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लॉजिक की कमी, एक्शन का ओवरडोज... RRR में बाहुबली जैसा जादू नहीं, इन वजहों ने 'बर्बाद' की फिल्म

फिल्म में एक्टर्स के काम पर कोई शक नहीं है, पर जिस तरह से फिल्म में जबरदस्ती का एक्शन डाला गया है, वो सारा खेल ब‍िगाड़ती नजर आती है. हिंदी में डब की गई RRR में डायलॉग्स का वो असर नहीं, ना इसके गाने कुछ खास जमे. जान‍िए क्यों RRR में बाहुबली जैसा जादू नहीं है.

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RRR
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स्टोरी हाइलाइट्स
  • RRR ने पहले दिन कमाए 18 करोड़
  • राजामौली की कहानी में देसी सुपरहीरोज

RRR, फ‍िल्म का पूरा नाम राइज रोर रिवोल्ट. राइज ठीक है, रिवोल्ट भी ठीक है, पर लगता है डायरेक्टर एसएस राजामौली ने रोर को कुछ ज्यादा ही सीर‍ियसली ले लिया. फिल्म में इतने ज्यादा एक्शन सीन्स हैं क‍ि लगता है बस भई अब बस कर. 

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राजामौली की फ‍िल्म बाहुबली तो देखी ही होगी. बाहुबली का वो सीन याद है, जब नार‍ियल के पेड़ पर लोगों को बांधकर ऊंचे और दूर खड़े किले की छत पर सैन‍िकों को दुश्मन से लड़ने पहुंचाया जाता है. अच्छा चल‍िए दूसरा सीन याद दिलाते हैं जब नुकीले सींग वाले दौड़ते सांड के झुंड के बीच बाहुबली यानी प्रभास फंस जाते हैं और खुद को बचा भी लेते हैं. इन डेंजरस सीन्स के बारे में अगर हकीकत में सोचें तो आप भी जानते हैं, ऐसा शायद ही मुमक‍िन हो. फिल्म है, कल्पना की यहां कोई सीमा नहीं होती. पर बाहुबली में कहानी, अभ‍िनय, स्टार ने इन एक्शन सीन्स को संभाल लिया था. 

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बेतुके लगे एक्शन सीन्स 

डायरेक्टर एसएस राजामौली की फ‍िल्मों में ऐसा ही है. एक्शन की हद पार करते हुए राजामौली अपनी फ‍िल्मों में हीरो नहीं बल्क‍ि देसी सुपर हीरोज दिखाते हैं. बाहुबली इसका सबसे अच्छा उदाहरण है. और अब इस लिस्ट में RRR भी जुड़ गई है. अगर आप एक्शन लवर हैं तो फ‍िल्म अच्छी लगेगी, पर थोड़ा लॉज‍िकली सोचें तो फ‍िल्म देख हंसी आ जाएगी. 

फिल्म में एक्टर्स के काम पर कोई शक नहीं है, पर जिस तरह से फिल्म में जबरदस्ती का एक्शन डाला गया है, वो सारा खेल ब‍िगाड़ती नजर आती है. इसकी शुरुआत रामचरण के एंट्री सीन से ही शुरू हो जाती है. एक तरफ दर्जन भर अंग्रेज ऑफ‍िसर्स समेत सरकारी महकमे में नियुक्त भारतीय अफसर, और दूसरी तरफ इन अफसरों से लोहा लेने खड़े हजारों लोगों की भीड़. 

थोड़ा उदाहरण जरूरी है 

जब एक अंग्रेज अध‍िकारी उस भीड़ में खड़े एक शख्स की बगावत को सुन उसे अपने सामने लाने का आदेश देते हैं, तो वहां की भीड़ देख सभी अफसरों की घ‍िग्गी बंध जाती है. पर उन्हीं अफसरों में शाम‍िल राम (रामचरण), बोरे और बक्से पर से ऐसे कूदते-फांदते हुए ऐसे कांटों के तार के उस पार जाते हैं क‍ि बस यकीन ही नहीं हो पाता है. फिर वे लाठी बरसाते हैं और पूरी भीड़ से अकेले ही लड़ते हैं, लहूलूहान होते हैं, लोग पकड़ लेते हैं, पर मजाल है क‍ि राम को कोई रोक पाए. फ‍िर वे उस शख्स को भीड़ से छांटकर अपने अंग्रेजी अफसर के सामने ले आते हैं. 

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पुल का वो सीन जिसमें रामचरण और जून‍ियर NTR बस एक रस्सी के सहारे एक बच्चे को बचाते हैं, वो सीन है तो कमाल का, पर ऐसा लगता है, कि यहां राजामौली ने ज्यादा एक्शन दिखाने के चक्कर में सीन को कॉम्प्लेक्स कर दिया. भई, एक शख्स पुल के ऊपर रस्सी पकड़कर नीचे बच्चे तक रस्सी का दूसरा छोर पहुंचाता तो भी बच्चा बच ही जाता. खामखां बच्चे को रेत पर फेंक दिया. अगर हिंदी फिल्म से कंपेयर किया जाए तो टाइगर श्रॉफ की फिल्म बागी 3 में जिस तरह एक्शन का ओवर डोज है, वैसे ही RRR में एक्शन का टैंक फुल है.

फ‍िल्म में छाए  Jr NTR
 
अब एक्ट‍िंग पर आते हैं. RRR में Jr NTR ने एक्शन, एक्ट‍िंग और डांस सभी में सबसे धांसू नजर आए हैं. रामचरण भी अच्छे थे, पर Jr NTR के आगे वे फीके पड़ गए. Jr NTR वाकई काब‍िले-तारीफ हैं. कहना गलत नहीं होगा क‍ि कुछ सीन्स में उनके काम की वजह से एक्शन का ओवर डोज छ‍िप जाता है. जबक‍ि रामचरण के राम वाले सीन में वो बात नहीं जो उम्मीद थी. आल‍िया भट्ट फ‍िल्म में कुछ नया नहीं कर पाईं. हां अजय देवगन को छोटा मगर अहम स्क्रीन स्पेस दिया गया था. उन्होंने उसी दमखम के साथ RRR में अपनी मौजूदगी का वजन पेश किया जो वे हिंदी फ‍िल्मों में रखते हैं. 

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डब‍िंग और म्यूज‍िक बेअसर 

हिंदी में डब की गई RRR में डायलॉग्स का वो असर नहीं, ना इसके गाने कुछ खास जमे. ऐसा लगता है वो कह कुछ और रहे हैं और हम सुन कुछ और रहे हैं. वो मजा नहीं आया जो ओर‍िज‍िनल में होता है. नाचो-नाचो गाने को छोड़कर बाकी सारे अच्छे लिर‍िक्स के बावजूद जुबां पर चढ़ जाए जैसी बात नहीं रखते.   

  

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