वेटरन एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर ने करण जौहर के शो में जब अपने बेटे सैफ अली खान की बचपन की शैतानियां और टीनेज की कलाकारियां बताई थीं, तो लोग हैरान भी थे और मजा भी आया था. शालीनता भरे कैंडिड अंदाज से लोगों का दिल जीतने वालीं शर्मिला ने अब कहा है कि अपने पहले बच्चे, सैफ को पालते हुए उनसे कुछ गलतियां हुईं.
उन्होंने कहा कि वो दिन भर में दो शिफ्ट में फिल्मों पर काम कर रही थीं और बहुत बार तो कई दिन उन्हें देख नहीं पाती थीं. लेकिन उनकी बेटियों, सबा अली खान और सोहा अली खान के जन्म के समय तक काफी चीजें बदल गई थीं.
सैफ के बचपन के 6 साल याद ही नहीं
YFLO के मदर्स डे इवेंट में पहुंचीं शर्मिला ने पहली बार मां बनने के बारे में बात की और कहा कि उनसे शायद 'कुछ गलतियां' हुई हैं. उन्होंने बताया, 'जब मुझे सैफ हुए तो मैं बहुत बिजी थी. मैं दिन में दो शिफ्ट में काम करती थी और उनकी लाइफ के पहले 6 साल तो मैं थी ही नहीं. मुझे जो करना होता था वो तो सब किया, पेरेंट्स-टीचर मीटिंग में गई, उनके प्ले अटेंड किए लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं फुल-टाइम मॉम थी. मेरे पति थे, मगर मैं नहीं. फिर जब मैं मां वाले रूप में आई तो अति-उत्साही मां बन गई. मुझे उन्हें खिलाना था, नहलाना था और सब करना था. ये पेंडुलम की दूसरी साइड थी. सच कहूं तो मुझसे कुछ गलतियां हुईं.'
बेटियों के होने के बाद हमेशा मौजूद रहीं शर्मिला
सैफ के बारे में बात करते हुए शर्मिला ने कहा कि उनकी इन गलतियों के बावजूद सैफ ठीकठाक बड़े हुए. उनके पति, मंसूर अली खान पटौदी तो हमेशा मौजूद रहते ही थे, साथी ही परिवार और दोस्तों से भी बहुत मदद मिली थी. शर्मिला ने बताया, 'उनके एक स्कूल टीचर मुंबई में हमारे अपार्टमेंट के पास ही रहते थे. उन्होंने और उनके पति ने सैफ का बहुत ध्यान रखा था... लड़कियों के लिए तो मैं मौजूद थी.'
करीब दशक भर पहले 'जीना इसी का नाम है' शो में आईं शर्मिला ने बताया था कि सैफ के जन्म के समय वो इतनी बिजी रहती थीं कि कई बार तो लगातार 3-4 दिन उन्हें देख नहीं पाती थीं. हालांकि, शो पर साथ आईं उनकी बेटी सोहा ने कहा था कि उन्होंने अपनी मां की 'फिल्म साइड' देखी ही नहीं.
उन्होंने अपनी मां को शूट के लिए जल्दी उठते नहीं देखा. लेकिन सबा ने बताया था कि उन्हें अपनी मां को एक्टिंग लाइफ में देखने की एक घटना याद है. उन्होंने बताया, 'हम उन्हें बुरी तरह रोते देखकर घबरा गए थे. उन्होंने हमें बताया कि ये ग्लिसरीन है! तब हमें पहली बार ये समझ आया था कि नकली रोने जैसा भी कुछ होता है!'