आजतक के इवेंट श्रद्धांजलि: 'तुम मुझे भुला ना पाओगे' की शानदार शुरुआत हो चुकी है. इवेंट को शुरू करने के लिए मॉडरेटर श्वेता सिंंह के साथ लता मंगेशकर की जीवनी लिखने वाले हरीश भिमानी ने बातचीत की. हरीश ने बताया कि कैसे उनका और लता दीदी का साथ 44 सालों तक का था. लता के निधन से पहले अस्पताल उनसे आखिरी बार मिले भी थे और उनकी लता मंगेशकर संग पहली मुलाकात कैसी थी.
हरीश ने बताया कैसी थी लता से पहली मुलाकात
हरीश भिमानी ने भगवद गीता के श्लोक को पढ़कर शुरुआत की. उन्होंंने बताया कि लता मंगेशकर जी भी ऐसे ही अपने इवेंट की शुरुआत करती थी. इस बारे में बात करते हुए हरीश भिमानी रो पड़े. उन्होंने कहा कि लता संग उनका साथ 44 साल का साथ था. उन्होंने बताया कि लता मंगेशकर जो करती थी उसे अनुष्ठान समझती थीं. वह मानती थीं कि जो काम आप करते हैं उसे गहरायी से और पवित्रता से करें. साथ ही हरीश ने कहा कि पहले लता में काम की ललक थीं. लेकिन अंतिम समय की बात करें तो वह जीवन को पीछे मुड़कर देख रही थीं, लेकिन बढ़ आगे रही थीं.
हरीश भिमानी ने बताया- पहली बार मैं उनसे मिला तो मैं गांधी फिल्म की रिकॉर्डिंग करके आ रहा था. वह मुझसे मिलीं उन्होंने अपने अंदाज में मुझे नमस्कार कहा और बोलीं- अरे आप आ गए. आप तो समाचार वाले हैं. मैंने कहा आप तो उसी सुर में बोलती हैं जिसमें गाती हैं और यह बात सुनकर लता हंस दीं. मैंने देखा कि लता दीदी समय पर आई थीं लेकिन फिर भी समय की परवाह नहीं थी.
उस समय कोहलापुर में 20-22 साल बाद लता मंगेशकर गई थीं. उनके कॉन्सर्ट में एंकरिंग हरीश भिमानी को करनी थी. इस बारे में हरीश कहते हैं- मैंने उन्हें कहा था कि दो तीन बातें मुझे कॉन्सर्ट से पहले आपसे करनी हैं. मैंने कहा कि मुझे लगता है आपके इस कॉन्सर्ट में मुझे चुटकुले और शेर शायरी नहीं करनी चाहिए. फिर मैंने उन्हें कहा कि आप जो गीत गाने जा रही हैं उसकी डिटेल मुझे पहले से स्टेज पर नहीं बतानी चाहिए. इसपर लता दीदी ने मुझे पूछा कि तो आप क्या करेंगे. मैंने कहा- ये तो मुझे नहीं पता, लेकिन मुझे ये पता है मैं भरस्क प्रयत्न करूंगा. उन्होंने जवाब कहा में कहा ठीक है आप प्रयास कीजिए, बाकी मैं देख लूंगी. बाद में वह आईं और उन्होंने मुझसे कहा अच्छा हुआ आपने ये बातें मुझसे कह दिन, मैं भी यही तीन चीजें शर्तों के रूप में आपसे बोलने वाली थी.
हरीश भिमानी ने इवेंट की शुरुआत करते हुए कहा कि लता मंगेशकर ने हमें बहुत कुछ दिया है. उनके जीवन का जश्न मनाया जाना चाहिए.
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इशिता और ऋषभ ने दी श्रद्धांजलि
श्रद्धांजलि: 'तुम मुझे भुला ना पाओगे' में इंडियाज गॉट टैलेंट की कंटेस्टेंट इशिता विश्वकर्मा और ऋषभ चतुर्वेदी ने गाने गाए. दोनों ने लता मंगेशकर के गानों को गाकर समां बांधा और उन्हें श्रद्धांजलि दी. इशिता और ऋषभ ने नाम गुम जाएगा, लग जा गले, तू जहां जहां चलेगा, ये दिल तुम बिन लगता नहीं जैसे खूबसूरत गानों को गाकर इवेंट की सुरीली शुरुआत की.
अभिजीत सावंत की आइडल थीं लता
इसके बाद स्टेज पर सिंगर अभिजीत सावंत आए. अभिजीत ने अपने सिंगिंग करियर पर मॉडरेटर नेहा बाथम संग बातचीत की. उन्होंने बताया कि लता मंगेशकर के गानों को सुनकर ही उन्होंने गायिकी शुरू की थी. लता का गाया गाना मायरी उनके दिल एक सबसे करीब था और इसी को गाकर उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी.
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इंडिया आइडल के विजेता रहे सिंगर अभिजीत सावंत ने कहा कि उन्हें लता मंगेशकर की एक बात जो सबसे अच्छी लगती थी, वो यह थी कि वह खुले मन से सभी से मिलती थीं और बच्चे से लेकर बड़े तक हर किसी से आप करके बात करती थीं. पहली बार जब अभिजीत, लता दीदी से मिले थे तो वह रेस्टोरेंट में बैठे थे और लता अपने परिवार के साथ थीं. अभिजीत उनके पास गए तो लता खुश हुईं और अभिजीत ने देखा कि उन्हें खुदपर और अपने ओहदे पर कोई गुमान नहीं है.
लता दीदी की गानों को गाने की शिद्दत देखकर अभिजीत सावंत को अचरज हुआ था. अभिजीत सावंत ने लता मंगेशकर के लिए मायरी गाना गाया. साथ ही तेरे बिना जिंदगी से और अबके सजन सावन में गानों को गाकर अपने सेशन का सुरीला अंत किया.