
'गदर 2' की धमाकेदार कामयाबी के बाद एक बात तो तय हो गई कि सनी देओल का जलवा आज भी पूरी तरह बरकरार है. उन्हें बस फिल्मों में उस स्टाइल में दिखाए जाने के जरूरत है, जो 80s और 90s में उनका ट्रेडमार्क रहा है. एक कहानी के लेवल पर 'गदर 2' उतनी बेहतरीन फिल्म नहीं थी जितनी 'गदर' थी. लेकिन सनी के सिग्नेचर भौकाल की वापसी 'गदर 2' को चलाने वाला एक बड़ा फैक्टर था. इसकी बाद से ही बॉलीवुड फैन्स सनी के अगले शाहकार का इंतजार बेसब्री से कर रहे थे और उनका ये इंतजार अब 'जाट' से पूरा होने जा रहा है.
सोमवार को 'जाट' का ट्रेलर रिलीज हुआ है और इस ट्रेलर पर जनता का जो सुपरपॉजिटिव रिएक्शन है, वही बता रहा है कि ये कितना जोरदार है. तेलुगू इंडस्ट्री के जानेमाने डायरेक्टर गोपीचंद मलिनेनी की फिल्म 'जाट' को ऊपर से देखने पर ये केवल एक रेगुलर मसाला एंटरटेनर लग सकती है लेकिन ध्यान से देखने पर इसमें एक मास एंटरटेनर के वो सारे एलिमेंट्स परफेक्ट मात्रा और संतुलन के साथ मिलेंगे, जिसके लिए मास फिल्में जानी जाती हैं. आइए बताते हैं कैसे...
लंका और लंका का रावण
मास फिल्मों का सीधा फंडा ये है कि हीरो किसी ऐसे जुल्म या विलेन के खिलाफ खड़ा होगा जिससे सब त्रस्त हैं. जहां कोई आवाज उठाने की हिम्मत नहीं कर सकता, वहां ये हीरो आवाज उठाएगा. इसलिए कोई भी मास फिल्म उतनी ही दमदार होती है, जितना दमदार उसके विलेन का कल्ट होता है. 'जाट' का ट्रेलर शुरू ही विलेन की दुनिया से होता है. घबराए हुए किसानों के जरिए आपको दिखाया जाता है कि कैसे रणदीप हुड्डा फिल्म में वो भयानक विलेन हैं जिसका नाम भी नहीं लिया जाता.
ट्रेलर की शुरुआत में जिस तरह डेड बॉडीज खेत में मिलती हैं और फिर रणदीप जिस तरह खुद धुआंधार एक्शन के साथ जंगलों में दुश्मनों का शिकार करते नजर आते हैं, वो उन्हें टॉप क्लास विलेन बनाता है. ऊपर से हुड्डा को रावण की पूजा करते दिखाया गया है जो मिथकों में अल्टिमेट विलेन माना जाता है. रणदीप के साथी बने विनीत कुमार को भी 'जाट' का ट्रेलर एक सॉलिड विलेन की तरह ट्रीट करता है.
हीरो का बिल्ड-अप
हीरो का भौकाल बनाने के मामले में यश की फिल्म KGF से बेहतर उदाहरण शायद ही होई हो. इस फ्रैंचाइजी की दोनों फिल्मों में महिलाओं और बच्चों के किरदारों के जरिए जिस तरह हीरो का बिल्ड-अप दिया गया है वो शायद ही कभी कोई भूल सके. हालांकि, ये तरीका कई सालों पहले से मास फिल्मों में आजमाया जाता रहा है.
'जाट' के ट्रेलर में भी डायरेक्टर ने यही नुस्खा आजमाया है. बल्कि महिला किरदार को पुलिस ऑफिसर दिखाकर उन्होंने 'जाट' में एक नए हीरो के खड़े होने की वजह को और दमदार बना दिया है. पावरफुल लोगों का महिलाओं को कुचलने की चीज समझना, अक्सर मास फिल्मों में एक कॉमन नैरेटिव होता है जिसे हीरो चैलेन्ज करता है. लेकिन यहां तो कहानी के नेगेटिव एलिमेंट उस महिला को भी कुछ नहीं समझ रहे जिसके पास कानून की शक्ति है. यानी हीरो को बहुत ही मजबूत होना पड़ेगा. इस तरह 'जाट' के ट्रेलर में माहौल इतना संगीन बन चुका है कि अब हीरो का आना बहुत जरूरी है.
छोटी-छोटी बातों पर हीरो का बड़ा गुस्सा
सनी देओल की एंट्री जिस सीन से हो रही है, उसमें वो विलेन्स में से एक को माफी मांगने के लिए कह रहे हैं. सनी की एंट्री से पहले आपके लिए कहानी के विलेन और उसके खौफनाक संसार का माहौल बन चुका है. 'सॉरी बोल' डायलॉग के साथ सनी की एंट्री विलेन की लंका में एक खलल पैदा करती है.
ऐसे सीन्स का मैसेज ये होता है कि जहां विलेन के इतना कुछ बिगाड़ देने पर लोग खामोश हैं, वहां कोई है जो एक अदने से 'सॉरी' के लिए अड़ जाएगा. यानी एक ऐसा व्यक्ति जो सही काम करने को लेकर सुपर सीरियस है. और इस छोटे से सीन से साफ हो जाता है कि लंका तो यही जलाएगा. यानी ये हीरो वो काम करेगा जो रामायण में भगवान हनुमान ने किया था. इसीलिए 'जाट' के ट्रेलर में सनी के कुछ शॉट्स में केसरिया कलर टोन भी है क्योंकि वो हनुमान से जुड़ा रंग है. सनी देओल के धुआंधार एक्शन सीन्स से 'जाट' का ट्रेलर इस बात को पूरी तरह पक्का भी कर देता है.
हीरो की कहानी सुनाने वाला किस्सागो
बड़े पर्दे के हीरो का भौकाल तब और बड़ा हो जाता है जब उसकी कहानी कोई और सुना रहा होता है. एक बार फिर से यहां आप KGF को याद कर सकते हैं. रॉकी की कहानी, एक न्यूज स्टूडियो में बैठा पूर्व पत्रकार सुना रहा था. KGF के बीच में, खदान में काम करने वाला एक आदमी जिस तरह एक मसीहा की कहानी सुनाता है, वो भला कोई सिनेमा फैन कहां भूल सकता है. इसी तरह 'जाट' के ट्रेलर में विलेन की कहानी से माहौल बनाने वाला किरदार उपेंद्र लिमये निभा रहे हैं, जो 'एनिमल' के बाद से जबरदस्त पॉपुलर हो गए हैं.
करारे डायलॉग
एक हीरो का भौकाल उतना ही टाइट होता है जितने करारे उसके डायलॉग्स होते हैं. 'जाट' के ट्रेलर में सनी के डायलॉग उनकी ट्रेडमार्क एक्शन हीरो पर्सनालिटी को परफेक्ट तरीके से सूट करते हैं. कोई हीरो जब अपनी पहचान पूछे जाने पर कहे- 'जान की कीमत जान कर भी, जान को जोखिम में डालने वाला'; तो उसकी दिलेरी का कद तो ऊंचा होना ही है.
'जाट' के ट्रेलर में गोपीचंद ने दिखाया ज्यादा है, बताया कम है. यानी सनी कैसे हीरो हैं ये उनके डायलॉग से ज्यादा एक्शन में आपको नजर आता है लेकिन वो बोलते गिन के 3 बार हैं. ट्रेलर के अंत में उनका डायलॉग बहुत जबरदस्त है- 'इस ढाई किलो के हाथ का कमाल पूरा नॉर्थ देख चुका है, अब साउथ भी देखेगा.' ये डायलॉग एक परफेक्ट मेटा रेफरेंस है. अगर आपको 'मेटा रेफरेंस' नहीं पता तो ये भी बता देते हैं.
सनी देओल ने अपने हाथ का वजन ढाई किलो पहली बार फिल्म 'दामिनी' (1993) में बोला था. पिछले 30 साल से ये डायलॉग उनकी पहचान बन चुका है. लेकिन उनकी ये पहचान रियल संसार में है, जिसमें आप और हम हैं. 'जाट' की कहानी के यूनिवर्स में इस डायलॉग का आना इसे एक कहानी के संसार से दूसरी कहानी के संसार में ले जाता है. अंग्रेजी में इसे ही मेटा-यूनिवर्स या मेटा-रेफरेंस कहते हैं. 'जाट' के ट्रेलर का मेटा रेफरेंस सनी देओल के किरदार को और धमाकेदार बना देता है. यहां देखें 'जाट' का ट्रेलर:
इन सारी खूबियों को मिलाकर 'जाट' के ट्रेलर की प्रेजेंटेशन बहुत सॉलिड हो जाती है. मास फिल्मों को देखने का अपना एक माहौल एक मूड होता है. ठीक वैसे ही जैसे जीवन के पेंच-ओ-खम को दिखातीं और यथार्थवाद की परतें खोलकर रखने वाला गंभीर सिनेमा भी अपनी जगह रखता है. आपको मास फिल्में पसंद हैं या नहीं ये आपकी चॉइस हो सकती है. लेकिन अगर आप मास सिनेमा लवर हैं, तो ट्रेलर से आपको 'जाट' एक सॉलिड एंटरटेनमेंट परोसने वाली फिल्म लगेगी. ये फिल्म बैसाखी के मौके पर 10 अप्रैल को रिलीज हो रही है.