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क्यों टूटी सलीम खान-जावेद अख्तर की जोड़ी, क्या पैसों-क्रेडिट को लेकर हुई थी लड़ाई?

सलीम और जावेद की पार्टनरशिप 12 साल तक चली थी, इसे उन्होंने 1982 में खत्म कर दिया था. दोनों ने मिलकर शोले, दीवार, जंजीर और डॉन जैसी अनगिनत कल्ट क्लासिक और सुपरहिट फिल्में दी हैं. लेकिन फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि दोनों ने अपने रास्ते अलग कर लिए.

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जावेद अख्तर
जावेद अख्तर

सलीम खान-जावेद अख्तर कभी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की सबसे हिट जोड़ियों में शुमार की जाती थी. दोनों ने मिलकर शोले, दीवार, जंजीर और डॉन जैसी अनगिनत कल्ट क्लासिक और सुपरहिट फिल्में दी हैं. लेकिन फिर अचानक ऐसा क्या हुआ कि दोनों ने अपने रास्ते अलग कर लिए. इनकी जोड़ी टूट गई. इस पर जावेद अख्तर ने हाल ही में बात की. जावेद ने बताया कि कैसे दोनों के बीच की दूरी बढ़ गई और रिश्ता कमजोर होते चला गया. 

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सलीम और जावेद की पार्टनरशिप 12 साल तक चली थी, इसे उन्होंने 1982 में खत्म कर दिया था. बरखा दत्त को दिए इंटरव्यू में जावेद ने वजह रिवील करते हुए कहा कि इसके लिए बहुत स्ट्रॉन्ग मेंटल सपोर्ट चाहिए होता है, जो दोनों के बीच कभी हुआ करता था. 

क्यों टूटा 12 साल का रिश्ता?

जावेद बोले- एक सीमेंट फैक्ट्री की पार्टनरशिप आसान होती है, क्योंकि आपको पता होता है कि उसका प्राइस कितना है. बनने में कितना लगेगा, मार्केट में कितना लगेगा. तो अगर आप डिसेंट लोग हैं तो आप अपने पार्टनर से फॉरमल रिलेशन बना सकते हैं. आपका बिजनेस चलता रहेगा. लेकिन इसके उलट अगर आप राइटिंग बिजनेस को देखें तो ये अलग ही गेम है. आपके पास कोई स्केल नहीं होता, ना ही कोई वजन नापने वाली मशीन होती है. ये सिर्फ फीलिंग पर चलती है. 

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आपके अंदर जबरदस्त मेंटल सपोर्ट होना चाहिए ताकि आप उस सीन को समझ सकें और फिर उसे आपसी समझ से डेवलप कर सकें. इसके बाद साथ में उस अंत तक पहुंचें जो कि अच्छा निकले. जब तक आपके पास जबरदस्त मानसिक तालमेल है तब तक आप लोग मिलकर काम कर सकते हैं. जिस पल वो तालमेल टूट जाता है या कमजोर हो जाता है, आप एक साथ काम नहीं कर सकते. 

क्रेडिट को लेकर हुई लड़ाई?

पूछे जाने पर कि सलीम से कैसे ये तालमेल टूटा तो वो बोले- जब हमने शुरुआत की थी तो हम दोनों नए थे, कोई नहीं जानता था. हम सिर्फ एक-दूसरे के थे. इसलिए, हम एक साथ काफी समय बिताते थे, समुद्र के किनारे बैठते, कहानियों के बारे में बात करते. वो मेरे कमरे में आता था, मेरे पास एक पेइंग गेस्ट रूम था, या मैं उसके घर में जाता था, जो छोटा था. लेकिन जब आप बड़े हो जाते हैं, अधिक सफल हो जाते हैं, तो आपके जीवन में कई और लोग आ जाते हैं. फिर वे सभी इच्छाएं जो छुपी हुई थीं, वे सभी रुचियां जो अब तक नहीं थीं...जिस पल आपने कुछ ऐसा किया जो आप हमेशा से चाहते थे, आप सैटिस्फाई हो जाते हैं तो आप वो सब करने लगते हैं जिन्हें आपने अब तक छुपा कर रखा था.

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तो, आप अलग-अलग तरह के लोगों से मिलना शुरू करते हैं और फिर धीरे-धीरे आप अलग-अलग लोग बन जाते हैं और यही हुआ. हमने लड़ाई नहीं की, क्रेडिट को लेकर कोई मुद्दा नहीं था, पैसे को लेकर कभी कोई मुद्दा नहीं था, कुछ भी नहीं था. हम बस अलग हो गए. एहसास हुआ कि अब रिश्ता नहीं रहा, अब हम शाम को साथ नहीं बैठते, हमारे अपने दोस्त हैं. धीरे-धीरे ऐसा हुआ और तालमेल कमजोर हो गया और इसका असर हमारे काम पर भी पड़ा. 

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