Bachchhan Paandey Review: बच्चन पांडे कहते हैं 'भौकाल के लिए भय चाहिए'. अब बच्चन पांडे जिसे एक्शन कॉमेडी बताया गया है, वो क्या बच्चन पांडे की बात को साबित करेगा या फिल्म के जॉनर को. अब दोनों एक साथ तो नहीं मिलेंगे ना, या तो भय मिलेगा या फिर एक्शन-कॉमेडी लेकिन कुछ तो पीछे छूटेगा ही. होली के मौके पर एंटरटेनमेंट पैकेज रिलीज करने का दावा करने वाली फिल्म क्या वाकई एंटरटेनिंग है या फिर ये खोखले दावे हैं, पढ़ें हमारा रिव्यू.
क्या है कहानी?
कहानी यूं तो गैंगस्टर बच्चन पांडे यानि अक्षय कुमार की है पर उसे सामने लाने की जिम्मेदारी उठाई है मायरा ने यानि कृति सेनन ने. बच्चन पांडे की कहानी को पर्दे पर उतारने के लिए मायरा को जरूरत पड़ती है अपने दोस्त विशु यानि अरशद वारसी की.
बच्चन पांडे एक गैंगस्टर है जिससे दूसरे गुंडे भी डरते हैं. वह लोगों को बस इसलिए मारता है क्योंकि उसे मजा आता है. एक पत्रकार को उसने बस इसलिए जला दिया क्योंकि उसने अपने लेख में बच्चन पांडे की तस्वीर के बजाय उनका कार्टून बना दिया था. बच्चन पांडे सामने वाले पर गोली चलाने से पहले एक सेकेंड के लिए भी नहीं सोचता है. वह जानवर टाइप खूंखार है. ऐसे गैंगस्टर पर बायोपिक बनाना चाहती है मायरा. जानें फिल्म की पूरी कहानी.
मायरा डायरेक्शन के क्षेत्र में नाम बनाना चाहती है, जिसके लिए वो बच्चन पांडे की बायोपिक बनाना का फैसला करती है. वो बच्चन पांडे के शहर या कहें सेमी-अर्बन लोकेशन 'बघवा' नाम की जगह जाती है. विशु के साथ मिलकर कई पैंतरे आजमाने के बाद बच्चन पांडे को अपनी फिल्म के लिए मना लेती है. पांडे मान जाते हैं और फिर मायरा की स्क्रिप्ट पूरी हो जाती है. लेकिन मायरा ने अभी जो स्क्रिप्ट तैयार की है, उसमें तो बच्चन पांडे का गैंगस्टर वाला पहलू ही है. बच्चन पांडे का एक और पहलू भी है जो कि इंटरवल के बाद पता चलता है.
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बच्चन पांडे को कभी सोफी नाम की लड़की जिसे जैकलीन फर्नांडिस ने निभाया है, उससे मोहब्बत थी. पर कुछ ऐसा होता है कि बच्चन पांडे के हाथों सोफी का खून हो जाता है और फिर मायरा उस कहानी का सच जानने के लिए उत्सुक हो जाती है. वो अपनी आधी अधूरी स्क्रिप्ट को बच्चन पांडे के दूसरे पहलू से पूरा करती है. अब उसकी फिल्म में हीरो कौन बनेगा, तो बच्चन पांडे आगे आकर खुद को उस रोल के लिए चुनते हैं. बच्चन पांडे का मानना है कि उसके भौकाल को फिल्म में देखकर लोग उनसे डरेंगे. लेकिन मायरा ने जो फिल्म तैयार की है, क्या उससे बच्चन पांडे की दहशत बनी रहेगी या फिर सब कायापलट हो जाएगा? बच्चन पांडे जिस लड़की से प्यार करते थे, उसे आखिर क्यों मारा था? बच्चन पांडे की एक आंख कैसे फूटी? इन सब सवालों के जवाब के लिए फिल्म देखनी पड़ेगी.
कृति का काम बढ़िया, अरशद और अक्षय कैसे रहे?
फिल्म में कृति सेनन अच्छी लगीं. उन्होंने हर इमोशन के हिसाब से खुद को और अपने एक्सप्रेशन को ढाला है. तो उनके अभिनय से कोई शिकायत नहीं. अरशद वारसी ने बच्चन पांडे में अपने स्पेस का अच्छा इस्तेमाल करने की कोशिश तो की है, पर उतने कामयाब नजर नहीं आए. उन्होंने अपने सपोर्टिंग एक्टर वाले करियर में एक और फिल्म बच्चन पांडे जोड़ ली है. जैकलीन फर्नांडिस पर बात ना ही करें तो अच्छा है. उनका किरदार और उनकी एक्टिंग शायद ही फिल्म देखने के बाद याद रहेगी. अक्षय कुमार की एक्टिंग उनकी बाकी फिल्मों की तरह ही बच्चन पांडे में भी सेम नजर आई है. अगर कुछ बदला है तो वो है उनका लुक, गैंगस्टर के माफिक एक सफेद गोटी वाली आंख, दाढ़ी-मूंछ, कभी ना हंसने वाला चेहरा और किसी पर ना तरस खाने वाला दिल. हालांकि अक्षय ने अपने रोल के मुताबिक ठीक ठाक काम किया है. सपोर्टिंग रोल में नजर आए पंकज त्रिपाठी मजेदार हैं. कम स्क्रीन स्पेस के बावजूद उन्हें देखकर थोड़ी तो हंसी आ ही आती है. फिल्म में सीमा बिस्वास ने बच्चन पांडे की मां का रोल किया है. पर सीमा जैसी बेहतरीन एक्ट्रेस को साइलेंट रोल दिया गया, वो काफी खलता है.
किसके लिए है ये फिल्म?
डायरेक्शन पर बात करने से पहले बता दें कि बच्चन पांडे 2014 में रिलीज तमिल मूवी जिगरथंडा का रीमेक है. यह हिट मूवी थी. वहीं बच्चन पांडे का निर्देशन डायरेक्टर फरहाद सामजी ने किया है. फरहाद वही डायरेक्टर हैं जिन्होंने हाउसफुल 3 और 4, बू सबकी फटेगी जैसी फिल्में बनाई है. समझ ही गए होंगे कि बच्चन पांडे से उम्मीद ना करना ही बेहतर था. वही हाल बच्चन पांडे का है. अगर आपको मसाला एंटरटेनर पसंद है तो आप बेझिझक फिल्म देख आइए, पर इससे ज्यादा कुछ और की आशा ना रखें. फिल्म बुराई पर अच्छाई की जीत दिखाने की कोशिश में है, पर सही स्टोरीलाइन ना होना, निराश करती है.
ओवरऑल
सिर्फ बड़े स्टार्स के प्रेजेंस से फिल्में हिट होती तो अमिताभ बच्चन, अजय देवगन की फिल्में क्यों पिटती. बच्चन पांडे में भी अक्षय, कृति, अरशद और जैकलीन हैं. पर कहानी को सही तरीके से पेश करना सबसे अहम है. अगर एक बार फिल्म में कलाकारों की एक्टिंग को नजरअंदाज कर भी दें, तो बच्चन पांडे को 2 से ज्यादा रेटिंग ना दे पाएंगे. हां अगर आप अक्षय कुमार के फैन हैं तो देख आइए फिल्म. पर एक बार सोच जरूर लें.