हम सभी ने अपनी जिंदगी में एक ना एक सीरियल किलर की कहानी तो जरूर सुनी है. सीरियल किलर क्या होता है? एक खतरनाक साइकोपैथ, जो लोगों को टॉर्चर करने और उनकी हत्या करना पसंद करता है. अक्षय कुमार की नई फिल्म कठपुतली भी एक ऐसे ही साइकोपैथ सीरियल किलर की कहानी है.
क्या है फिल्म की कहानी?
फिल्म की शुरुआत हिमाचल प्रदेश के परवानो से होती है. जो जॉगिंग करते लोगों को एक टीनएज लड़की की लाश प्लास्टिक में लिपटी मिलती है. लड़के के चेहरे की हालत इतनी बुरी है कि देखते ही आपका दिल दहल जाए. इसके बाद हमारी मुलाकात होती है अर्जन सेठी (अक्षय कुमार) से जो डायरेक्टर बनने का ख्वाब देखता है.
अर्जन को क्राइम और सीरियल किलर्स की कहानियों में दिलचस्पी है. ऐसे में उसने पिछले सात सालों से रिसर्च कर एक मर्डर मिस्ट्री से जुड़ी कहानी तैयार की है. अर्जन चाहता है कि उसे कोई प्रोड्यूसर मिले, जो उसकी कहानी को पर्दे पर उतारने में उसकी मदद करे. लेकिन हालातों के आगे मजबूर अर्जन सेठी को अपने इस फिल्मी ख्वाब को पीछे छोड़ पुलिस की वर्दी पहननी पड़ती है.
अपने जीजा (चंद्रचूर सिंह) की सिफारिश से अर्जन को कसौली में सब इंस्पेक्टर की नौकरी मिल जाती है. इस दौरान यंग बच्चियों को कोई किडनैप कर टॉर्चर करने और मारने में लगा हुआ है. ऐसे में अर्जन सेठी अपने अंदर के शेरलॉक होम्स को जगाता है और अपनी सीनियर एसएचओ (सरगुन मेहता) से कहता है कि ये किसी सीरियल किलर का काम लगता है. जैसे-जैसे और लड़कियों की लाशें मिलती हैं, तो अर्जन खुद किलर की तलाश में जुट जाता है.
परफॉरमेंस
अक्षय कुमार लंबे इंतजार के बाद एक इंटेंस किरदार में नजर आए हैं. बेबी और हॉलिडे जैसी थ्रिलर फिल्मों में अक्षय ने पहले काम किया था, जिसे खूब पसंद किया गया था. यहां एक बार फिर अक्षय कुमार पुलिसवाले के किरदार में अच्छा काम करते दिखे हैं. हालांकि उनके कुछ पल फिल्म में मजाकिया भी थे, जो बहुत मजेदार नहीं थे.
सरगुन मेहता का बॉलीवुड डेब्यू अच्छा रहा. एसएचओ परमार के रोल में सरगुन ने कमाल का काम किया है. उनका रोल भले ही छोटा था, लेकिन उन्होंने इसमें बड़ी छाप छोड़ी है. रकुल प्रीत सिंह अपने रोल में सुंदर लगी हैं. वह अर्जन सेठी की लेडी लव दिव्या का किरदार निभा रही हैं. 'आर्या' के बाद एक्टर चंद्रचूर सिंह को कठपुतली में दोबारा देखा गया है. उन्होंने अपने किरदार को अच्छे से निभाया है. हर्षिता भट्ट और गुरप्रीत गुग्गी ने भी अच्छा काम किया है.
डायरेक्शन
डायरेक्टर रंजीत एम तिवारी की ये फिल्म सस्पेंस और थ्रिल से भरी हुई है. फिल्म की कहानी तो अच्छी है ही, साथ ही इसका बैकग्राउंड स्कोर भी बढ़िया है. 2018 में आई फिल्म रतसासन (Ratsasan) के बहुत से सीन्स से रंजीत प्रेरित नजर आए. लेकिन ओरिजिनल फिल्म की कमियों को भी उन्होंने अपनी फिल्म में दूर किया है.
ओरिजिनल फिल्म में एसएचओ के किरदार से बेहतर यहां सरगुन मेहता का किरदार है. फिल्म का पहला हाफ थोड़ा स्लो है, लेकिन सेकंड हाफ में असली एक्शन शुरू होता है, जो आपको अपने साथ बांधे रखता है. हालांकि फिल्म का क्लाइमेक्स थोड़ा और बेहतर हो सकता था. फिल्म में सीरियल किलर के किरदार को उतना खुलकर एक्सप्लोर नहीं किया गया, जितनी उम्मीद आप कर रहे थे.
सिनेमेटोग्राफर राजीव रवि ने बढ़िया काम किया है. इस फिल्म में कई ऐसे सीन्स हैं, जो आपको डरा सकते हैं. चंदन अरोड़ा ने एडिटिंग अच्छी की है. फिल्म में बैकग्राउंड स्कोर के अलावा कुछ गाने हैं, जो कुछ खास नहीं हैं. कुल-मिलाकर ये फिल्म अच्छी है.