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शत्रुघ्न सिन्हा को अफसोस, दिलीप साहब को क्यों नहीं मिला भारत रत्न अवॉर्ड

फिल्म क्रांति में दिलीप कुमार संग स्क्रीन स्पेस शेयर करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा उनकी मौत से दुखी हैं दिलीप साहब संग यादों को ताजा करते हुए उन्होंने इस बात की भी हैरानी जताई कि आखिरी साहब को भारत रत्न से क्यों नहीं नवाजा गया.

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दिलीप कुमार, शत्रुघ्न सिन्हा और धर्मेंद्र
दिलीप कुमार, शत्रुघ्न सिन्हा और धर्मेंद्र
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शत्रुघ्न सिन्हा ने दिलीप कुमार को लेकर कही ये बात
  • जब क्रांति के सेट पर दिलीप कुमार के गले लग गए थे शत्रुघ्न
  • दिलीप कुमार को लेकर शत्रुघ्न और धर्मेंद्र घंटों करते रहे बातचीत

दिलीप कुमार की मौत ने पूरा देश दुखी है. फिल्म क्रांति में उनके को-स्टार रहे शत्रुघ्न सिन्हा के लिए इस बात को यकीन करना मुश्किल है कि देश के सर्वश्रेष्ठ एक्टर अब उनके बीच मौजूद नहीं है. 

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ईटाइम्स संग इंटरव्यू के दौरान अपने गम को शेयर करते हुए शत्रुघ्न कहते हैं, 'सिनेमा का आखिरी मुगल चले गए हैं. अभी तक राजकपूर और देव आनंद साहब को खोने के गम से उबर नहीं पाए थे और अब दिलीप जी को खोना एक युग का अंत होने जैसा है. इन तीनों के व्यक्तित्व को समझ पाना मुश्किल है. दिलीप साहब जैसे अनोखे एक्टर के जाने के बाद शो तो चलता रहेगा, लेकिन चीजें अब पहली सी नहीं रहेगी.'

ट्रेजेडी ही नहीं कॉमिडी के भी थे मास्टर

शत्रुघ्न सिन्हा आगे कहते हैं, 'उन्हें ट्रेजेडी किंग की उपाधि‍ देकर सीमित क्यों रखा गया है. उनकी कॉमेडी टाइमिंग भी जबरदस्त थी. अगर आप उनकी फिल्म आजाद और गंगा जमुना देखें, तो आपको इसका अंदाजा होगा.'

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जब दिलीप जी ने कहा, मुझे शत्रुघ्न समझा है क्या

क्रांति के शूटिंग दिनों को याद कर शत्रुघ्न सिन्हा कहते हैं, 'शूटिंग के दौरान दिलीप साहब ने जो तारीफें की हैं, मैं उन्हें संजोकर रखूंगा. मैं अक्सर उनके पीछे बैठा करता था और उन्हें इसका अंदाजा तक नहीं था. उन्हें स्क्रिप्ट में एक लंबे डायलॉग दिए गए थे. उसे देखते ही उन्होंंने शूटिंग के बीच में कहा, क्या मुझे शत्रुघ्न सिन्हा समझ लिया है, जो इतने लंबे डायलॉग दस मिनट में याद कर लूंगा. ये बात सुनते ही मैं फौरन उठा और उन्हें गले से लगा लिया. फिर दिलीप साहब ने कहा कि नहीं भई, मैंने सुना है कि आप लंबे पेज के डायलॉग मिनटों में याद कर लेते हैं.'

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भारत रत्न क्यों नहीं मिला, आश्चर्य होता है

वहीं दिलीप साहब की पॉपुलैरिटी पर शत्रुघ्न कहते हैं, 'मुझे याद है साहब के 94वें जन्मदिन के मौके पर उनके घर पहुंचे थे. उस दौरान मैं और धर्मेंद्र उनके बारे में घंटो बैठ कर बात कर रहे थे. वे एक्टिंग के संस्थान थे. कई जनरेशन उनकी नकल करती आ रही है. अगर कोई इंसान थोड़ा सा भी ड्रामा करता है, तो लोग उसे कहते हैं कि तुम खुद को दिलीप कुमार समझते हो. आखिर में सिन्हा यह कहना नहीं भूलते हैं कि इतने बड़े शख्सियत को भारत रत्न से नवाजा नहीं गया, यह सोचकर हैरानी होती है. वैसे मैं किसी अवॉर्डी से उनकी तुलना नहीं कर रहा. बता दें दिलीप कुमार को 1991 पद्म भूषण, 1994 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार और 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है.'
 

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