मॉडलिंग और म्यूजिक एल्बम से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाली दिव्या खोसला इन दिनों फिल्म यारियां 2 को लेकर चर्चा में हैं. इस बार यारियां 2 की कहानी लव स्टोरी से हटकर भाई-बहन और उनके रिश्तों पर सेंट्रिक है. ट्रेलर के बाद से ही फिल्म की चर्चा है, खासकर दिव्या का लुक फैंस को काफी पसंद आ रहा है. अपनी इस फिल्म, किरदार, मदरहुड और जर्नी पर दिव्या हमसे दिल खोलकर बातचीत करती हैं.
यारियां 2 मेरे सारे भाई-बहनों को डेडिकेट है
कजिन की यारियों पर बेस्ड इस फिल्म को दिव्या अपने भाई-बहनों को डेडिकेट करना चाहती हैं. दिव्या बताती हैं, मैं अपने परिवार में वैसी कजिन या बहन रही हूं, जो पढ़ने में अच्छी है, अपने मम्मी-पापा की बातों को मानने वाली, परफेक्ट बेटी रही हूं. इस वजह से कई मुझसे थोड़ा डरा भी करते थे. हालांकि मस्ती भी उनके साथ जमकर रही है. मुझे याद है, बचपन में मैं अपनी बहन के साथ मिलकर कॉलोनी के कई घरों से डोर बेल बजाकर भाग जाया करती थी. मेरी यह फिल्म मेरे सारे उन कजिन को डेडिकेट हैं, जिनसे मैं कई सालों से मिल नहीं पाई हूं. हमारा यह प्रयास है कि हम अपनी इस फिल्म से एक अलग मेसेज दे सकें. आप ही देखें न, वर्ना यारियां मतलब ही दोस्तों वाली फ्रेंडशिप या प्यार तक ही रिलेशनशिप को एक्सप्लोर किया गया है. भाई-बहन की बॉन्डिंग पर कभी कोई फिल्म नहीं आई है. मुझे यकीन है कि फिल्म देखने के फौरन बाद दर्शक अपने भाई-बहनों को कॉल करेंगे.
नहीं ऑफर होती हैं फिल्में
जब मैंने 2004 में दिल्ली से मुंबई शिफ्ट किया था, तो मेरे पैरेंट्स मुझे लेकर काफी प्रोटेक्टिव थे. उन्हें लागातर टेंशन होती थी कि मैं कैसे मैनेज कर पाऊंगी. हालांकि मुझे बड़ा मजा आता था कि अब सबकुछ खुद से कर रही हूं. याद है उस ऑडिशन के लिए लोकल ट्रेन से ट्रैवल करना, पोर्टफोलियो लेकर ऑडिशन के लिए जाना, उन दिनों मैं पीजी में रहती थी. स्ट्रगल के दौरान कितने पीजी बदले हैं. हालांकि एक्टिंग को लेकर मेरा स्ट्रगल आज भी बरकरार है. आज भी मुझे जितने प्रोजेक्ट्स ऑफर मिलते हैं, उन्हीं में से सिलेक्ट करती हूं. फैंस अक्सर कंपलेन किया करते हैं कि मैं बहुत कम काम करती हूं. मैं लोगों को बताना चाहती हूं कि ये मेरी चॉइस नहीं है, मुझे ऑफर ही बहुत कम प्रोजेक्ट्स होते हैं. इतने सालों में बहुत कम फिल्में ही की हैं, मैं चाहती हूं कि मुझे ज्यादा से ज्यादा मौका मिले. यही उम्मीद है कि यारियां 2 के बाद मेरे लिए और मौके खुलें.
इतने सालों में केवल तीन फिल्में की हैं
दिव्या आगे कहती हैं, करियर की शुरुआत 2000 से की है. मैंने महसूस किया है कि लोग आपको आपकी पहचान देना ही नहीं चाहते हैं. वो आपके पास मौके लेकर इसलिए भी नहीं आते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि फलां तो किसी बड़ी कंपनी से असोसिएट है, उसे क्या काम की कमी होगी. मुझे लगता है एक एक्टर के तौर पर मैं ज्यादा मौके डिजर्व करती हूं. लोग आपको मौका बहुत कम देते हैं और उसमें से बेस्ट चुनना होता है. मैं मानती हूं अगर बेहतर ऑप्शन आएंगे, तो ही मैं बेहतर काम कर पाऊंगी. टी-सीरीज जो है 90 प्रतिशत फिल्में बना रहा है. अगर मुझे सपोर्ट होता, तो शायद मैं 50 प्रतिशत फिल्में तो कर ही रही होती. चलो 10 प्रतिशत ही होती.. वो भी नहीं है. मेरे पास मुश्किल से एक दो फिल्में होती हैं, वो भी खुद के बलबूते पर ही करती हूं. यारियां 2 शायद एकलौती ऐसी फिल्म है, जिसमें मैं पूरी तरह से नजर आने वाली हूं. वर्ना जितनी भी फिल्में की हैं, उसमें रोल की लंबाई बहुत ज्यादा नहीं रही हैं. एक एक्टर के तौर पर यह मेरी तीसरी फिल्म है.