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The Freelancer Conclusion Review: शानदार आगाज लेकिन कमजोर है क्लाइमैक्स, मोहित रैना भी नहीं बचा पाए सीरीज

मोहित रैना की सीरीज द फ्रीलांसर का कंक्लूजन यानी क्लाइमैक्स स्ट्रीम हो गया है. इसके पहले पार्ट को काफी पसंद किया गया था. अविनाश कामथ (मोहित रैना) ने एक संकल्प लिया था कि वो इस्लामिक स्टेट के चंगुल से आलिया को छुड़ाकर दम लेंगे. तो क्या वो ऐसा कर पाए हैं? कैसी बनी है ये सीरीज, जानते हैं.

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द फ्रीलांसर सीरीज का पोस्टर
द फ्रीलांसर सीरीज का पोस्टर
फिल्म:द फ्रीलांसर कन्क्लूजन
2.5/5
  • कलाकार : मोहित रैना, अनुपम खेर, कश्मीरा परदेसी
  • निर्देशक :भाव धूलिया

आतंकी संगठन ISIS की गिरफ्त में अगर आपका कोई अपना फंस जाए तो क्या करेंगे? पुलिस, सिस्टम और जितनी भी पावरफुल एजेंसीज हैं उनसे कॉन्टैक्ट करेंगे. लेकिन सीरिया बॉर्डर से सटे ISIS के एक बेस कैंप जाकर आतंकियों को चुनौती देने की हिम्मत कम ही लोग करेंगे. फिल्ममेकर नीरज पांडे के क्रिएशन में बनी सीरीज द फ्रीलांसर की कहानी का यही थीम है.

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इसका सेकंड पार्ट स्ट्रीम हो गया है. द फ्रीलांसर के स्टार एक्टर अविनाश कामथ (मोहित रैना) ने एक संकल्प लिया था कि वो इस्लामिक स्टेट के चंगुल से अपने दोस्ती की बेटी आलिया को छुड़ाकर दम लेंगे. तो क्या वो ऐसा कर पाए हैं? नीरज पांडे के इस प्रोजेक्ट में कितना दम है,  कैसी बनी है ये सीरीज, जानते हैं.
  
कहानी
द फ्रीलांसर के पहले पार्ट में दिखाया गया था कैसे आलिया खान को उसका पति और ससुरालवाले धोखे से सीरिया लेकर जाते हैं. वहां वो आतंकियों के चंगुल में फंस गई है. इस मुश्किल मोड़ पर आलिया की मदद सिर्फ अविनाश कामथ ही कर सकता है. आलिया के पिता इनायत खान और अविनाश कामथ जिगरी दोस्त थे. अविनाश आलिया के सुरक्षित आतंकियों के बीच से बाहर निकालने के लिए अमेरिका की सरकारी एजेंसी CIA संग डील करता है, लेकिन CIA को आलिया को बचाने में खास इंटरेस्ट नहीं है. वो आलिया द्वारा भेजी जानकारी का इस्तेमाल कर अपना एजेंडा साधने की कोशिश में लगे हैं. इसलिए अवनिाश अब आलिया को वापस लाने के लिए सीरिया जाने का प्लान करता है.

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अपनी कोर टीम बनाता है. उधर CIA सीरिया बॉर्डर से सटे आतंकी इलाके पर ड्रोन से हमला करने की फिराक में है. अविनाश का प्लान बी भी तैयार है. वो अपने कास्टिंग डायरेक्टर दोस्त को आलिया जैसी दिखने वाली लड़की ढूंढ़ने को कहता है. फिर इस लड़की को दुबई में 5 दिन लग्जरी लाइफ एंजॉय करने को कहा जाता है. क्यों डुप्लीकेट आलिया को बनाया गया, उसे दुबई ले जाने का क्या मकसद था, ये आपको सीरीज देखकर ही मालूम पड़ेगा.

अविनाश कामथ के सीरिया जाने की भनक इंडियन एजेंसी आईबी को भी लगती है. अविनाश आईबी को अपने फेवर में लेता है. उसके पास बड़ी चुनौती है कि CIA के सीरिया पर ड्रोन हमले उसे आलिया को सुरक्षित बाहर निकालना है. अविनाश और उसकी टीम सीरिया बॉर्डर पहुंच तो जाती है, लेकिन वहां पहुंचकर कुछ ऐसा होता है कि आलिया की जान खतरे में पड़ जाती है. तो क्या अविनाश अपनी दोस्त की बेटी को बचाने में कामयाब हो पाएगा, ये जानने के लिए आपको सीरीज देखनी पड़ेगी.

एक्टिंग
मोहित रैना की इस सीरीज के 4 एपिसोड आपने पहले पार्ट में देखे होंगे. सेकंड में बस 3 एपिसोड हैं. पूरे सीजन में मोहित छाए हैं. उन्होंने फोकस्ड होकर सिक्योरिटी कंस्टलेंट का रोल प्ले किया है. मोहित के अलावा दूसरे एक्टर्स में अनुपम खेर, कश्मीरा परदेसी का काम इंप्रेसिव है. नीरज पांडे के क्रिएशन में बनी इस सीरीज का आगाज तो दमदार था, उसके मुकाबले क्लाइमैक्स थोड़ा कमजोर है. पहले के एपिसोड्स में थ्रिल और सस्पेंस था. लेकिन अफसोस आखिरी के तीन एपिसोड जितने ज्यादा एंगेजिंग, रोमांचक होने चाहिए थे, वैसे नहीं हैं. क्लाइमैक्स में एक मेजर ट्विस्ट के अलावा कोई बड़ा दमदार मसाला नहीं है.

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आखिरी तीन एपिसोड में कहानी इम्पैक्ट नहीं करती. ना हाई पीक एक्शन देखने को मिला, ना ही ऐसे कोई पावरफुल सीन हैं जो आपके दिलों दिमाग में घर कर जाएं. सीरीज में बैरियर इसके 4 असरदार एपिसोड पहले रिलीज होने से भी आता है. क्योंकि ऑडियंस की कॉन्ट्यूनिटी ब्रेक होने पर फील भी टूटता है. आजकल कई सीरीज में ऐसा देखने को मिल रहा है. एक ही सीजन को दो पार्ट में रिलीज किया जा रहा है. लेकिन ये तभी फायदेमंद साबित है अगर इंटरवल की कहानी तबाही मचाने को दम रखती हो. जिसमें द फ्रीलांसर पूरी तरह से निराश करती है.

आप ये सीरीज मोहित रैना के फैन हैं तो देख सकते हैं. या फिर इसका पहला पार्ट देखो हा तो पूरी सीरीज निपटाना जरूरी है. इसके अलावा वीकेंड में इसे देखकर टाइमपास कर सकते हैं. लेकिन पैसा वसूल टाइप की फीलिंग आना थोड़ा मुश्किल है.

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