हम सभी ने अभी तक बॉलीवुड में ना जाने कितनी ही अंडरडॉग्स वाली फिल्में देखी होंगी. अक्सर उन सभी फिल्मों का प्लॉट बड़ा साधारण सा होता है. जिसमें एक किरदार अपनी इज्जत पाने के लिए पूरे समाज से लड़कर जीत हासिल करने की कोशिश करता है और अंत में जीत पा लेता है. उन फिल्मों को अलग-अलग तरीके से कई बार हमारे सामने पेश किया गया. लेकिन उनमें से कुछ ही बॉक्स ऑफिस पर चल पाईं. आज के समय में बॉक्स ऑफिस पर फिल्मों का चलना भी एक बड़ी बात बन गई है.
ऑडियंस थिएटर में सिर्फ उन्हीं फिल्मों को देखने जाती है जिनके अंदर मास-एक्शन और दमदार डायलॉग्स की भरमार हो. पिछले काफी समय से सिर्फ मसाला एंटरटेनर फिल्में ही बॉक्स ऑफिस पर राज कर रही हैं. लेकिन इस बीच फिल्ममेकर अभिषेक कपूर एक अनोखी कहानी हम सभी के बीच लेकर आए हैं जिसमें एक घोड़ा फिल्म का हीरो है. उनकी फिल्म 'आजाद' जिससे दो नए एक्टर्स अमन देवगन और राशा थडानी अपना डेब्यू कर रहे हैं आज थिएटर्स में रिलीज हो गई है. कैसी है फिल्म, पढ़िए हमारा ये रिव्यू.
क्या है 'आजाद' की कहानी
फिल्म की कहानी साल 1920 की है जब भारत के लोग अपनी आजादी की लड़ाई अंग्रेजों से लड़ रहे थे. वहीं मध्य भारत में एक लड़का गोविंद (अमन देवगन) है जो अपने पिता के साथ शाही परिवार का अस्तबल संभालता है. उसकी मुलाकात जानकी (राशा थडानी) नाम की लड़की से होती है जो उसी शाही परिवार की बेटी है. इस कहानी में एक डाकू भी है जिसका नाम विक्रम सिंह (अजय देवगन) है. वो अंग्रेजों के जुल्म से गरीबों को बचाकर खुद को बागी बुलाता है. उसके पास एक बड़ा खूबसूरत सा घोड़ा भी है जिसका नाम आजाद है. एक बार गोविंद से एक ऐसी गलती हो जाती है जिसके कारण उसे अपने गांव से भागना पड़ता है.
भागते-भागते वो कहीं दूर पहुंच जाता है और उसकी मुलाकात आजाद से हो जाती है. वो उसके मोह में डाकू विक्रम सिंह का साथी भी बन जाता है. गोविंद के मन में आजाद की सवारी करने की चाह उठती है. लेकिन आजाद अपने सरदार के अलावा किसी और इंसान को अपने आसपास भटकने भी नहीं देता. इतने में गांव वालों पर भी मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है. उन्हें कई गुना कर्ज अंग्रेजों को चुकाना है जिसे अगर उन्होंने नहीं चुकाया तो उन्हें भारी नुकसान भरना पडे़गा. अब क्या गोविंद आजाद की सवारी कर पाता है और अगर हां तो क्या वो गांववालों को उस मुसीबत से निकाल पाता है या नहीं, ये तो आप जब फिल्म देखेंगे आप खुद जान जाएंगे.
फीका है स्क्रीनप्ले, कहानी में नहीं दम
फिल्म की लंबाई एक समय पर जरूरत के मुकाबले काफी ज्यादा लगने लगती है. फिल्म लगभग 2.30 घंटे की है जिसमें आधा टाइम सिर्फ कहानी को बिल्डअप करने में लगाया गया है. फिल्म जिस समय इंटरवल पर खत्म होती है, वो काफी अजीब लगता है. डायरेक्टर ने एक अनोखे घोड़े की कहानी सुनाने की कोशिश जरूर की लेकिन वो उसमें नाकामयाब दिखे. उनकी फिल्म में काफी हद तक सबकुछ फीका सा ही लगा. फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी ठीक ठाक ही है जो फिल्म को संभालने की कोशिश करता है मगर काम नहीं कर पाता.
फिल्म में कुछ नयापन नहीं है जो आपको थिएटर्स की तरफ खींच सके. क्लाइमैक्स भी सभी को पता ही होता है कि आगे होना क्या है. अमन देवगन का किरदार क्या करने वाला है और कैसे करेगा वो सबकुछ आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता था. अभिषेक कपूर ने इससे पहले 'रॉक ऑन' और 'काई पो छे' जैसी फिल्में बनाई थीं. लेकिन उनकी ये फिल्म वो कारनामा कर दिखाने में नाकामयाब नजर आई.
कैसा रहा अमन-राशा का एक्टिंग डेब्यू?
अजय देवगन के भांजे अमन इस फिल्म में अपने किरदार को सही ढंग से निभाने में कुछ हद तक कामयाब हो पाए. उनकी कोशिश स्क्रीन पर साफ दिखी कि उन्होंने अपने किरदार के लिए काफी मेहनत की थी. उन्होंने जरूरत के हिसाब से अच्छे एक्सप्रेशन दिए. लेकिन कहीं ना कहीं वो डायलॉग डिलीवरी में चूकते नजर आए. वहीं एक्ट्रेस रवीना टंडन की बेटी राशा थडानी ने कुछ हद तक निराश किया. उनका रोल फिल्म में उतना नहीं दिखा जितने की उम्मीद लगाई जा रही थी मगर उनकी एक्टिंग थोड़ी फीकी सी लगी. पर जिस तरह का परफॉर्मेंस उन्होंने अपने गाने 'ऊई अम्मा' में दिया है वो तारीफ के काबिल जरूर है.
अजय देवगन ने इस फिल्म में एक तरह का एक्सटेंडिड कैमियो किया है. वो जब भी स्क्रीन पर सामने आए हैं, ऑडियंस को अपना मुरीद बनाने में कामयाब हुए हैं. अजय ने अपने भांजे को फिल्म में अच्छी तरह सपोर्ट किया है. उनका किरदार फिल्म के अंत तक काफी असरदार रहा. वहीं बात करें एक्ट्रेस डायना पेंटी और एक्टर पीयूष मिश्रा की तो उन्हें जितने भी सीन्स मिले थे उसमें उन्होंने अपने किरदार को अच्छे से निभाया है. इस फिल्म से टीवी एक्टर मोहित मलिक ने भी अपना डेब्यू किया है. फिल्म में वो एक विलेन का किरदार निभा रहे हैं. उनकी एक्टिंग अपनी पहली ही फिल्म में शानदार नजर आई. वो अपने किरदार को असरदार बनाने में कामयाब हुए.
क्या है फिल्म में अच्छा, क्या है बुरा?
फिल्म की अच्छाई है इसमें दिखाया गया घोड़ा जिसने अपना काम एकदम सही तरीके से किया. वो फिल्म में आपको अपनी मासूमियत और खूबसूरती से लुभाने में कामयाब होगा. जिस तरह घोड़े की वफादारी और बहादुरी फिल्म में दिखाई गई है वो आपके लिए अच्छा काम कर सकती है. बाकी अगर बात की जाए फिल्म की खराबी की, तो ये फिल्म अपने स्क्रीनप्ले को मजेदार और ऑडियंस को सीट से बांधे रखने में चूक गई है.
फिल्म में कुछ सीन्स को छोड़ दिया जाए, तो बाकी सबकुछ उतना खास और शानदार नहीं है जिससे आपका ये फिल्म देखने में इंट्रेस्ट बन सके. फिल्म के गाने भी उतने खास नहीं हैं. अजय देवगन ने कोशिश की इस फिल्म को अपने किरदार से बचाने की, लेकिन उतना भी काफी नहीं रहा. कुल मिलाकर देखा जाए, तो ये फिल्म आपको शायद उतनी पसंद नहीं आएगी जितना आप उम्मीद करेंगे.
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