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Pankaj Udhas Passes Away: जब बंदूक की नोक पर पंकज उधास को गाने को कहा, जिंदगी भर रहा इस बात का मलाल

पंकज ने अपने करियर की शुरुआत का पहला स्टेज शो दिवंगत सिंगर स्वर कोकिला लता मंगेश्कर का गाना गाकर किया था. पंकज लता को अपना गुरु मानते थे. उनके साथ पंकज की कई बेहतरीन यादें रही हैं. जिन्हें सिंगर ने आजतक से बातचीत में शेयर किया था. 

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पंकज उधास
पंकज उधास

Pankaj Udhas Career and Facts: अपनी आवाज से सबको दीवाना बना देने वाले, संगीत की दुनिया के दिग्गज कलाकार पंकज उधास नहीं रहे. 72 की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली. लेकिन उनकी आवाज हमेशा उनके चाहने वालों के बीच अमर रहेगी. ऐसे ही जिंदा रहेगी उनकी कहानियां, जो लोगों को हमेशा प्रेरित करती रहेगी. 

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पंकज ने अपने करियर की शुरुआत का पहला स्टेज शो दिवंगत सिंगर स्वर कोकिला लता मंगेश्कर का गाना गाकर किया था. पंकज लता को अपना गुरु मानते थे. उनके साथ पंकज की कई बेहतरीन यादें रही हैं. जिन्हें सिंगर ने आजतक से बातचीत में शेयर किया था. 

पंकज को रहा मलाल

पंकज उधास ने लता मंगेशकर संग अपनी पहली मुलाकात, उनके साथ गाए गानों की यादें और पुराने किस्सों को शेयर किया. पंकज ने कहा- मैंने लता जी के साथ तीन गाने  गाए थे. लेकिन मेरी बदकिस्मती रही जो तीनों गाने मैंने लता जी के साथ गाए. उनमें मैं उनसे नहीं मिल सका. जब भी मैं स्टूडियो पहुंचा तो पता चला वो अपना पार्ट डब करके चली गई हैं. पंकज ने बताया था कि वो हमेशा लता से मिलने की कोशिश किया करते थे. उनके घर गणपति पूजन के लिए जाते थे. 

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वो बोले थे, ''मैं कॉलेज में पहली बार लता जी को मिला था. कभी सपने में नहीं सोचा था उनसे मुलाकात होगी. मैंने उनकी लाइव परफॉर्मेंस देखी. वहां से सिलसिला शुरू हुआ. लता जी के घर हर साल गणपति आते थे. हर साल मैं उनके घर गणपति में जाता था. जरूरी नहीं होता था जो उनके घर गणपति पर जाए उनसे मिले. पर मैं कोशिश करता था उनसे मुलाकात हो जाए. ''

रो पड़े थे प्रिंसिपल

पंकज उधास ने बताया कि लता जी का गाना ऐ मेरे वतन के लोगों.. उनके दिल के काफी करीब रहा. वे कहते हैं- तब रेडियो पर ये गाना सुबह से शाम तक 8-10 बार बजता था. ये पूरा गाना मैंने याद कर लिया था. मैं स्कूल में एसेंबली में इसे गाता था. प्रिंसिपल कहते थे पंकज तुम हमको रुला देते हो. मैं एक शाम एक कार्यक्रम में अपने पेरेंट्स के साथ वहां गया हुआ था. वहां प्रिंसिपल ने ऑर्गेनाइजर को कहा ये बच्चा ऐ मेरे वतन... गाना अच्छा गाता है. मैंने फिर वहां ये गाना गाया.ऑडियंस में एक शख्स ने खुश होकर मुझे 51 रुपये दिए थे.

कनाडा जा बसे पंकज

इसके बाद पंकज ने मुंबई की राह पकड़ी और सिंगिंग में सक्सेसफुल करियर बनाने का तय किया. बावजूद इसके कि उनके स्टेजशोज सक्सेसफुल जाते थे, प्लेबैक सिंगर के तौर पर उनका पहला दांव फेल साबित हुआ. पंकज ने 'कामना' फिल्म के लिए पहली बार गाना गाया था.  पंकज को जिसकी उम्मीद नहीं थी वही हुआ, ये फिल्म फ्लॉप हो गई. पंकज अपने करियर के शुरुआत में ही मिले इस डाउनफॉल से बेहद आहत हुए और सब कुछ छोड़ कर कनाडा जा बसे. जहां वो दस महीने तक रहे और छोटे मोटे स्टेज शोज किए. 

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हालांकि वहां रहते रहते पंकज को एहसास हुआ कि वो फिल्म भले ही फ्लॉप हो गई थी लेकिन लोगों को उनका गजल गाना बेहद पसंद आता है. इसके बाद पंकज ने बेहतरीन तरीके से उर्दू सिखी और भारत वापस लौट आए. पंकज ने गजल में ही अपना करियर बनाया. 1980 में आहट रिलीज हुई, जहां से उन्हें सक्सेस मिलनी शुरू हुई. उन्होंने चिट्ठी आई है..., ना कजरे की धार..., जिये तो जिये कैसे..., चांदी जैसा रंग है तेरा..., जैसे कई बैक टू बैक हिट्स दिए.

पिस्तौल का खौफ दिखाकर गवाया गाना

द कपिल शर्मा शो के दौरान पंकज ने रिवील किया था कि कैसे एक बार किसी ने उन्हें रिवॉलवर दिखाकर गाने के लिए डराया था. पंकज बोले- मैं एक बार एक शो कर रहा था और किसी ने कान में आकर कहा कि ये गाना आपको गाना है, इसकी फरमाइश आई है. तो मैंने सुना लेकिन सोचा गा लूंगा, क्यों किसी के कहने पर गाऊं, किसी का गुलाम थोड़े हूं. तो मैंने कहा मैं थोड़ी देर में सुनाता हूं. लेकिन वो थोड़ी देर बाद फिर आकर बोले. फिर मैंने नोटिस किया कि सामने एक साहब बैठे हैं और थोड़ा गुस्से में हैं. तो मैंने कहा सुनाने वाला हूं इतनी जल्दी क्या है. थोड़ी देर के बाद मैंने देखा कि उन्होंने अपने पॉकेट से रिवॉल्वर निकाला और मुझे लहराकर दिखाने लगे. 

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पंकज ने बताया कि उसके बाद से उनकी आदत लग गई कि जो पब्लिक डिमांड करेगी उस हिसाब से गाना गा लेंगे. 

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