
हिट वेब सीरीज 'स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी' के मेकर्स ने अपने दूसरे सीजन का ऐलान कर दिया है. सोनीलिव के व्यूअर्स के लिए यह बहुत बड़ी खुशखबरी है. इस वेब सीरीज का नाम 'स्कैम 2003: द तेलगी स्टोरी' होगा. इस फ्रेंचाइजी का पहला सीजन साल 1992 में हुए इंडियन स्टॉक मार्केट स्कैम पर आधारित था तो वहीं, इसका जूसरा सीजन अब्दुल करीम तेलगी की स्टोरी को दिखाएगा, जिसने साल 2003 में स्टैंप पेपर स्कैम किया था. इस सीजन को भी हर्ष मेहता ही डायरेक्ट करेंगे.
वेब सीरीज के दूसरे सीजन का पूरा नाम 'स्कैम 2003: द क्यूरियस केस ऑफ अब्दुल करीम तेलगी' बताया जा रहा है. यह एक हिंदी बुक पर आधारित सीरीज होने वाली है. किताब का नाम है 'रिपोर्टर की डायरी', जिसे लिखा है जर्नलिस्ट संजय सिंह ने. संजय सिंह ने ही यह स्कैम स्टोरी मीडिया में ब्रेक की थी. इसका पूरा श्रय संजय सिंह को ही जाता है.
कौन थे अब्दुल करीम तेलगी?
अब्दुल करीम तेलगी पर साल 2001 में स्टैंप पेपर स्कैम का आरोप लगा था. स्कैम की इस स्टोरी से पूरा देश हिल गया था. अब्दुल करीम तेलगी को इसी साल जेल की हवा भी खानी पड़ी थी. साल 2018 में महाराष्ट्र के नाशिक सेशन कोर्ट ने अब्दुल करीम तेलगी और छह अन्य साथियों को इस केस में आरोपी छहराया गया था. सभी के खिलाफ ठोस सबूत मिले थे. हालांकि, तेलगी का निधन साल 2017 में ही हो गया था.
20 हजार करोड़ के स्टैंप पेपर घोटाले के दोषी अब्दुल करीम तेलगी की अस्पताल में मौत
अब्दुल करीम तेलगी कर्नाटक के खानापुर के रहने वाले थे. इनके पिता इंडियन रेलवे में कार्यरत थे. जब अब्दुल करीम तेलगी बहुत छोटे थे, तभी इनके पिता का निधन हो गया था. पिता के जाने के बाद परिवार को सब्जी, फल और मूंगफली बेचकर काम चलाना पड़ा था. ट्रेन में ही वह यह सब बेचा करते थे. तेलगी ने अपनी स्कूलिंग लोकल सर्वोदय विद्यालय से पूरी की थी. इसके बाद बी कॉम की डिग्री हासिल करने के लिए वह बेलगाम के एक कॉलेज गए. इसके बाद कमाई करने के लिए वह मुंबई गए. मुंबई में कुछ समय बिताने के बाद अब्दुल करीम तेलगी साउदी शिफ्ट हो गए, जिससे वह जीवन में और पैसा और शोहरत कमा सकें. कुछ सालों बाद वह मुंबई वापस आए और खुद को बिजनेस शुरू किया. यह बिजनेस फेस स्टैंप और स्टैंप पेपर का उन्होंने शुरू किया.
कैसे की इस बिजनेस की शुरुआत?
अब्दुल करीम तेलगी जब सउदी से मुंबई वापस आए तो वह पहले ट्रैवल एजेंट बने. अपने मन से कई डॉक्यूमेंट्स और स्टैम पेपर्स बनाए, जिससे वह सउदी अरेबिया में लोगों को भेज सकें. साल 1993 में इमिग्रेशन अथॉरिटी ने अब्दुल करीम तेलगी के एक्शन्स पर नजर रखनी शुरू कर दी. इसी साल अब्दुल करीम तेलगी को जेल की हवा खानी पड़ी. उनपर चीटिंग और जालसाजी का आरोप लगा. इसके लिए अब्दुल करीम तेलगी को साउथ मुंबई के एमआरए मार्ग पुलिस स्टेशन में कई रातें बितानी पड़ीं.
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कस्टडी में होने के दौरान अब्दुल करीम तेलगी की मुलाकात राम रतन सोनी से हुई. यह एक सरकारी स्टैंप वेंडर थे जो कोलकाता से ताल्लुक रखते थे और वहीं से यह काम संभालते थे. जेल के अंदर ही दोनों के बीच स्कैम के इस बड़े आइडिया ने जन्म लिया. सोनी ने अब्दुल करीम तेलगी को ही यह स्टैंप और गैर न्यायिक स्टैंप पेपर बेचने के लिए कहा, जिसके बदले में उन्होंने कमिशन की डिमांड की. इसके बाद जाकर शुरू हुआ स्टैंप पेपर स्कैम.
क्या है स्टैंप पेपर स्कैम?
साल 1994 में सोनी संग काम करते हुए अब्दुल करीम तेलगी ने अपने कनेक्शन्स का सहारा लिया और लाइसेंस लेकर एक लीगल स्टैंप वेंडर बन गए. अब्दुल करीम तेलगी और सोनी ने मिलकर कई जाली स्टैंप पेपर्स तैयार किए और अपने बिजनेस को बढ़ाने लगे. अब्दुल करीम तेलगी असली स्टैंप पेपर्स को फेस पेपर्स के साथ मिक्स करने लगे. इनपर भारी मुनाफा कमाने लगे. फेस स्टैंप बिजनेस से खूब पैसा कमाया और खुद के कई साइड बिजनेस शुरू किए.
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साल 1995 में अब्दुल करीम तेलगी और सोनी ने अपने रास्ते अलग कर लिए. इस दौरान अब्दुल करीम तेलगी एक बार फिर मुश्किल में आ फंसे. मुंबई पुलिस ने अब्दुल करीम तेलगी के खिलाफ फेक स्टैंप बेचने के आरोप में केस दाखिल किया. इनका लाइसेंस कैंसिल हो गया, लेकिन अब्दुल करीम तेलगी अपने काम में इतने माहिर हो चुके थे कि इससे उन्हें कैसे निकलना है, वह अच्छी तरह जानते थे. उन्होंने अपनी प्रेस कंपनी खड़ी की. साल 1996 में अब्दुल करीम तेलगी ने अपने कनेक्शन्स से पावरफुल लोगों को हायर किया और मिंट रोड स्थित अपनी प्रेस खोली. लिंक्स का इस्तेमाल करके उन्होंने कई मशीन्स खरीदीं. यह सभी मशीन्स पुराने ढंग की बनी थीं. धीरे-धीरे इनका बिजनेस बाकी के शहरों में भी फैलने लगा. कई लोग फेक स्टैंप और स्टैंप पेपर्स की खरीद करने लगे. कई जगह इन स्टैप पेपर्स को गलत ढंग से प्रॉपर्टी को रजिस्टर तक करने के लिए इस्तेमाल में लाया गया. फेक इन्श्यूरेंस डॉक्यूमेंट्स बनाए गए. 90 के दशक में अब्दुल करीम तेलगी का बिजनेस करोड़ों रुपये का हो गया.
कैसे हुई थी गिरफ्तारी और मौत?
साल 2001 में अजमेर में अब्दुल करीम तेलगी को पुलिस कस्टडी में लिया गया. इनकी गिरफ्तारी उन दो लोगों के कारण हुई जो बेंगलुरु में साल 2000 में फेक स्टैप पेपर्स बेचते हुए पकड़े गए थे. इन दो लोगों की गिरफ्तारी के बाद यह पूरा स्कैम सामने आया. केस को सीबीआई को सौंप दिया गया. पाया गया कि अब्दुल करीम तेलगी की देशभर में 36 प्रॉपर्टीज हैं. 100 से ज्यादा बैंक खाते हैं जो 18 देशों में खोले गए हैं.
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साल 2003 में सोशल एक्टिविस्ट अन्ना हजारे ने भी अब्दुल करीम तेलगी के खिलाफ कोर्ट में एक याचिका फाइल की थी. यह स्कैम 20 हजार करोड़ का था, जिसने पूरे देश को हिला दिया था. साल 2006 में अब्दुल करीम तेलगी और उनके बाकी के साथियों को 30 साल की सजा हुई. सभी पर 202 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया. साल 2017 में अब्दुल करीम तेलगी का मल्टीपल ऑर्गन फैल्यर से निधन हो गया. उन्हें बैंगलुरु के सरकारी अस्पताल लेकर जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया था.