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Bhuj The Pride Of India Review: अजय देवगन ने फौजियों के साथ बनाई गोलमाल, देखकर नहीं होगा प्राइड

भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया को लेकर जितनी भी उम्मीदें थीं उन सभी को यह फिल्म अपनी शुरुआत के 20 मिनट में ही पानी में बहा देती है. फिल्म में ढेरों खामियां हैं, जो इसे देखना आपके लिए हर मिनट के साथ मुश्किल करती है. कहानी के बारे में बात करें तो भुज की शुरुआत में दिए डिस्क्लेमर में साफ कर दिया गया है कि यह फिल्म काल्पनिक है और इसका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं है. आगे क्या है इस फिल्म में जानें हमारे रिव्यू में.

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फिल्म भुज में अजय देवगन
फिल्म भुज में अजय देवगन
फिल्म:Bhuj: The Pride of India
0.5/5
  • कलाकार : Ajay Devgn, Sanjay Dutt, Sharad Kelkar, Sonakshi Sinha, Nora Fatehi, Ammy Virk
  • निर्देशक :Abhishek Dudhaiya

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बॉलीवुड हर साल एक से बढ़कर एक फिल्म रिलीज करता है, जिनका इंतजार दर्शकों को बेसब्री से होता है. इस साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर दो फिल्में रिलीज हुई हैं. एक है शेरशाह और दूसरी भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया. शेरशाह का रिव्यू हम आपको पहले ही दे चुके हैं और भुज के बारे में क्या कहा जाए, यह सोचने के लिए मुझे अपने दिमाग पर बहुत जोर डालना पड़ रहा है. तकरीबन दो घंटे की इस फिल्म को देखने के बाद मुझे लग रहा है कि मेरे साथ बहुत बड़ा मजाक हुआ है. सच कहूं तो यह फिल्म ही किसी मजाक से कम नहीं है. 

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ध्यान दें: यह रिव्यू फिल्म भुज के स्पॉइलर्स से भरा हुआ है. अगर आप फिल्म के स्पोइलर नहीं चाहते हैं तो आगे ना पढ़ें. 

भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया को लेकर जितनी भी उम्मीदें थीं उन सभी को यह फिल्म अपनी शुरुआत के 20 मिनट में ही पानी में बहा देती है. फिल्म में ढेरों खामियां हैं, जो इसे देखना आपके लिए हर मिनट के साथ मुश्किल करती है. कहानी के बारे में बात करें तो भुज की शुरुआत में दिए डिस्क्लेमर में साफ कर दिया गया है कि यह फिल्म काल्पनिक है और इसका सच्चाई से कोई वास्ता नहीं है. 

क्या है फिल्म की कहानी?

फिल्म की कहानी शुरू होती है 1971 के इंडो-पाक वॉर के समय में अजय देवगन के नरेशन से, जो बताते हैं कि ईस्ट पाकिस्तान और वेस्ट पाकिस्तान अलग हो गए हैं और पाकिस्तानी सेना, बंगाली मुसलमानों पर जुल्म कर रही हैं. पाकिस्तानी राष्ट्रपति याह्या खान, भारत के भुज एयरबेस पर कब्जा करने और ईस्ट पाकिस्तान को हथियाने का प्लान बनाते हैं और भुज एयरबेस पर हमला करने के लिए अपने फाइटर जेट्स भेजते हैं. इस हमले में भुज एयरबेस को बड़ा नुकसान पहुंचा है, जिससे जल्द से जल्द उबरना बेहद जरूरी है, क्योंकि पाकिस्तानी सेना कब्जा करने के लिए निकल चुकी है. 

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ये है फिल्म के किरदार

अजय देवगन इस फिल्म में एयर फाॅर्स के स्कवॉड्रन लीडर विजय कार्णिक के किरदार में है, जिनपर हमले में नष्ट हुई एयरस्ट्रिप को ठीक करवाने और पाकिस्तानी सेना को रोकने की जिम्मेदारी है. इस मिशन में उनके साथ मिलिट्री अफसर आर के नायर (शरद केलकर), रणछोड़दास पग्गी (संजय दत्त), फ्लाइट लेफ्टिनेंट विक्रम सिंह बाज (एमी विर्क) संग अन्य हैं. वहीं नोरा फतेही भारतीय जासूस है, जो पाकिस्तानी कमांडर के घर में होनी वाली मीटिंग्स के बारे में भारत की इंटेलिजेंस एजेंसी को खबरें देती हैं. 

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देशभक्ति वाली फिल्म के नाम पर मजाक

फिल्म भुज की शुरुआत भारतीय एयरबेस पर पाकिस्तानी वायु सेना के जबरदस्त हमले से होती है. यह हमला फिल्म में तकरीबन आधा घंटा चलता है. इसमें जवान शहीद हो रहे हैं, फ्लाइट लेफ्टिनेंट विक्रम किसी तरह अपना जेट लेकर लड़ाई के लिए टेक ऑफ कर चुके हैं और जमीन पर बचे हुए जवान अपनी जान बचाने और एयरबेस को बचाने में लगे हैं. वहीं हमारे लीडर विजय इस त्राहिमाम में जीप लेकर कहीं निकले जा रहे हैं. विजय के पास ब्लास्ट होता है और गिरकर घायल हो जाते हैं. इस फिल्म के अगले आधे घंटे में अजय देवगन कई और बड़े ब्लास्ट का सामना करते हैं और उनका बाल भी बांका नहीं होता. एक सीन में तो वह खुद ही अपने साथियों को कहते हैं कि यह टाइम बॉम्ब इतना ताकतवर है कि सीमेंट की 10 फुट की दीवार के पीछे भी छुप जाओ तो भी इससे बचना मुश्किल है और अगले सीन में वह खुद 50 टाइम बॉम्ब को एक साथ ब्लास्ट कर एवेंजर्स के टोनी स्टार्क की तरह आराम से चलकर आ रहे होते हैं. 

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जब किसी फिल्म की शुरुआत ऐसी हो तो देखने वाले को समझ आ ही जाता है कि आगे उसे कुछ खास मिलने वाला नहीं है. यही मेरे साथ भी हुआ. नोरा फतेही ऐसी स्पाई बनी हैं जो मोर्स कोड करने के बजाए सीक्रेट जानकारी को सुनकर कागज पर उतारती हैं और फिर बॉल बनाकर उसे घर के बाहर फेंकती हैं. एमी विर्क एक कार्गो प्लेन में 450 जवान लेकर जाते हैं और प्लेन का अगला पहिया डैमेज होने पर ट्रक के सहारे प्लेन लैंड करते हैं. सोनाक्षी सिन्हा ने गांव में तेंदुआ मारकर इतना बड़ा कारनामा कर दिखाया है कि एयर फाॅर्स के लीडर विजय कार्णिक (अजय देवगन) खुद उन्हें सम्मान मिलता देखने अपनी पत्नी को साथ लेकर आए हैं. सोनाक्षी के पास मदद के लिए गए अजय देवगन कविता सुनाकर गांववालों को अपनी मदद के लिए मंजूर करते हैं. अकेले एक मिर्ची पाउडर की थाल लेकर पाकिस्तान के 10 जासूसों से अकेले भिड़ जाते हैं. संजय दत्त उड़कर दुश्मन के टैंक पर जा रहे हैं. और भी ऐसी बहुत सी बातें हैं, जो इस फिल्म को वॉर ड्रामा नहीं बल्कि कॉमेडी बनाती हैं. 

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फिल्म भुज है कॉमेडी

हां, सही में फिल्म में ऐसे सीन्स हैं, जिन्हें देखकर आपकी हंसी नहीं रुकेगी. अगर मुझे कोई पहले कहता कि फिल्म भुज एक कॉमेडी है तो मैं ये नहीं मानती, लेकिन अब जब मैंने यह फिल्म देख ली है तो सच्चाई मेरी आंखों के सामने हैं. परफॉरमेंस के बारे में ज्यादा बात नहीं की जा सकती. बस इतना जान लीजिए कि शरद केलकर का काम अच्छा है. एक एक्टर जिसे इस फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू करने का मौका मिला है वह हैं प्रणिता सुभाष. मुझे यह बात बिल्कुल समझ नहीं आई कि आखिर प्रणिता ने भुज को अपना डेब्यू क्यों चुना? क्योंकि इस फिल्म में उनके गिने-चुने सीन्स तो हैं ही, साथ ही पूरी फिल्म में उनका एक भी डायलॉग नहीं है. यहां तक कि प्रणिता जिस गाने में हैं, उसमें भी लिप सिंक तक नहीं कर रहीं. उनका फिल्म में होना या ना होना एक समान है. बॉलीवुड में डेब्यू के हिसाब से इससे बुरा शायद ही कुछ और होगा. 

फौजियों की गोलमाल 

डायरेक्टर अभिषेक दुधैया की यह पहली फिल्म है और इसे देखकर यह बात साफ भी होती है. फिल्म का एक भी गाना अच्छा नहीं है और ना ही सही समय पर कोई गाना आता है. जल्दबाजी के समय में सोनाक्षी सिन्हा को गाने की क्यों सूझ रही थी, मेरे समझ में तो नहीं आया. इस काल्पनिक फिल्म की कहानी और उसका एक्सेक्यूशन और बहुत बेहतर हो सकता था, लेकिन अभिषेक का बनाया फाइनल कट किसी लो बजट फिल्म जैसा था, जिसमें आप अजय देवगन और संजय दत्त जैसे बड़े स्टार्स के होने की उम्मीद नहीं करते. अजय देवगन को गोलमाल फ्रैंचाइजी के लिए जाना जाता है और ये फिल्म फौजियों को लेकर गोलमाल बनाने जैसी है. स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रिलीज होने वाली यह सबसे बेकार फिल्मों में से एक है. अब इस फिल्म को देखना है या नहीं, इस बात का निर्णय आप खुद कर लीजिए. 

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