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'उसे जूते खाने की आदत है...' कश्मीर फाइल्स पर बयान देने वाले लैपिड पर भड़के अनुपम खेर

द कश्मीर फाइल्स को वल्गर प्रोपेगेंडा बताकर नदव लैपिड मुश्किल में फंस गए हैं. अनुपम खेर ने इंडिया टुडे से बातचीत में उन्हें दिमागी रूप से बीमार बताया. अनुपम ने कहा कि उन्हें हर प्लेटफॉर्म पर जूते खाने की आदत है. वो ऐसे ही स्टेटमेंट देता है, उसे जूते पड़ते होंगे हर जगह.

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अनुपम खेर, नदव लैपिड
अनुपम खेर, नदव लैपिड

साल की सबसे बड़ी हिट फिल्म द कश्मीर फाइल्स पर छिड़ी कन्ट्रोवर्सी थमने का नाम नहीं ले रही है. इस फिल्म पर नदव लैपिड के 'वल्गर प्रोपेगेंडा' वाले बयान के बाद भारत में जैसे हंगामा मच गया. इस पूरे मामले पर अनुपम खेर ने इंडिया टुडे से एक्सक्लूसिव बात की, जहां उन्होंने नदव लैपिड के बयान को शर्मनाक बताया और कहा कि उन्हें जूते खाने की आदत है. 

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अनुपम खेर ने लैपिड को कहा बीमार

कश्मीरी पंडितों का दर्द बयां करने वाली द कश्मीर फाइल्स वो फिल्म है, जिसने बॉक्स ऑफिस पर कामायाबी के झंडे गाड़े. इस फिल्म को साल की सबसे बड़ी हिट फिल्मों में गिना जाता है. इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (IFFI) में इस फिल्म का चुनाव गोल्डन पीकॉक अवॉर्ड कैटेगरी के लिए किया गया है.

लेकिन इसी मंच पर इस फिल्म फेस्टिवल के जूरी मेंबर नदव लैपिड ने फिल्म को 'वल्गर' और 'प्रोपेगैंडा' बताया. इस प्रतिक्रिया पर एक्टर अनुपम खेर ने बेहद नाराजगी जताई है. अनुपम खेर ने कहा कि ये एक बीमार दिमाग की उपज है. एक ऐसा दिमाग जो अश्लील है. वो दिमाग जो प्रोपेगेंडा में विश्वास करता है. इस तरह का इंसान की ऐसी ओछी बात कह सकता है. एक जूरी मेंबर को अधिकार होता है कि वो फिल्म की उपेक्षा करे या ये कहे कि मुझे फिल्म पसंद नहीं आई. लेकिन ऐसे इंटरनेशनल मंच का इस्तेमाल अगर ऐसे बयान देने के लिए किया जाए, तो मैं कहूंगा कि एक बीमार सोच और मेंटली अनस्टेबल इंसान ही ऐसा कर सकता है. 

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लैपिड का एजेंडा

अनुपम ने आगे कहा- मैं मानता हूं कि ये बेहद निंदनीय है. एक इंसान जो कश्मीर में हुए नरसंहार को नहीं समझ सकता, उस दर्द के प्रति इनसेंसिटिव रहता है, ये मेरे हिसाब से डरावना ही नहीं शर्मनाक भी है. लेकिन ये भी सच है कि हमारी दुनिया में इस तरह के कई लोग हैं, जो ऐसा सोचते हैं. लेकिन नदव लैपिड ने खासकर वो शब्द चुने जिसने मुझे गुस्सा दिलाया है. क्योंकि उनके दिमाग में एक एजेंडा है, जिस वजह से उन्होंने उस तरह के शब्द कहे. उनके शब्दों को सुनकर वो 'टूलकिट' गैंग भी कहेंगे, कि देखिए हम जो कह रहे थे वो सच था. जो लोग हमारे देश में रहकर ही फिल्म को गलत कह रहे थे, वो एक्टिव हो जाएंगे. 

नदव के बयान से आहत अनुपम ने आगे कहा-  इससे इतर अगर मैं कहूं कि ऐसा कुछ है नहीं. उन्होंने जो कहा वो बेहद शर्मनाक है. इस तरह के प्लेटफॉर्म को ऐसे इस्तेमाल करना और उस तरह के शब्द कहना वाजिब नहीं है. ये पूरी तरह से प्रीप्लान्ड है. सोच समझ कर ये सारी बातें कही गई हैं. वो चाहते तो पहले भी फिल्म के खिलाफ ट्विटर पर कुछ लिख सकते थे कि मैं जूरी मेंबर हूं और मैं फिल्म के बारे में ये सोचता हूं. लेकिन उन्होंने एक मंच का इस्तेमाल किया, पेपर निकाला और एक स्टेटमेंट को पढ़ा. वो चाहते थे कि इस ट्रेजिडी को एक अलग रूप दें, और लोगों ने भावनाओं के साथ खेलें. वो दिमागी रूप से बीमार हैं. ये मैं बड़ी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं. एक जूरी मेंबर का डेकोरम होता है, जिसके तहत वो कोई बयान देता है. 

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फेस्टिवल का दिन खराब

IFFI में इजराइली वेब सीरीज फौदा सीजन 4 का प्रीमियर किया गया. ये वेब सीरीज इजरायली डिफेंस सर्विसेज की कहानी है. जो एक द पैंथर नाम से जाने वाले हमास कट्टर आतंकवादी का पीछा करते हैं. इस वेब सीरीज की काफी प्रशंसा की गई थी. भारत में तनाव नाम से इसका ऑफिशियल रीमेक बनाया गया है. उसी दिन नदव लैपिड की तरफ से ऐसा बयान आना अनुपम खेर काफी निंदनीय मानते हैं. अनुपम ने कहा फौदा के लोगों के लिए सेलिब्रेशन की रात थी. ये बहुत दुर्भाग्य की बात है फेस्टिवल के आखिरी दिन ऐसा हुआ. 10 दिन से चली आ रही पूरी मेहनत गटर में चली गई. 

कौन हैं नदव लैपिड 

कश्मीर फाइल्स को वल्गर प्रोपेगेंडा बताने वाले नदव एक इजरायली स्क्रीनराइटर और फिल्ममेकर हैं. नदव पहले भी कई बार इस तरह के बयान देते रहे हैं. उनके करियर काफी विवादों में रहा है. ये जानने के बाद अनुपम खेर ने कहा कि फिर मैं कहूंगा कि उन्हें हर प्लैटफॉर्म पर जूते खाने की आदत है. वो ऐसे ही स्टेटमेंट देता है, उसे जूते पड़ते होंगे हर जगह. अब यहां भी ऐसे बयान दे रहा है, उसे जूते पड़ ही रहे हैं. बहुत सारे लोग जो, जिनसे मैंने बात की है. कभी कभी लोग ऐसे बायन देकर सुर्खियों में आना चाहते हैं. चाहते हैं उन्हें लोग नोटिस करें, लेकिन ये सब वजह नेगेटिव है, ये नहीं समझते हैं. 

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नदव लैपिड ने पुलिसमैन, द किंडरगार्टेन टीचर, सिनोनिम्स जैसी फिल्मों का डायरेक्शन किया है, वहीं इन्हें लिखा भी है. 1975 में जन्में लैपिड ने करियर के शुरुआत में कई डॉक्यूमेंट्री फिल्में भी बनाई हैं. नदव लैपिड IFFI से पहले भी की इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में बतौर जूरी हिस्सा ले चुके हैं. जिनमें लोकर्नो, कैन्स, बर्लिन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल शामिल है. यही नहीं फिल्ममेकर का अपने होमलैंड इजराइल से लव हेट वाला नाता रहा है. उन्होंने कई विवादास्पद बयान दिए हैं. इजराइल के अस्तित्व तक को सड़ा हुआ करार दिया था. 

भारत में तो उनकी निंदा हो ही रही है, लेकिन द कश्मीर फाइल्स पर दिए नदव लैपिड के बयान से खुद उनके देश के राजदूत ने ही किनारा कर लिया है. जहां विवेक अग्नीहोत्री, अशोक पंडित, अनुपम खेर सभी लैपिड के खिलाफ बोल रहे हैं, वहीं एक्ट्रेस स्वरा भास्कर ने लैपिड के बयान को समर्थन देते हुए ट्वीट किया है.

 

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