अभी-अभी मुझसे पूछा गया है कि 'क्रेजी' मूवी में ऐसा क्या है जो हर कोई इसके बारे में बात कर रहा है? क्यों लोग इसे देखने के लिए उतावले हैं? मेरा जवाब था- क्योंकि इसमें सोहम शाह है. और क्योंकि मैंने मूवी देख ली है तो मैं दावा कर सकती हूं कि मेरी बात 100 टका सही है.
'तुम्बाड़' से कमाल करने वाले सोहम शाह वापस लौट आए हैं. उनकी फिल्म 'क्रेजी' सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. इस फिल्म का ट्रेलर अगर आपने देखा हो तो वो काफी दिलचस्प था. आपके पास कुछ किरदार थे, जिनकी बातों से सेंस बना पाना थोड़ा मुश्किल था. असल में फिल्म की कहानी एक खराब बाप अभिमन्यु सूद (सोहम शाह) पर आधारित है. अभिमन्यु अपने अस्पताल के बेस्ट डॉक्टर्स में से एक है. अपनी ड्रग्स की लत और लापरवाही के चलते अभिमन्यु एक बड़ी मुश्किल में फंसा हुआ है, जिसके लिए उसे 5 करोड़ रुपये चुकाने होंगे.
अभिमन्यु ये 5 करोड़ रुपये लेकर अपनी रेंज रोवर में बैठता है और अपनी मंजिल के लिए रवाना होता है. वो नहीं जानता कि ये दिन उसकी जिंदगी का सबसे दर्दनाक दिन होने वाला है, जो उसके धैर्य के साथ-साथ कई पैमानों पर उसका इम्तिहान लेगा. रास्तेभर में अभिमन्यु को अपने गुस्सैल बॉस के साथ-साथ एक्स वाइफ, उसकी जान यानी गर्लफ्रेंड और एक किडनैपर के कॉल आते हैं. किडनैपर का कहना है कि उसने अभिमन्यु की 16 साल की बेटी को अगवा कर लिया है, उसे आजाद करवाने के लिए 5 करोड़ रुपये लगेंगे.
अभिमन्यु का अपनी बेटी से कोई रिश्ता नहीं है. बेटी को डाउन सिंड्रोम होने की वजह से वो उसे पैदा होने से पहले ही नकार चुका था. बेटी से प्यार करने के बजाए वो उससे नफरत करता है, उसे स्लो और बेकार मानता है. उसे तो ये भी नहीं पता कि उसकी बच्ची कितनी बड़ी हो गई है. लेकिन जब उसे किडनैप होने के बाद बच्ची का हाल दिखता है तो वो सोच में पड़ जाता है कि क्या किया जाए. अब अभिमन्यु एक ऐसे चक्रव्यूह में फंस गया है, जहां से निकलना उसके लिए बेहद मुश्किल है. अंत में अभिमन्यु का क्या होगा, ये आपको फिल्म देखकर ही पता चलेगा.
आपके सब्र का इम्तिहान लेती है फिल्म
'क्रेजी' एक वन मैन शो है. इस फिल्म में आवाजों, तस्वीरों और वीडियो के जरिए कई जाने-माने चेहरे आपको देखने और सुनने मिलेंगे, लेकिन पूरी पिक्चर में एक्टिव सिर्फ सोहम शाह हैं. अपने महंगी गाड़ी में नोटों से भरा बैग लिए निकले अभिमन्यु के रूप में सोहम आपको एक जर्नी पर लेकर जाते हैं, जिससे पीछे मुड़ना आपके लिए मुश्किल है. 93 मिनट की इस फिल्म में आप पूरा वक्त अपनी सीट से जुड़े रहते हैं और अपनी आंखों के सामने अभिमन्यु को सफर करते देखते हैं. हिंदी का सफर भी और इंग्लिश का 'सफर' भी.
ये फिल्म आपके सब्र का इम्तिहान लेती है. आपको इरिटेट करती है. आपको ऐसी चीजें दिखाती है, जिनसे आप अपनी नजर फेर लेना चाहते हैं. लेकिन ये आपको बोर नहीं होने देती. अपनी सीट नहीं छोड़ने देती. डायरेक्टर गिरीश कोहली का स्क्रीनप्ले काफी बढ़िया है. हालांकि बहुत जगह पर वो आपको कुछ ऐसी चीजें भी दिखाते हैं, जिनपर विश्वास करना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन फिल्म में कुछ ऐसे पल भी है, जो आपको इम्प्रेस छोड़ते हैं. फिल्म की पेस को शुरू से लेकर आखिर तक बढ़िया रखा गया है और इसका बैकग्राउंड स्कोर और गाने इस मजे को और बढ़ाते हैं.
सोहम ने किया कमाल
अभिमन्यु सूद के रोल में सोहम शाह शुरू से लेकर अंत तक कमाल हैं. अपने किरदार पर उनकी पकड़ भी बढ़िया है. इस वन मैन शो में सोहम ने साबित कर दिया है कि क्या करने की काबिलियत रखते हैं. उन्हें स्क्रीन पर देखना मजेदार था. फिल्म की अपनी कमियां भी हैं, जो इसे देखते हुए आपको समझ आएंगी. लेकिन पिक्चर का एक्सपीरिएंस उससे खास अफेक्ट नहीं होता. आप चाहें तो इस थ्रिलर फिल्म को वीकेंड पर चांस दे सकते हैं.