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करवाचौथ पर रत्ना पाठक ने उठाए थे सवाल, राजेश कुमार बोले- बात रखने की आजादी है मगर...

टीवी के पॉपुलर शो साराभाई वर्सेस साराभाई के एक्टर राजेश कुमार ने शो की एक्ट्रेस रत्ना पाठक के करवा चौथ वाले बयान पर अपनी राय रखी है. उनका कहना है कि कुछ लोग किसी चीज को जाने बिना ही उस पर अपना ओपिनियन बना लेते हैं, जो कि बिल्कुल गलत है.

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राजेश कुमार और रत्ना पाठक
राजेश कुमार और रत्ना पाठक

टीवी के पॉपुलर शो साराभाई वर्सेस साराभाई के एक्टर राजेश कुमार ने शो की एक्ट्रेस रत्ना पाठक के करवा चौथ वाले बयान पर अपनी राय रखी है. रत्ना पाठक ने 2022 में कहा था कि आज की मॉर्डन महिला भी परंपराओं के चक्कर में फंसी हैं. एक्टर ने इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि हर किसी को अपनी बात रखने की आजादी है, लेकिन रत्ना जैसी लिबरल महिला बेवजह भारतीय संस्कृति और कल्चर पर सवाल उठाती रहती हैं.

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किसी चीज को बिना जाने उस पर सवाल उठाना गलत है

एक इंटरव्यू में राजेश कहते हैं, 'रत्ना काफी ज्यादा एजुकेटेड है और लिबरल भी हैं. इस तरह की महिलाओं की अपनी एक अलग राय होती है और ये अक्सर परम्पराओं को लेकर सवाल करती रहती हैं. हमारे यहां जो पर्व-त्योहार मनाए जाते है, चाहे करवाचौथ हो या रमजान हो या ईद सब चांद और सूरज की गति के अनुसार मनाए जाते हैं. अगर इसके बारे में भी लोगों को पढ़ाया जाए तो इस तरह के सवाल उठने बंद हो जाएंगे.

एक्टर आगे कहते हैं, कुछ लोग किसी चीज को जाने बिना ही उस पर अपना ओपिनियन बना लेते हैं. आप कुछ जानते हैं तो इसका मतलब ये नहीं हुआ कि आप सब कुछ जानते हैं. कुछ चीज जो सदियों से चलती आ रही है, उसे हम अचानक बिना जाने-समझे गलत नहीं कह सकते.

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एक्ट्रेस रत्ना ने करवा चौथ पर उठाया था सवाल

2022 में एक्ट्रेस रत्ना पाठक ने करवा चौथ पर सवाल किया था जिसे लेकर उन्हें सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल भी किया गया था. पिंकविला से बातचीत में रत्ना ने कहा था कि हमारी सोसायटी कुछ ज्यादा ही कंजर्वेटिव होती जा रही है. हमें ये एहसास कराया जा रहा है कि धर्म हमारे लाइफ का सबसे अहम हिस्सा है. मुझसे अब तक किसी ने नहीं पूछा था कि करवा चौथ का व्रत नहीं कर रहे आप? लेकिन पिछले साल पहली बार मुझसे पूछा गया था.

इस पर मैंने कहा था कि क्या मैं पागल हूं? भारतीय महिला पति की लंबी उम्र क लिए करवा चौथ रखती हैं, ताकि पति उन्हें अपने लाइफ में कुछ इंपॉर्टेंस दे. भारत में आज भी विधवाओं को बेचारी की नजर से देखा जाता है. जबकि, हम 21वीं शताब्दी में जी रहे हैं.

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