scorecardresearch
 

सालों से साउथ सुपरस्टार Rajinikanth का इंतजार कर रहा ये गांव! खास है एक्टर से कनेक्शन

सुपरस्टार रजनीकांत को दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया है. इस पुरस्कार की घोषणा अप्रैल में रजनीकांत को की गई थी. इसके बाद से उनके फैंस काफी उत्साहित हैं. आज उन्हें उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के हाथों पुरस्कार से सम्मानित किया गया. दक्षिण में सुपरडुपर स्टार बन चुके रजनीकांत के मूल गांव मावड़ी कडेपाथर में भी यही उत्साह है.

Advertisement
X
रजनीकांत
रजनीकांत
स्टोरी हाइलाइट्स
  • महाराष्ट्र में है रजनीकांत का गांव
  • गांववालों को उम्मीद की आएंगे मिलने सुपरस्टार

साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत के फैन्स देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हैं. लेकिन महाराष्ट्र के पुणे जिले का पूरा गांव सालों से रजनीकांत के आने का इंतजार कर रहा है. जी हां, महाराष्ट्र में एक ऐसा गांव है जो सुपरस्टार रजनीकांत के पूर्वजों इस गांव की मिट्टी से जुड़े हैं. सुपरस्टार रजनीकांत को हाल ही में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया है. इस पुरस्कार की घोषणा अप्रैल में की गई थी. इसके बाद से उनके फैंस काफी उत्साहित हैं. आज उन्हें उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के हाथों पुरस्कार से सम्मानित किया गया. दक्षिण में सुपरडुपर स्टार बन चुके रजनीकांत के मूल गांव मावड़ी कडेपाथर में भी यही उत्साह है.

Advertisement

रजनीकांत की सफलता से खुश ग्रामीण

रजनीकांत का असली नाम शिवाजी गायकवाड़ है जो पूरी दुनिया में रजनीकांत के नाम से जाने जाते हैं. बताया जा रहा है कि, महाराष्ट्र के पुणे जिले के मावड़ी कडेपाथर में उनके पूर्वजों का पैतृक गांव है. सिनेमा में रजनीकांत की सफलता से मावड़ी कडेपाथर गांव के ग्रामीण बेहद गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. यहां के लोग गर्व से उनकी सफलता की कहानियां साझा करते हैं.

 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

A post shared by Rajinikanth (@rajinikanth)

इस गांव में गायकवाड़ परिवार के 30 से 35 घर हैं. यहां गायकवाड़ परिवार के लोगों का कहना है कि वे रजनीकांत के रिश्तेदार हैं. यहां रजनीकांत के दादाजी का घर और जगह है. हालांकि, यह वर्तमान में खंडहर में तब्दील हो चुका है. यहां के बबन भाऊसाहेब गायकवाड़ रजनीकांत के चचेरे भाई होने का दावा कर रहे हैं. रजनीकांत के दादा काम के सिलसिले में बागेवाड़ी गए थे. उसके बाद उनके पिता कई बार मावड़ी कडेपाथर आए और वहां आठ-आठ दिन तक रहे. रजनीकांत कभी गांव नहीं आए. लेकिन रजनीकांत के पिता बागेवाड़ी से कोल्हापुर एसटी बस में कंडक्टर के रूप में काम करने की अपनी यादें साझा करते थे.

Advertisement
रजनीकांत का गांव
रजनीकांत का गांव

100-150 साल पहले आए थे रजनीकांत के पूर्वज

ग्रामीणों के अनुसार, रजनीकांत के दादा काफी सालों पहले(100-150 साल) काम की तलाश में मावड़ी कदेपाथर गांव में अपना घर और गांव छोड़कर कर्नाटक के विजयपुरा जिले के बागेवाड़ी में बस गए थे. कहा जाता है कि वह वहां से बेंगलुरु गये थे. मावड़ी गांव के लोग अक्सर रजनीकांत से मिलने की कोशिश करते रहे हैं. जब रजनीकांत रोबोट फिल्म के शूटिंग के सिलसिले मे पुणे स्टेशन आये तब ग्रामीणों ने उन्हें मिलने की कोशिश की. लोनावला इलाके में शूटिंग कर रहे थे तभी गांव वाले उनसे मिलने लोनावला गए हुए थे. 

रजनीकांत का गांव
रजनीकांत का गांव

67th National Award: रजनीकांत को दादा साहेब फाल्के अवार्ड, मनोज बाजपेयी बेस्ट एक्टर अवार्ड से सम्मानित

उस वक्त रजनीकांत ने गांव के लोगों से मराठी में बातचीत की. उनके चाय-नाश्ते की व्यवस्था की. उस समय उनसे मिलने गए लोगों ने रजनीकांत से उनके पूर्वजों के गांव मावड़ी कडेपाथर जाने का अनुरोध किया था. रजनीकांत ने भी अपनी सहमति दे दी थी. हालांकि, आगे कोई संपर्क नहीं हुआ. इसलिए रजनीकांत का अपने गृहनगर जाने का सपना था. लेकिन आज भी पूरे गांव को उम्मीद है कि एक दिन सुपरस्टार रजनीकांत गांव आएंगे.

 

Advertisement
Advertisement