'लड़के रोते नहीं हैं', ये बात हम सभी ने किसी न किसी को कहीं न कहीं बोलते सुनी है. आमतौर पर ये बात लड़कों से कही जाती है लेकिन पूजा भट्ट के शो में ये लड़कियों से कहा जा रहा है. फिर भी शो का नाम है 'बिग गर्ल्स डोन्ट क्राइ'. ये शो बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने वाली 7 लड़कियों के बारे में है, जो अपने फाइनल ईयर की पढ़ाई करने के साथ-साथ अपनी जिंदगी में भी चुनौतियों, प्यार, दोस्ती और काफी कुछ का सामना कर रही हैं. कैसी है ये सीरीज आइए आपको बताते हैं.
'बिग गर्ल्स डोन्ट क्राइ' की शुरुआत काव्या यादव (विदूषी) के किरदार की एंट्री से होती है. छोटे शहर से आई काव्या एक स्कॉलरशिप स्टूडेंट है, जो पॉपुलर बच्चों के साथ दोस्ती करके उनके जैसा बनना चाहती है. कहानी में काव्या की ही तरह 6 और लड़कियां हैं, जो अपनी जिंदगी में अलग चीजों का सामना कर रही हैं.
यहां नूर हसन (अफराह सईद) है, जो स्कूल कैप्टन बनना चाहती है. रूही (अनीत पड्डा) और जयश्री छेत्री (Tenzin Lhakyila), जो बेस्ट फ्रेंड्स हैं और अपने-अपने परिवारों की वजह से मुश्किलों का सामना कर रही हैं. अनंदिता उर्फ प्लगी (दलाई) जो वर्जिन होते हुए भी सेक्स स्टोरीज लोगों को सुनाती है. लियाह जोसेफ उर्फ लूडो (अवंतिका वंदनपु), जो स्पोर्ट्स कैप्टन बनना चाहती है. साथ ही अपनी सेक्सुअलिटी को छुपाने में स्ट्रगल कर रही है. और दीया मलिक (अक्षिता सूद), जो क्रांतिकारी है. और इन सभी को संभालने का काम कर रही हैं पूजा भट्ट, जो वंदना वैली गर्ल्स स्कूल की प्रिंसिपल हैं.
परफॉरमेंस
7 एपिसोड की इस सीरीज में आपको पूजा भट्ट और कुछ जाने-पहचाने एक्टर्स के अलावा हर तरफ नए चेहरे नजर आएंगे. लड़कियों को काफी कॉम्प्लेक्स रोल दिए गए हैं, जिन्हें आसानी से वो निभाती हैं. कई के चेहरे के एक्सप्रेसन उनके अंदर की बात आपको समझाते हैं, तो कुछ आंखों-आंखों में कहानी बयां कर जाती हैं. नित्या मेहरा का बनाया ये शो स्कूल में पढ़ रहीं इन सभी की एक दूसरे से काफी अच्छे से जुड़ी हुई हैं. सभी यंग एक्ट्रेसेज कैमरा पर अच्छी केमिस्ट्री शेयर करती हैं. इनमें से कोई किरदार बुरा नहीं है. ये अच्छी और बुरी लड़कियों के बीच झड़प की कहानी नहीं है. पूजा भट्ट, सख्त प्रिंसिपल के रोल में काफी बढ़िया हैं. मुकुल चड्ढा, राइमा सेन और जोया हुसैन जैसे एक्टर्स सपोर्टिंग रोल्स में अच्छे हैं.
क्या है दिक्कत?
लेकिन फिर भी ये सीरीज उतनी कमाल नहीं जितनी बाहर से महसूस होती है. सीरीज की कहानी में बहुत कुछ हो रहा है. हर बच्चे की जिंदगी का एक गोल है, लेकिन फिर वो किसी और चीज से भी जूझ रही है. फिर वो लाइफ भी एक्सप्लोर कर रही है. बड़े-बड़े मोमेंट्स काफी खाली महसूस होते हैं. एक-एक किरदार कई अलग-अलग चीजों में फंसा हुआ है और आप उसे फॉलो करते-करते थक जाते हैं. जैसे दीया मलिक के किरदार को देखा जाए तो वो क्रांतिकारी है, पर फिर उसके रिश्ते टीचर्स से खराब हैं, उसके रिश्ते स्टूडेंट्स से भी खराब हैं. सीरीज की कहानी देखने में आपको मजा कम आता है और कन्फ्यूजन ज्यादा होती है.
सीरीज की लिखाई काफी कमजोर है. मेकर्स नहीं समझ पाए कि उन्हें आखिर किस दिशा में इसको लेकर जाना है. ऐसे में ये बहुत होचपोच भरा लगता है. अमित त्रिवेदी का म्यूजिक अच्छा है. बहुत-सी जगह म्यूजिक ही सीन्स को आपके पास बेहतर तरीके से पहुंचाता है. ये सीरीज आपको कुछ ड्रेस सर्व नहीं करती है. इसए देखते हुए आपको महसूस होता है कि ये सब आप पहले देख चुके हैं. ये भी इसकी सबसे बड़ी कमियों में से एक हैं. अच्छी परफॉरमेंस के लिए आप चाहें तो इसे देख सकते हैं.