बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर किसी न किसी वजह के चलते सुर्खियों में रहती हैं. कुछ समय पहले इन्हें दिव्या दत्ता के साथ फिल्म 'शीर कोरमा' में देखा गया था. इसके साथ ही यह सोशल मीडिया पर हर मुद्दे को लेकर अपनी राय रखना पसंद करती हैं, जिसे लेकर यह अक्सर ट्रोल्स के निशाने पर भी आती हैं. स्वरा भास्कर ने पिछले दिनों बच्चे को अडॉप्ट करने की बात मीडिया के सामने रखी थी. सिंगल मदर होने की उनकी इस बात पर काफी चर्चा हुई थी. हाल ही में स्वरा भास्कर ने एक इंटरव्यू में शादी, बच्चे को अडॉप्ट करने की बात और फैमिली शुरू करने को लेकर खुलकर बात की.
स्वरा भास्कर ने रखी अपनी इच्छा
स्वरा भास्कर ने ई-टाइम्स संग बातचीत में कहा, "मैं हमेशा से ही क्लियर रही हूं कि मुझे लाइफ में क्या चाहिए. मैं हमेशा से ही एक बच्चा चाहती थी. अडॉप्शन अपना समय ले रहा है. ऐसा नहीं है कि मैं एक ही रात में मां बन जाऊंगी, हर चीज समय लेती है. मैं शुरू से ही क्लियर थी कि मुझे फैमिली चाहिए, लेकिन किस तरह चाहिए और मैं कैसे बनाऊंगी, यह भी मैंने सोचा हुआ था. अडॉप्शन ही एक तरीका मुझे समझ आया. फैमिली चाहिए थी, इसलिए मैंने अडॉप्शन की राह अपनाई. मुझे बच्चे शुरू से ही पसंद हैं.एजेंसीज अपना समय ले रही हैं, क्योंकि वह बच्चे के लिए एक अच्छा परिवार और वातावरण चाहती हैं. वह देखती हैं कि सामने वाला इंसान बच्चे के लिए किसी भी तरह खतरनाक साबित न हो. ऐसे में अडॉप्शन प्रक्रिया थोड़ी धीमी हो जाती है."
स्वरा आगे कहती हैं कि एक बच्चे के लिए दो पैरेंट्स तभी आइडियल होते हैं, अगर वह दोनों ही एक-दूसरे को प्यार करें और एक ही पेज पर हों, तभी. बहुत सारे बच्चे हमारे समाज में ऐसे हैं जो टूटे हुए परिवार के साथ रह रहे हैं. इसलिए मैं सोचती हूं कि सिंगल पैरेंट होना ही बेहतर है, जिससे आप बच्चे को हेल्दी वातावरण दे सकें. हमारी सोसायटी में बहुत सारे उदाहरण हैं जो सिंगर पैरेंट देते हैं. भगवान कृष्ण को देख लीजिए, मां यशोदा ने उनका पालन-पोषण किया. वह उनकी मां नहीं थी, फिर भी उन्होंने ऐसी देखभाल की जो कोई नहीं कर सकता.
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स्वरा कहती हैं कि हमारी सोसायटी में बहुत सारे पॉजिटिव उदाहरण हैं जो अडॉप्शन से जुड़े हैं. मुझे आइडियल पैरेंट्स के होने की बात थोड़ी अजीब लगती है, क्योंकि मैं यह समझती हूं कि एक आइडियल पैरेंट वही है जो बच्चे को प्यार कर सके और उसे सुरक्षित और मजबूत महसूस करा सके.
हमारे समाज में कई उदाहरण ऐसे हैं, जहां बच्चे अपने दादा-दादी, नाना-नानी, अंकल-आंटी के साथ रह रहे हैं और वह खुश हैं. असली पैरेंट से ज्यादा उन बच्चों के लिए ये लोग सुरक्षित हैं और उन्हें हेल्दी वातावरण दे रहे हैं. अगर मुझे बच्चा चाहिए तो मुझे लाइफ में शादी करके सेटल होना होगा, मैं इसे नहीं मानती. मैं यह ठीक नहीं समझती कि मैं एक ऐसे इंसान से साथ जीवन बिताऊं, जिसको मैं प्यार नहीं करती, क्योंकि मैं शादी करके बच्चा चाहती हूं, नहीं. मेरे दिमाग में यह बात नहीं है. मैं बच्चे को अडॉप्ट करना चाहती हूं और सिंगल पैरेंट की तरह उसका पालन-पोषण करना चाहती हूं. बच्चे चाहिए, इसलिए मैं शादी नहीं करूंगी.