विक्रम भट्ट ने फिल्म 'तुमको मेरी कसम' के साथ सिनेमाघरों में वापसी की है. प्यार, धोखे और कोर्टरूम ड्रामा से मिलकर बनी इस फिल्म में अनुपम खेर, इश्वाक सिंह, अदा शर्मा और ईशा देओल ने काम किया है. डॉक्टर अजय मुर्डिया की असल कहानी पर आधारित इस फिल्म में आपको उनके स्ट्रगल, उनसे जुड़े विवाद और उनकी जिंदगी के बारे में जानने को मिलता है. फिल्म की कहानी एक इमोशनल रोलरकोस्टर है.
क्या है फिल्म की कहानी?
फिल्म की कहानी डॉ अजय मुर्डिया (अनुपम खेर) पर अपने कंपनी के बोर्ड मेंबर राजीव के मर्डर की कोशिश करने के इल्जाम से होती है. इसके बाद आप यंग अजय मुर्डिया (इश्वाक सिंह) और उनकी पत्नी इंदिरा (अदा शर्मा) को देखते हैं. अजय और इंदिरा दोनों टीचर हुआ करते थे. हालांकि किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. अजय मुर्डिया को इनफर्टिलिटी के बारे में पढ़ने और सीखने में दिलचस्पी थी. उनकी जिंदगी ने तब मोड़ लिया जब उन्होंने अपने एक दोस्त को अपनी पत्नी को बच्चे न होने ही वजह से छोड़ते देखा. सालों की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने इंदिरा आईवीएफ के नाम से एक फर्टिलिटी सेंटर की शुरुआत की, जिसकी मदद से कई महिलाओं को मां बनने का सुख मिला.
अब बूढ़े हो चुके अजय मुर्डिया की कंपनी की गद्दी पर उनके बोर्ड मेंबर के मर्डर की कोशिश का इल्जाम है. उनकी बनाई बड़ी कंपनी और जिंदगी में इसकी वजह से भूचाल आ गया है. ऐसे में उनका केस लड़ने के लिए वकील मीनाक्षी (ईशा देओल) आती हैं, जो उन्हें बचाने की पूरी कोशिश करती है. अजय मुर्डिया ने ही खुदकर इल्जाम लगाने वाले राजीव को पाला और बड़ा किया है. आज करोड़ों का मालिक बन चुका है, लेकिन फिर भी वो अजय का बुरा चाहता है. आगे क्या होगा ये देखने वाली बात है.
परफॉरमेंस और डायरेक्शन
अनुपम खेर इस फिल्म को काफी हद तक अपने कंधों पर चलाते हैं. उनकी परफॉरमेंस अच्छी है. डॉक्टर अजय मुर्डिया को उस इंसान के रूप में दिखाया गया है, जिसका दिल उन औरतों के लिए दुखता है, जो बच्चे पैदा नहीं कर पा रहीं और अपने परिवार से खरी-खोटी सुनती हैं. उसका मानना है कि बच्चे न हो पाने में औरतों के साथ-साथ मर्दों में भी कमी हो सकती है. फिल्म में कोर्टरूम ड्रामा बढ़िया और सीरियस ट्विस्ट एड करता है, इसके साथ फिल्म फ्लैश बैक्स के जरिए आपके सामने परत-दर-परत खुलती है.
इश्वाक सिंह और अदा शर्मा की केमिस्ट्री बढ़िया है. दोनों ने अपने किरदारों को अच्छे से निभाया है. ईशा देओल को बड़े पर्दे पर दोबारा देखना अच्छा रहा. फिल्म में दिखाया कोर्टरूम ड्रामा आपको अपनी सीट से जुड़े रखता है. वहीं इंदिरा और अजय का एक दूसरे के लिए प्यार और कुछ करने का जज्बा आपका दिल छूता है. हर फिल्म की तरह इसमें भी कुछ कमियां हैं. लेकिन फिर भी ये आपका मनोरंजन करती है.