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कोरोना में सोनू सूद ने लोगों को घर पहुंचाया, देश की इकोनॉमी का भी ऐसे रखा ख्याल

सोनू सूद ने लॉकडाउन में भारत ही नहीं बल्कि देश के बाहर फंसे भारत के नागरिकों को भी वतन वापस लाने का काम किया. बस, ट्रेन, चार्टर्ड प्लेन जो भी यातायात के साधन मुमकिन थे सोनू ने उनका इस्तेमाल कर लोगों को उनके घर पहुंचाया था. अब इस बारे में सोनू सूद ने एक इंटरव्यू में बात की है. 

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सोनू सूद
सोनू सूद

कोरोना वायरस की वजह से देशभर में लगे लॉकडाउन के बीच भारत में एक इंसान प्रवासी मजदूरों और जरूरतमंदों के लिए मसीहा बनकर उभरा था और वह शख्स थे बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद. सोनू ने कोरोना वायरस के लॉकडाउन में लाखों प्रवासी मजदूरों को उनके घर तो पहुंचाया ही, साथ ही और भी कई नेक काम किए जिनके लिए उनकी तारीफें शायद ही कभी रुकेंगी.

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सोनू सूद ने भारत ही नहीं बल्कि देश के बाहर फंसे भारत के नागरिकों को भी वतन वापस लाने का काम किया. बस, ट्रेन, चार्टर्ड प्लेन जो भी यातायात के साधन मुमकिन थे सोनू ने उनका इस्तेमाल कर लोगों को उनके घर पहुंचाया था. अब इस बारे में सोनू सूद ने एक इंटरव्यू में बात की है. 

आज भी लोगों की मदद कर रहे हैं सोनू 

सोनू सूद ने कहा, ''मैं उस समय नहीं सोच रहा था कि आगे क्या होगा, बल्कि मेरे दिमाग में ये बात थी कि लोगों को मदद चाहिए. इसलिए मैंने पहले खाना बांटने से शुरुआत की, लोगों को आशियाने दिलाए और फिर पूरा प्रवासी मजदूरों का मूवमेंट शुरू हुआ. मुझे समझ आया कि यह वही लोग हैं जिन्होंने हमारे घर बनाए हैं, जो हमारी जिंदगी में हमेशा रहे हैं और अब जब इन्हें अपने घर जाना है तो हम इन्हें बीच मंझधार में नहीं छोड़ सकते.''

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47 साल के सोनू सूद ने मजदूरों की मदद करने के बाद उन्हें नौकरी दिलाने के लिए कई कैंपेन, प्रोग्राम और स्टार्टअप भी शुरू किए हैं. इससे सोनू लोगों के साथ-साथ देश की इकोनॉमी का भी ख्याल रख रहे हैं. उन्होंने प्रवासी योजना ऐप की शुरुआत की है, जिससे मजदूरों को नौकरी पाने में मदद मिल रही है. इसके अलावा उन्होंने इलाज इंडिया (ILAAJ India) के नाम से एक वेबसाइट शुरू की है, जिससे लोगों को मेडिकल मदद दी जा रही है. साथ ही सोनू सूद लोगों को पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप दे रहे हैं. साथ ही उन्होंने फ्री में कई ई-रिक्शा भी बांटे हैं. 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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लोगों के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था का भी था ध्यान 

इस बारे में उन्होंने कहा, ''एक समय आता है जब आपको समझ आता है कि अपने काम में लिमिट सेट करनी है. मैंने सोचा क‍ि लोगों को खाना खिलाने और उनको घर पहुंचाना ही मेरा काम नहीं है, बल्कि इनकी जरूरतों, स्वास्थ्य और पढ़ाई का ध्यान भी मुझे रखना है. हमारा देश तीन स्तम्भों पर खड़ा है - हेल्थ केयर, शिक्षा और रोजगार. कोरोना की वजह से इन तीनों को बड़ा नुकसान हुआ था. मैं इन तीनों डिपार्टमेंट्स के लिए दिन-रात काम कर रहा था और ऐसे ही यह प्रोग्राम शुरू हुए.''

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सोनू सूद ने बताया कि देश की इकॉनमी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने अपने प्रोग्रामों की शुरुआत की है. उन्होंने कहा, ''ये पूरी रोजगार योजना लोगों के परिवार को चलाने के लिए शुरू की गई है. कोरोना महामारी ने हमें बैठकर सोचने के लिए काफी समय दिया कि आखिर हम इस ग्रह पर क्या करने आए हैं. हम यहां सिर्फ अपने परिवार को खिलाने और अपना बिजनेस बढ़ाने के लिए ही नहीं आए हैं, बल्कि हमें समाज को भी कुछ वापस करना है.''

 

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