सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने दुनिया से विदा ले ली है. 92 वर्षीय लता कोरोना से संक्रमित थीं और लगभग एक महीने से उनका इलाज चल रहा था. वे ब्रीच कैंडी असपताल में भर्ती थीं. उम्र के इस पड़ाव पर बीमारी से जूझने के बाद आखिरकार लता ने अपनी आंखें हमेशा के लिए मूंद ली हैं. उनके निधन के बाद लता मंगेशकर के कई अनसुने किस्से लोगों के जेहन में उनकी याद ताजा कर रहे हैं. इनमें से एक वाकया हम आपको बताते हैं.
अगर कोई लता मंगेशकर की किसी चीज की बहुत तारीफ कर देता था, तो लता वो चीज उसे दे देती थी. उन दिनों फिल्म ‘महल’ बन रही थी. फिल्म के एक गाने के लिए हुई बैठक में गीतकार नक्शाब ने लता की चमचमाती नई कलम की बहुत तारीफ की. ‘लीजिए इसे आप रखिए’ ये कहते हुए लता ने ये कलम उन्हें थमा दी थी.
जब लता जी को लेकर की गईं गलत बातें
लेकिन लता भूल गईं कि उस कलम पर उनका नाम खुदा हुआ था. उन्हें बिल्कुल इल्म नहीं था कि इस गीतकार का इरादा कुछ और है. नक्शाब ने ‘लता’ के नाम वाली कलम फिल्म इंडस्ट्री में सबको दिखानी शुरू कर दी कि उन दोनों के बीच ‘कुछ चल रहा है.’ लता ने इस मामले में चुप रहना ही ठीक समझा, क्योंकि वे जानती थीं कि अगर वे उन्हें झूठा साबित करने की कोशिश करेंगी, तो बवाल और बढ़ेगा और लोग मज़ा लेंगे.
एक और रिकॉर्डिंग में नक्शाब फिर से टकराए. वे ये जताने को डेस्परेट थे कि लता उनके प्यार में पड़ गई हैं. इसलिए रिकॉर्डिंग शुरू होने के बाद वो बीच-बीच में उनके बूथ में घुस जाते थे और उनसे डूबकर गाने पर जोर देते थे. ‘इन लाइनों में इतनी मुहब्बत भर दो कि ऐसा लगे कि तुम अपने प्रेमी के सामने बिना शर्त समर्पण कर रही हो.’ लता ने यहां भी अपना गुस्सा पी लिया था.
प्यार में पड़े गीतकार को सिखाया सबक
लेकिन उस दिन तो हद हो गई जब ये गीतकार अचानक लता के घर पहुंच गए. लता अपने नाना चौक वाले घर के अहाते में बहनों के साथ खेल रही थीं. उस समय वे महज हंसती-खेलती किशोरी ही तो थीं. इस बारे में बात करते हुए लता जी ने बताया था, 'अगर मैं अकेली होती तो उनके आने से दिक्कत में पड़ सकती थी, लेकिन अपनी बहनों के सामने मैं उस चिपकू आदमी से एक शब्द भी नहीं सुनना चाहती थी. मैं उन्हें सड़क पर ले गई. गुस्से में साड़ी का पल्लू कमर में खोंसते हुए मैंने पूछा कि मेरी इजाजत के बिना मेरे घर आने की उनकी हिम्मत कैसे हुई. मैंने उन्हें धमकाया, ‘अगर मैंने दोबारा तुम्हें यहां देखा तो तुम्हारे टुकड़े-टुकड़े कर इस गटर में फेंक दूंगी. ये मत भूलना कि मैं मराठा हूं.'