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आखिर क्यों चुना 'क्योंकि सास भी कभी बहू' का टाइटिल ट्रैक? सास बहू फ्लेमिंगो स्टार्स ने बताया

एक वक्त था, जब शाम होते ही ज्यादातर घरों में एकता कपूर के शो क्योंकि सास भी कभी बहू थी का टाइटिल ट्रैक एक साथ सुनाई पड़ता था. जब होमी आदजानिया ने इस आइकॉनिक सॉन्ग के साथ अपनी अपकमिंग सीरीज सास बहू और फ्लेमिंगो को प्रेजेंट किया, तो दर्शक हैरान हो गए थे.

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सास बहू और फ्लेमिंगो पोस्टर
सास बहू और फ्लेमिंगो पोस्टर

जब सास बहू फ्लेमिंगो का टीजर रिलीज किया गया था, तो उस वक्त इसके टाइटिल ट्रैक ने लोगों को हैरान किया था. दरअसल एकता कपूर के आइकॉनिक सीरियल क्योंकि सास भी कभी बहू थी के टाइटिल ट्रैक को इस एक्शन ड्रीवन सीरीज के लिए क्यों चुना गया है, खुद फिल्म की स्टार कास्ट ने बताया. 

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रिश्तों के भी रूप बदलते हैं.. 

इस सॉन्ग के सिलेक्शन के पीछे की स्टोरी पर अंगीरा बताती हैं, सास बहू फ्लेमिंगो की मार्केटिंग कैंपेन को उसके कॉन्सेप्ट की ही तरह यूनिक तरीके से डिजाइन किया गया था. हॉटस्टार और पूरी टीम ने बहुत ही खूबसूरती से इसके प्रमोशन में काम किया है. मुझे जहां तक पता है, होमी (डायरेक्टर) को आकर दिनेश विजन (प्रोड्यूसर) ने कहा था कि क्यों न हम इस सीरीज के लिए टीवी सीरियल के आइकॉनिक सॉन्ग को एक्सप्लोर करें. यह वाकई में रिलेटेबल साउंड ट्रैक रहा है. मतलब जिन लोगों ने इस टीवी शो को नहीं भी देखा है, उन्हें भी पता है. एक वक्त था, जब पूरे मोहल्ले में रात के वक्त हर घर से इस गाने की आवाज आती थी. मुझे तो लगता है कि यह जीनियस आइडिया है. उम्मीद के मुताबिक ही रिस्पॉन्स भी मिला. जब पहला टीजर इस गाने के साथ आया, तो हर किसी का रिस्पॉन्स सरप्राइज भरा था. हां, बस फर्क इतना है कि वहां आरती के साथ स्मृति ईरानी आपका स्वागत किया करती थी और हम यहां बंदूक और गोलियों से लोगों को वेलकम कर रहे हैं. 

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होमी अदजानिया को बताया फिल्म स्कूल 

होमी अदजानिया संग काम करने के एक्सपीरियंस पर अंगीरा कहती हैं, वो चलते फिरते फिल्म स्कूल की तरह हैं. मुझे तो लगा ही नहीं कि मैं शूटिंग कर रही हूं, बल्कि मैं तो समझती थी कि रोजाना मेरी ट्रेनिंग चल रही है और मैं कुछ नया सीख रही हूं. सबसे अच्छी बात यह रही कि हम उस वक्त कोविड की वजह से बायो बबल में शूट कर रहे थे, तो होमी हमारे आसपास ही होते थे. होमी जैसे कैप्टेन के साथ काम करने का एक्सपीरियंस शायद ही मैं कभी भूल पाऊं. 

ईशा तलवार होमी संग अपनी शूटिंग के अनुभव पर कहती हैं, आज से सात-आठ साल पहले मैंने होमी के किसी फिल्म के लिए ऑडिशन दिया था. कमाल की बात है कि होमी खुद ऑडिशन लेने आए थे. हालांकि मेरा सिलेक्शन हुआ नहीं और वो प्रॉजेक्ट बनी भी नहीं. आखिर जो हाता है, अच्छे के लिए होता है. एक लंबे समय के बाद उन्होंने मुझे इस पावरफुल प्रॉजेक्ट में मौका दिया है. सेट पर उनकी एनर्जी बहुत अलग होती है. वो सुबह चार बजे ही सेट पर पहुंच जाते थे. उन्होंने हर किरदार पर डिटेलिंग में काम किया है. वो परफेक्ट सीन्स के साथ-साथ लुक पर भी पूरी तरह फोकस करते हैं. 

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उदित अरोड़ा कहते हैं, मैंने इस किरदार के लिए पांच से छ राउंड में ऑडिशन दिया था. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ये डायरेक्टर मुझसे चाहता क्या है. हालांकि बाद में अहसास हुआ कि वे महज डायरेक्टर ही नहीं एक्टिंग कोच भी हैं. वो किरदार क्या करेगा इस पर तो फोकस करते हैं साथ ही यह भी ख्याल रखते हैं कि उसे क्या नहीं करना है. मैं मानता हूं कि उनके साथ काम करना वाकई में इंस्टीट्यूट जाकर पढ़ाई करने जैसा है. इतना ही नहीं, उन्होंने एक एक्टर के तौर पर मेरी क्रिएटिव लिबर्टी को भी रिस्पेक्ट किया है. मेरे कई सजेशन को समझा है. 

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