शाहरुख खान का दिल्ली से मुंबई आना और अपने किरदारों से दर्शकों के दिलों पर छा जाना, शायद फिल्म इंडस्ट्री की सबसे खूबसूरत घटनाओं में से एक है. लेकिन इंडिया के सबसे बड़े सुपरस्टार कहे जाने वाले शाहरुख ने अब कहा है कि उन्होंने कभी एक्टर बनने का सोचा नहीं था, सबकुछ बस होता चला गया. हालांकि, शाहरुख के दिल में फिल्मों के लिए प्यार जताने में उनकी मां, लतीफ फातिमा खान का बहुत बड़ा रोल था.
शाहरुख को हाल ही में लोकार्नो फिल्म फेस्टिवल में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. इस इवेंट के लिए लोकार्नो, स्विट्जरलैंड पहुंचे शाहरुख ने एक लंबा इंटरव्यू भी दिया और अपनी लाइफ से लेकर फिल्मों तक के बारे में दिल खोलकर बात की.
मां की वजह से शाहरुख को फिल्मों से हुआ प्यार
जब शाहरुख से पूछा गया, उन्होंने एक्टिंग करने और फिल्मों में आने के बारे में कब सोचा? तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा, 'सच कहूं तो मैंने कभी एक्टर बनने का सोचा नहीं था. मैं उन बच्चों में से था जो स्कूल में हो रही हर चीज में हिस्सा लेना चाहते थे. 100 मीटर की रेस हो या ड्रामा हो, या छोटे नाटक हों या एग्जिबिशन हो...'
शाहरुख ने आगे बताया, 'फिल्म देखना बड़ी बात होती थी. ये 80s की बात है. थिएटर जाना बड़ी बात थी. मेरी मां फिल्मों की बड़ी फैन थीं. हमारे घर में वीडियो कैसेट रिकॉर्डर था. उस समय ये घर में होना बहुत बड़ी बात थी. हम काफी गरीब थे, लेकिन मेरी मां की बहन बहुत अमीर थीं, उन्होंने हमें ये गिफ्ट किया था. ये मेरी मां के कमरे में होता था, और जैसा हम भारत में कहते हैं- 'मां के कदमों में जन्नत होती है.' मेरी मां यही बोलकर मुझे पैर दबाने को कहती थीं.' शाहरुख ने बताया कि वो मां के पैर दबाते रहते थे और टीवी पर फिल्में चलती रहती थीं.
'पुरानी फिल्में 1-2 रुपये की आती थीं और नई 10 रुपये की. तो एक के बाद एक फिल्में चलती रहती थीं और मुझे फिल्मों से प्यार होने लगा. एक बार हिंदी का एग्जाम था. मैं आयरिश ब्रदर्स के एक स्कूल में था, क्रिश्चियन स्कूल था, बहुत स्ट्रिक्ट, बहुत इंग्लिश स्पीकिंग. नॉर्मल बच्चे लोकल लैंग्वेज में कमजोर होते हैं, तो हिंदी मेरी बहुत अच्छी नहीं थी. मेरी मां ने कहा अगर हिंदी डिक्टेशन में तुम 10 में से पूरे 10 नंबर लेकर आए, तो मैं तुम्हें फिल्म दिखाने थिएटर लेकर जाऊंगी'.
शाहरुख ने पहली बार खोला ये राज
उन्होंने एक अनोखा राज खोलते हुए कहा, 'मैंने ये कभी नहीं बताया, लेकिन आज बता देता हूं, मैंने शायद एक आंसर, एक दोस्त से कॉपी किया था लेकिन मुझे पूरे 10 नंबर मिले थे. और तब मेरी मां मुझे पहली बार फिल्म दिखाने थिएटर लेकर गईं. हैरानी या संयोग की बात है कि ये फिल्म 'जोशीले' थी, जिसे उस डायरेक्टर ने बनाया था, जिनके साथ बाद में मैंने अपनी सबसे ज्यादा फिल्में कीं- यश चोपड़ा.' शाहरुख ने कहा कि वो लोकार्नो, स्विट्जरलैंड में उन्हीं की वजह से बैठे हैं, क्योंकि उन्होंने वो फिल्म देखी.
शाहरुख ने आगे कहा कि फिर अपने पेरेंट्स के देहांत के बाद वो दिल्ली से बाहर जाकर कुछ करना चाहते थे. उन्होंने बताया, 'मैं कम्युनिकेशन और फिल्ममेकिंग में मास्टर्स कर रहा था, मैं डायरेक्टर बनना चाहता था. मैं मुंबई आ गया और फिर इंडिया में टेलीविजन आ गया था तो मुझे छोटे-छोटे कुछ रोल मिल गए. मैं 1990 में एक साल के लिए मुंबई आया था. मैंने कहा था कि मैं एक साल काम करूंगा, एक लाख रुपये कमाऊंगा. वापस जाकर एक साइंटिस्ट या जर्नलिस्ट बनूंगा... लेकिन मैं आजतक वापस नहीं गया.'
शाहरुख के वर्कफ्रंट की बात करें तो अब वो अपनी बेटी सुहाना खान के साथ फिल्म 'किंग' में नजर आएंगे. इस फिल्म को सुजॉय घोष डायरेक्ट कर रहे हैं.