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बॉलीवुड स्टार विक्की कौशल का नया दमदार लुक इन दिनों फैन्स को बहुत इम्प्रेस कर रहा है. एक बार फिर जबरदस्त बॉडी बना चुके विक्की ने घनी-लंबी दाढ़ी भी रखी है और आजकल जहां जाते हैं, लोग उन्हें ही देखते रह जाते हैं. उनका ये लुक उनकी अगली फिल्म 'छावा' के लिए है, जो इस साल के अंत में रिलीज होगी.
पिछले साल विक्की की दो फिल्में 'जरा हटके जरा बचके' और 'सैम बहादुर' अच्छी हिट साबित हुई थीं. इस साल भी उनके खाते में 'छावा' और 'बैड न्यूज' जैसी दो बिल्कुल अलग और धमाका करने वाली फिल्में हैं. जहां 'छावा' एक बायोपिक और पीरियड ड्रामा फिल्म है, वहीं 'बैड न्यूज' एक मजेदार कहानी वाली कॉमेडी फिल्म है. विक्की के पूरे करियर का यही ट्रेंड रहा है कि उन्होंने लगातार बहुत अलग-अलग तरह की फिल्मों में अपनी एक्टिंग का दम दिखाया है.
उनके किरदारों और फिल्मों की रेंज इतनी बड़ी है कि ये यकीन करना मुश्किल है कि एक ही एक्टर ने इतनी वैरायटी का काम किया है. विक्की कौशल के 36वें जन्मदिन पर, आज डिकोड करते हैं कि उनमें ऐसा क्या है जो उन्हें उनकी जेनरेशन के बेस्ट एक्टर्स में से एक बनाता है...
1. एनर्जी और उसपर कंट्रोल
विक्की ने अपना डेब्यू 'मसान' से किया था. उनका किरदार छोटे शहर से आने वाले एक शांत स्वभाव वाले लड़के का था, जो इंटरनेट और दुनिया के मॉडर्न अंदाज को एक्सप्लोर कर रहा है. अपनी ब्रेकआउट हिट 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक' में उन्होंने एक आर्मी ऑफिसर का रोल किया.
इन दोनों किरदारों में आपको विक्की की एनर्जी बिलकुल अलग-अलग दिखेगी. जहां मसान में खुश होने और एक्साइटमेंट के मोमेंट्स में भी वो अपनी एनर्जी को, किरदार के हिसाब से संकोच के दायरे में बांध कर रखते हैं. वहीं 'उरी' में सोल्जर के रोल में कॉम्बैट फाइट्स में उनकी एनर्जी स्क्रीन पर तहलका मचा देती है.
2. भाषा पर पकड़
'मसान' देखने के बाद बहुत लोगों को ऐसा लगा कि इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के लड़के का रोल करने वाला ये एक्टर उत्तरप्रदेश से ही है. उनकी बोली में वो पूर्वी यूपी का एक्सेंट एकदम एक्यूरेट था. जबकि 'मनमर्जियां' में पंजाबी लड़के के रोल में उनका पंजाबी एक्सेंट भी एकदम परफेक्ट था. इसी फिल्म के इंटरव्यू में बहुत लोगों को ये पता लगा कि वो असल में पंजाबी बैकग्राउंड से ही आते हैं.
'राजी' में वो पाकिस्तानी आर्मी ऑफिसर के अंदाज में, सरहद पार के एक्सेंट में भी पूरी तरह कम्फर्टेबल थे. ये एक ऐसा फैक्टर है जो किरदारों को ऑथेंटिक बनाने में बहुत महत्वपूर्ण होता है. विक्की किरदार के हिसाब से, अपनी जुबान को 'कूल' और 'क्लासी' के बीच आराम से शिफ्ट कर लेते हैं. अब 'छावा' में छत्रपति संभाजी महाराज के रोल में विक्की की बोली में मराठी टच देखने को मिलने वाला है.
विक्की के क्राफ्ट में ये चीज थिएटर से आई है. थिएटर में किरदारों को डेवलप करने पर बहुत जोर दिया जाता है और उनकी भाषा को पकड़ना इसके लिए बहुत जरूरी होता है. विक्की ने मशहूर एक्टिंग टीचर किशोर नमित कपूर की एकेडमी, लेजेंड एक्टर नसीरूदीन शाह की मोटले प्रोडक्शन्स और मानव कौल के अरण्य ग्रुप में थिएटर किया है.
3. तगड़ा बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन
किरदारों की जरूरत के हिसाब से विक्की बॉडी ट्रांसफॉर्म करने में भी कमाल हैं. 'सरदार उधम' में शहीद क्रांतिकारी उधम सिंह की टीनेज के दिनों वाले सीन में विक्की को देखकर जनता हैरान रह गई थी. जबकि इसके ठीक उलट 'छावा' के लिए वो एकदम टोन्ड, मस्क्युलर बॉडी बना चुके हैं. किरदारों के हिसाब से अपनी बॉडी को ढालने में भी विक्की बहुत मेहनत करते हैं.
ये फिजिकल ट्रांसफॉर्मेशन विक्की के मेथड एक्टिंग प्रोसेस का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है. वो किरदारों के साथ फिजिकली ट्रांसफॉर्म होते हुए, उनके थॉट प्रोसेस को भी समझने पर पूरा काम करते हैं. 'रमण राघव 2.0' और 'सरदार उधम' जैसी फिल्मों में विक्की ने ये खूबी अच्छे से स्क्रीन पर पेश की है.
4. हर लुक में कमाल
नेटफ्लिक्स फिल्म 'लव पर स्क्वायर फीट' में विक्की ने मुंबई के लड़के का रोल किया था. यहां वो कूल, अर्बन स्टाइलिश अवतार में थे. पिछले साल आई बायोपिक 'सैम बहादुर' में विक्की आजादी से पहले के दौर वाले आउटफिट और ड्रेसिंग सेन्स के साथ भी कमाल लग रहे थे. 'मनमर्जियां' में सिंगर बनने का ख्वाब देख रहे पंजाबी लड़के के रोल में स्पाइकी बालों, स्टाइलिश दाढ़ी में वो एकदम ही अलग लग रहे थे. हर लुक में विक्की स्क्रीन पर उतने ही दमदार लगते हैं.
5. फिल्मों की चॉइस
2015 में डेब्यू करने वाले विक्की की फिल्मों की लिस्ट बहुत कमाल है. उन्होंने इमोशनल और सीरियस टोन वाली 'मसान' से शुरुआत की. 'राजी' एक स्पाई-ड्रामा थी जिसमें उनका रोल पाकिस्तानी आर्मी ऑफिसर का था. इसी के कुछ महीने बाद आई 'मनमर्जियां' लव ट्रायंगल वाली, रोमांटिक ड्रामा फिल्म थी. कुछ महीने बाद 'उरी' में वो आर्मी एक्शन करते नजर आए. विक्की की 'भूत' हॉरर ड्रामा थी, तो उसके बाद आई 'जरा हटके जरा बचके' एक फैमिली कॉमेडी. उनकी दो बायोपिक 'सरदार उधम' और 'सैम मानेकशॉ' भी एक दूसरे से बिल्कुल अलग स्टाइल की फिल्में थीं.
विक्की के 9 साल लम्बे करियर में उनके कोई दो रोल ऐसे नहीं हैं, जो एक जैसे कहे जा सकते हों. चाहे कहानी के हिसाब से देख लीजिए, लुक्स के हिसाब से या फिर बिहेवियर और थिंकिंग के हिसाब से.
इन 5 फैक्टर्स के दम पर विक्की सबसे बड़ा कमाल ये करते हैं कि वो हर किरदार में, अपने किरदार की तरह ही लगते हैं. उनके किरदारों में आप विक्की कौशल को नहीं खोज पाते. वो शुरुआत से ही फिल्म का स्टार बनने की जगह, कैरेक्टर आर्टिस्ट बनने पर फोकस ज्यादा करते हैं. जैसे- 'डंकी', 'संजू' और 'राजी' जैसी फिल्मों में उनके पास लीड रोल नहीं थे. इनमें वो लीड किरदारों की जर्नी में आने वाला एक महत्वपूर्ण किरदार निभा रहे थे और ये काम उन्होंने कितना बखूबी किया, ये हम सबने स्क्रीन पर देखा है. यही वजह है कि उन्हें हर बार एक नए रोल में मेकर्स इमेजिन कर पाते हैं.
2010 के बाद से बॉलीवुड में डेब्यू करने वाले बड़े नामों में रणवीर सिंह, कार्तिक आर्यन, आयुष्मान खुराना, राजकुमार राव और वरुण धवन और जैसे नाम हैं. इन सब एक्टर्स की रेंज बहुत अलग है, और इनकी फिल्में याद करें तो लगता है कि सभी एक दूसरे को रिप्लेस नहीं कर सकते. लेकिन विक्की ने जितना काम किया है उस हिसाब से वो अपने इन सारे साथियों के प्रोजेक्ट्स में काम करने लायक लगते हैं. उनमें रणवीर सिंह जैसी एनर्जी भी दिखती है और राजकुमार राव जैसा सीरियस एक्टिंग टैलेंट भी.
वो आयुष्मान खुराना की तरह छोटे शहरों वाले, सोशल समस्याओं की कहानी कहते किरदार भी कर सकते हैं और कार्तिक की तरह स्क्रीन पर जनता को चार्म भी कर सकते हैं. एक तरफ विक्की पूरी तरह उनके एक्टिंग टैलेंट का दम दिखाने वाली फिल्म भी कर सकते हैं, तो टिपिकल बॉलीवुड स्टाइल कमर्शियल फिल्म से बॉक्स ऑफिस पर बड़े आंकड़े भी जुटा सकते हैं. और उनकी ये कमाल की रेंज उन्हें लंबी रेस का घोड़ा बनाती है.