बाबुल सुप्रियो पिछले कई सालों में राजनीति के लिए ज्यादा चर्चा में रहे हैं. मगर ढेर सारे हिंदी फिल्म फैन्स को बाबुल अपने गानों की वजह से याद हैं. 'कहो न प्यार है' चोरी चोरी चुपके चुपके' 'विवाह' और 'हम तुम' जैसी कई फिल्मों में बाबुल के गाने बहुत पॉपुलर हुए थे. पिछले कई सालों से बाबुल राजनीति में काफी सक्रीय हैं. ऐसे में क्या उन्हें क्या अब संगीत और साहित्य के लिए समय मिल पाता है?
साहित्य आजतक कोलकाता में मंच पर पहुंचे बाबुल ने इस सवाल का जवाब देते हुए कहा कि संगीत ही उनकी असली 'बेटर हाफ' है. साहित्य के मंच से अपनी जिंदगी, संगीत और राजनीति के अनुभवों पर बाबुल ने दिल खोलकर बात की. उन्होंने कहा कि राजनीति में एक्टिव रहने के दौरान भी उन्होंने संगीत को नहीं छोड़ा और गाते रहे. बाबुल ने कहा कि वो कार में बैठे-बैठे गाने गाते रहते हैं और ज्यादातर रोमांटिक गाने गाते हैं.
मुंबई से नहीं थी उम्मीद
बाबुल ने बातचीत में बताया कि जब वो अपना करियर बनाने के लिए मुंबई आए थे तो उन्हें बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि कुछ बात बनेगी. लेकिन उन्हें अच्छी कामयाबी मिली. हालांकि, बॉलीवुड अवार्ड्स से बाबुल बहुत खुश नहीं नजर आए. उन्होंने कहा, 'वहां बहुत पॉलिटिक्स होती है.' बाबुल ने अवार्ड्स की पॉलिटिक्स पर बात करते हुए एक जाने-माने बॉलीवुड अवार्ड का नाम लिया. उन्होंने कहा कि वहां 'कहो न प्यार है' और 'हम तुम' गानों के लिए फीमेल सिंगर को 'बेस्ट सिंगर' अवार्ड दिया गया, जबकि ये दोनों गाने डुएट थे.
जिस काम में दिल लगा जरूर किया
बाबुल ने कहा कि उन्हें जो भी काम करने का मैन करता है, उसे वो जरूर करते हैं. इसीलिए वो पहले अपनी स्टेबल जॉब छोड़कर सिंगर बने, फिर राजनीति में आए और बाद में एक्टिंग भी की. इतना ही नहीं 'औरतों के काम' का लेबल दे दिए गए काम भी बाबुल खूब करते हैं. उन्होंने बताया, 'जो भी चीज से प्यार करता हूं वो करता हूं. मैं स्वेटर भी बुनता हूं, खाना बनता हूं.'
बाबुल ने कहा कि उन्होंने आज उन्हें जितना अनुभव है, वो अगर उन्हें अपने करियर की शुरुआत में होता तो वो और बेहतर कर पाते. उन्होंने कहा, 'आज अगर मैं 'कहो न प्यार है' गाऊं, 'हम तुम' गाऊं तो पहले से बेहतर गाऊंगा.' जनता की मांग पर बाबुल ने गाने गाकर भी सुनाए. उन्होंने ये भी कहा कि जरूरी नहीं है कि अगर कोई सिंगर है तो वो अपना ही गाना गाए. बल्कि अच्छे गाने गाए जाने चाहिए चाहे वो किसी भी सिंगर के हों.
कोलकाता में साहित्य के माहौल पर बात करते हुए बाबुल ने कहा कि उनके शहर में लोग हल्की बात ही नहीं करते. बाबुल ने बताया, 'हम वो लोग हैं जो पत्थर पर बैठकर बाइडेन (अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन) की गलतियों पर डिस्कस करते हैं और मेसी ने उधर पास क्यों नहीं दिया, ये चर्चा करते हैं.
अपनी जिंदगी का फलसफा बताते हुए बाबुल ने कहा कि एक व्यक्ति का जो दिल करे उसे करना चाहिए और डरना नहीं चाहिए. आपको अपनी ऐसी शख्सियत बनानी चाहिए कि सामने से देखने वाले लोग भी मुस्कुराएं.