंगटे खड़े कर देने वाला लगता है. शो के इमोशंस सही नोट पर हिट करते हैं. नैरेटिव के बीच में कई बार बैकग्राउंड म्यूजिक थोड़ा खटकता है और कुछ सीन्स, ओवरऑल प्लॉट या किरदारों के आर्क को पूरा करने में योगदान देते नहीं लगते.

अमेरिकन एजेंसी का इंडियन न्यूक्लियर मिशन को रोकने के लिए प्लानिंग करना जिस तरह ट्रीट किया गया है, वो फिल्मी-मसाला अंदाज में लगता है. एक सीक्वेंस में भाभा अपनी सेक्रेटरी को इंडिया के न्यूक्लियर प्रोग्राम का इंटरनेशनल पॉलिटिक्स पर असर समझा रहे हैं. इस सेक्रेटरी में उस बेसिक समझ की कमी नजर आती है जो भाभा जैसे ब्रिलियंट इंसान के अंडर काम करने वाले किसी शख्स में होनी चाहिए. 

लेकिन 'रॉकेट बॉयज 2' एक दर्शक के तौर पर बहुत संतुष्ट करने वाला अनुभव देता है, जिसकी तुलना में ये दिक्कतें बहुत ज्यादा बड़ी नहीं लगतीं. कुल मिलाकर 'रॉकेट बॉयज 2' दिल पर असर करने वाला, टेक्निकली सॉलिड और इमोशनली अपीलिंग शो है जिसे जरूर देखा जाना चाहिए.

 

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