सुशांत सिंह राजपूत की बहन मीतू सिंह ने कुछ समय पहले मुंबई पुलिस को बयान दिया था. अब उनकी उनकी फुल स्टेटमेंट आ गई है. मीतू सिंह ने कहा था कि मेरे छोटे भाई सुशांत सिंह राजपूत ने साल 2006 में इंजीनियरिंग पास की थी और फिर वो टीवी सीरियल्स में काम करने लगा था. टीवी में सफल होने के बाद उसने फिल्मों में काम करना शुरू किया था. मेरे भाई सुशांत ने कई फिल्मों में काम किया है. मैं अपने पति और बच्ची के साथ साल 2018 से मुंबई में रहने लगी थी. मुंबई आने के बाद मैंने सुशांत से कई बार मुलाकात की थी.
अक्तूबर 2019 में उसने हमारे पूरे परिवार को बताया था कि वो निराश फील कर रहा है इसलिए मेरी बहनें नीतू सिंह और प्रियंका सिंह क्रमश दिल्ली और हरियाणा से मेरे भाई से उसके मुंबई के फ्लैट नं 601, माउंट ब्लैंक बिल्डिंग, जॉगर्स पार्क बांद्रा वेस्ट में मिलने आई थीं. हम सभी बहनें उसके साथ कुछ समय तक रही थीं और उसे समझाने की कोशिश की थी. मेरा भाई सुशांत प्रोफेशनल उतार-चढ़ाव के चलते निराश फील कर रहा था. मेरी बहन नीतू सिंह ने कहा था कि उसे उनके साथ दिल्ली आना चाहिए जिस पर सुशांत ने कहा था कि वो कुछ दिनों के बाद आएगा.
नवंबर 2019 में निराशा फील करने की वजह से सुशांत डॉ केर्सी चावड़ा से हिंदुजा अस्पताल में मेडिकल ट्रीटमेंट ले रहा था. मार्च 2020 में कोरोना वायरस के चलते वो अपने घर पर रह रहा था, किताबें पढ़ता था, एक्सरसाइज करता था. इसके अलावा वो मेडिटेशन और योगा भी करता था.
8 जून को किया था सुशांत ने मीतू को कॉल
8 जून 2020 की सुबह मुझे अपने भाई सुशांत का कॉल आया और उसने मुझसे कहा कि मैं उसे मिलने के लिए उसके पास आ जाऊं. मैं सुशांत के पास उस दिन शाम साढ़े पांच बजे पहुंची थी. जब मैं उसके पास गई, वो काफी शांत था और जब मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ तो उसने कहा कि वो लॉकडाउन के कारण कहीं जा नहीं पा रहा है और इसके चलते वो काफी बोर हो रहा है.
उसने मुझसे कहा था कि जब लॉकडाउन खत्म हो जाएगा तो हम दक्षिण भारत घूमने चलेंगे. सुशांत ने मुझसे कहा था कि मुझे उसके पास कुछ दिन रुक जाना चाहिए. मैंने ऐसा ही किया, जब मैं सुशांत के पास थी तो मैंने उसके लिए उस दौरान उसके फेवरेट डिशेज बनाए. हम बातें किया करते थे और इसके अलावा हमने साउथ इंडिया में लॉकडाउन के बाद घूमने के बारे में बात की थी. 12 जून को चूंकि मेरी बेटी गोरेगांव में अकेली थी, तो मैं शाम 4.30 बजे अपने घर गोरेगांव चली गई थी. घर पहुंचने के बाद मैंने सुशांत को मैसेज किया था लेकिन उन्होंने ना तो कोई कॉल किया और ना ही कोई मैसेज किया.
14 जून की सुबह मीतू ने किया था सुशांत को फोन
14 जून को मैंने अपने भाई सुशांत को सुबह 10.30 बजे कॉल किया था लेकिन उसने मेरा फोन नहीं उठाया तो मैंने सिद्धार्थ पिठानी को कॉल किया जो सुशांत के साथ ही रहता था. उसने मुझे कहा था कि उसने सुशांत को नारियल पानी का जूस और अनार का जूस दिया है और वो शायद सो रहा है. उसने फिर दरवाजे पर नॉक किया था लेकिन दरवााजा अंदर से बंद था.
मैंने उससे कहा था कि सुशांत कभी दरवाजा अंदर से लॉक नहीं करता है और मैंने उसे कहा था कि वो दोबारा दरवाजा नॉक करे और मैंने उसे ये भी कहा कि सुशांत को बता दे कि मैं उसे कॉल कर रही हूं. सिद्धार्थ ने इसके बाद मुझे बताया कि उसने कई बार सुशांत के बेडरूम को नॉक किया है लेकिन उन्होंने दरवाजा नहीं खोला है और इसलिए वो इस दरवाजे के की-मेकर को कॉल कर रहा है ताकि दरवाजे को खोला जा सके. मैं सिद्धार्थ के इस कॉल के बाद फौरन गोरेगांव से बांद्रा के लिए कैब से रवाना हो गई थी.
टैक्सी से आते हुए, मुझे सिद्धार्थ का कॉल आया और उसने मुझे बताया कि सुशांत का दरवाजा खोल लिया गया है और सुशांत की बॉडी पंखे से लटकी हुई पाई गई है. सिद्धार्थ और उसके सहकर्मियों ने सुशांत की बॉडी को चाकू से कुर्ते को फाड़कर उतारा. उसने पुलिस को भी कॉल किया और बांद्रा पुलिस के लोग वहां पहुंचे थे. मैंने इस घटना के बारे में अपनी बहन नीतू और प्रियंका को बताया. इसके बाद पुलिस सुशांत को कूपर अस्पताल एंबुलेंस से ले गई थी. वहां पहुंचने पर डॉक्टर्स ने सुशांत को मृत घोषित कर दिया था. मुझे नहीं पता कि सुशांत ने आत्महत्या बिजनेस की वजह से या किसी और कारण से की है.