12वीं फेल, मुन्ना भाई एमबीबीएस जैसी सुपरहिट फिल्में बना चुके डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा अपनी राय बेबाक तरीके से सामने रखने में बिल्कुल भी हिचकिचाते नहीं हैं. वो मानते हैं कि मूवी मार्केटिंग के जरिए ऑडियन्स के आगे झूठ परोसा जा रहा है. मूवी मेकर्स खुद ही अपनी फिल्मों की टिकट खरीद कर बॉक्स ऑफिस फिगर्स से छेड़छाड़ करते हैं.
विधु ने कहा कि वो इंडस्ट्री के इवेंट्स प्रोग्राम्स से दूर रहते हैं, क्योंकि वो अपने दिमाग को खराब नहीं करना चाहते हैं. साथ ही कहा कि उन्हें अपनी नई फिल्म 'जीरो से रीस्टार्ट' की कमर्शियल परफॉर्मेंस के बारे में झूठ बोलने में कोई दिलचस्पी नहीं है.
बॉक्स ऑफिस को लेकर झूठ फैलाते हैं
विक्रांत मैसी स्टारर विधु की 12वीं फेल भी धीरे धीरे लोगों के जहन में उतरी थी. फिल्म के रिलीज होने के कई दिन बाद इसे पहचान मिल पाई. शुरुआत में फिल्म थियेटर्स में भीड़ जुटा पाने में नाकाम रही थी. एक इंटरव्यू में डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा फिल्म से जुड़ी कई बातों पर रोशनी डाली और बताया कि प्रमोशनल गिम्मीक से वो क्यों दूर रहते हैं.
विधु ने कहा- आजकल मार्केटिंग सिर्फ झूठ है. वो इंफ्लुएंसर्स को पैसे देकर उनसे कुछ भी कहलवाते हैं. सब झूठ है. फिर, उनके शो खाली चल रहे होते हैं, इसलिए वो खुद टिकट खरीदते हैं और बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के बारे में झूठ फैलाते हैं. मैं ईमानदारी से स्वीकार करता हूं कि कल मेरी फिल्म रिलीज हुई थी और बहुत कम लोग आए. कोई भी टेलीविजन पर ये स्वीकार नहीं करेगा कि उनकी फिल्म ओपनिंग में असफल रही.
जब बेटी से हुई बात
इसी के साथ विधु ने अपनी आने वाली फिल्म पर बात की और कहा- वो अपनी असली पहचान को कम नहीं करना चाहते हैं. मेरी बेटी स्टैनफोर्ड में पढ़ रही है. मैं आज सुबह उठा और एक गाना गा रहा था. मैंने उसे फोन किया और बताया, 'कोई भी मेरी फिल्म देखने नहीं गया.' उसने कहा, क्या आप चाहते हैं कि मैं आपके साथ हमदर्दी रखूं या आप जो कह रहे हैं उससे इंस्पायर होऊं?' मैंने कहा, 'मैं चाहता हूं कि तुम इंस्पायर हो.'
विधु ने कहा कि किसी फिल्म की सफलता का इकलौता सही संकेत सिर्फ वर्ड ऑफ माउथ ही होता है. उन्होंने कहा कि वो इंडस्ट्री के प्रोग्राम्स से दूर रहना पसंद करते हैं, ताकि खुद के दिमाग को बर्बाद न कर बैठें. वो बोले- मैं अक्सर बाहर नहीं जाता. मैं अवॉर्ड लेने भी नहीं जाता. मैं खुद को सभी तरह के कचरे से बचाना चाहता हूं. हम सभी पवित्र पैदा होते हैं, और धीरे-धीरे, समय के साथ, हम अशुद्ध हो जाते हैं. मैं इससे बचना चाहता हूं.