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शाहरुख खान को लोगों ने रोमांटिक किरदारों में इतना पसंद किया कि उन्हें 'किंग ऑफ रोमांस' भी कहा गया. इन लोगों से पहले, वो दर्शक भी हैं जिन्होंने 'डर' 'अंजाम' और 'बाजीगर' जैसे नेगेटिव शेड वाले किरदारों में उन्हें खूब पसंद किया और असल में उनके पहले फैन्स बने.
एक गुट उन लोगों का भी है जो शाहरुख को बॉक्स ऑफिस पर बड़ा सुपरस्टार बन जाने के बावजूद, 'अशोक' 'पहेली' और 'स्वदेस' जैसे एक्स्परिमेंट करने के लिए खूब सराहता है. लेकिन इन अलग-अलग रेंज के फैन्स को एकसाथ रखने के बाद एक बात यकीनन कही जा सकती है कि शाहरुख कभी नए, अलग या अनूठे किरदारों को करने से नहीं हिचके. और इस बात का एक सबूत ये भी है कि शाहरुख उस समय स्क्रीन पर किन्नर का किरदार करने के लिए तैयार थे. जब बहुत रेयर लोगों ने इस तरह का किरदार निभाया था और उस समय बड़े स्टार के लिए इस तरह के एक्स्परिमेंट करना, अपने करियर पर रिस्क लेने जैसा था.
'दरमियां' में किन्नर का रोल करने वाले थे शाहरुख
इंडियन सिनेमा के आइकॉनिक फिल्ममेकर्स में से एक, श्याम बेनेगल की असिस्टेंट रहीं कल्पना लाजमी 1986 में 'एक पल' से बतौर फीचर फिल्म डायरेक्टर डेब्यू कर चुकी थीं. 1993 में आई उनकी फिल्म 'रुदाली' को 3 नेशनल अवार्ड, एक फिल्म फिल्मफेयर और कई बड़े अवार्ड मिल चुके थे. फिल्म क्रिटिक्स कल्पना के काम का लोहा मान चुके थे और उनकी अगली फिल्म का इंतजार कर रहे थे.
कल्पना ने वक्त लिया और एक बार फिर से दिल को गहराई में जाकर हिट करने वाली एक कहानी लिखी, फिल्म का टाइटल था 'दरमियां'.
फिल्म में एक ऐसी एक्ट्रेस की कहानी थी जिसकी संतान किन्नर पैदा होती है. ये एक्ट्रेस फिल्म इंडस्ट्री में ये राज खुलने के बाद होने वाली चीजों को सोचकर घबरा जाती है और दुनिया को बताती है कि ये असल में उसका छोटा भाई है. 'दरमियां' में इस किन्नर किरदार का नाम था इम्मी और ये किरदार शाहरुख खान निभाने वाले थे.
पहले कुछ ऐसी भी रिपोर्ट्स आईं कि शाहरुख इस किरदार को निभाने में हिचक रहे हैं और सोच रहे हैं कि करियर के इस स्टेज पर ये रिस्क लेना सही रहेगा या नहीं. लेकिन शाहरुख ने अपने एक पुराने इंटरव्यू में बताया है कि असल में हुआ क्या था. उन्होंने कहा, 'नहीं, मैंने मना नहीं किया था. असल में मैंने उनको फोन कर के कहा था कि मुझे वो रोल करना है. मैंने उन्हें कलकत्ता में फोन किया, उनका नंबर ढूंढा अनुपम खेर से मांग कर और उनको फोन किया, और उनको बोला कि मैं ये रोल करना चाहता हूं अगर आप मुझे इस काबिल समझें तो.'
फीस तक छोड़ने को थे राजी
शाहरुख ने बताया कि इस किरदार के लिए उन्होंने कल्पना लाजमी से फीस तक की बात नहीं की लेकिन बस एक छोटी सी शर्त रखी. वो भी इसलिए क्योंकि उस समय उनका करियर बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा था और वो हर साल लगभग चार फिल्में कर रहे थे. ऐसे में टाइम मैनेज करना थोड़ा मुश्किल था.
शाहरुख ने बताया, 'वो मुझसे मिलने आईं, उन्होंने मुझे काबिल समझा. उन्होंने मुझे कहानी सुनाई और हमारा सबकुछ फिक्स भी हो गया कि हम करेंगे. लेकिन उनको मैंने एक ही चीज रिक्वेस्ट की थी, क्योंकि मैं आउट ऑफ टर्न ये फिल्म करूंगा, मैं नॉर्मली चार फिल्में साल में करता हूं. मैंने कहा इसको आप बस सितंबर में चालू कर लें, मेरी रिक्वेस्ट है आपसे. मैं आपसे पैसे की और कोई रिक्वेस्ट नहीं कर रहा. मैं रोल करना चाहता हूं, अगर आपको लगे मैं कर सकता हूं. अगर आप सितंबर तक इंतजार कर लें तो मैं आपको सात दिन दूंगा. तो उन्होंने कहा ठीक है.'
शाहरुख ने कहा कि कल्पना से उनकी ये मुलाकात फिल्म वाले साल से पिछले दिसंबर में हुई थी. और शायद जनवरी या फरवरी में उन्होंने तय किया कि वो सितंबर तक इंतजार नहीं कर सकतीं. फिर उन्होंने किसी और को कास्ट कर लिया. 1997 में जब 'दरमियां' रिलीज हुई तो इसमें इम्मी के रोल में शाहरुख खान नहीं, आरिफ जकारिया थे. और हां, अगर शाहरुख इसमें काम कर पाते तो 'मैं हूं न' और 'ओम शांति ओम' से सालों पहले किरण खेर उनकी मां का किरदार निभा चुकी होतीं!