
हम सभी बॉलीवुड की कई फिल्मों में एक्टर्स को क्रॉसड्रेस करते देख चुके हैं. गोविंदा, अमिताभ बच्चन और यहां तक कि सलमान खान तक ने अपनी किसी ना किसी फिल्म के लिए फीमेल के अवतार को धारण किया था. अब आयुष्मान खुराना अपनी फिल्म 'ड्रीम गर्ल 2' के साथ एक बार फिर पूजा बन लौट आए हैं. इस फिल्म से जितनी उम्मीद थी ये उससे थोड़ी कम ही है. कैसे? आइए बताएं.
क्या है ड्रीम गर्ल 2 की कहानी?
ड्रीम गर्ल 2 की शुरुआत करमवीर सिंह उर्फ करम (आयुष्मान खुराना) की जबरदस्त डांस परफॉरमेंस से होती है. करम और उसके पिता जगजीत सिंह (अन्नू कपूर) जगरतों में परफॉर्म करते हैं. इसके अलावा उनके पास कोई नौकरी नहीं है. ऊपर से जगजीत ने लाखों का कर्ज अलग-अलग लोगों से ले रखा है, जिसे चुकाने की हैसियत अब उनकी नहीं बची है. दूसरी तरफ करम, परी श्रीवास्तव (अनन्या पांडे) के प्यार में है और उससे शादी करना चाहता है. लेकिन परी के पिता जयपाल (मनोज जोशी) ने उसके आगे तीन बड़ी शर्तें रखी हैं. अपने प्यार को पाने और उसके पिता को पटाने के लिए करम, पूजा का रूप धारण कर लेता है.
पूजा बनने के बाद करम को अपने दोस्त स्माइली (मंजोत सिंह) की मदद से एक बार में नौकरी मिल जाती है. यहां के मालिक सोना भाई उर्फ साजन तिवारी (विजय राज) से उसकी दोस्ती होती है और फिर साजन, पूजा के प्यार में पड़ जाता है. वहीं दूसरी तरफ पूजा का पाला अबू सलीम (परेश रावल) से पड़ गया है, जो अपने बेटे शाहरुख (अभिषेक बनर्जी) का डिप्रेशन ठीक करने वाले को तलाश रहे हैं. अबू को अपने बेटे के लिए पूजा पसंद आ जाती है और वो दोनों का निकाह करवा देते हैं. अब पूजा बना करम इस बड़ी मुश्किल से कैसे निकलेगा और क्या-क्या दिक्कतें उसकी जिंदगी में आएंगी यही फिल्म में देखना है.
परफॉरमेंस
इस फिल्म के आयुष्मान खुराना ने काफी मेहनत की है और वो पर्दे पर नजर भी आती है. फिल्म 'ड्रीम गर्ल' में उन्होंने लड़की की आवाज निकालकर सभी को चौंका दिया था, तो वहीं 'ड्रीम गर्ल 2' में उनकी अदाएं भी देखने लायक हैं. पूजा के अवतार में आयुष्मान काफी कमाल लगे हैं. उनके बात करने के तरीके से लेकर चलना और डांस करने तक सबकुछ काफी बढ़िया है. उन्होंने एक लड़की की अदाओं को मानो घोलकर पी लिया हो. हालांकि कुछ एक जगह वो असहज भी नजर आ ही जाते हैं.
आयुष्मान की हीरोइन बनीं अनन्या पांडे ने भी अपने किरदार को अच्छे से निभा लिया है. करम के पिता जगजीत के रोल में अन्नू कपूर ने भी ठीक काम किया है. कई जगह वो ओवरएक्टिंग करते भी दिखे. मंजोत सिंह का काम स्माइली के रोल में अच्छा है. उन्हें पर्दे पर देखकर आपको हंसी आती है. विजय राज, परेश रावल, राजपाल यादव, असरानी, सीमा पाहवा कुछ ऐसे एक्टर्स हैं, जिन्हें कोई भी रोल दे दिया जाए, वो उसमें कमाल ही करते हैं. इस फिल्म में भी उन्होंने यही किया है. एक्टर अभिषेक बनर्जी और राजन राज का रोल बहुत बड़ा नहीं था, जितना उन्हें दिया गया वो अच्छे से निभा गए.
डायरेक्शन
डायरेक्टर राज शांडिल्य ने पिछली बार की तरह इस बार भी अफरा-तफरी का माहौल बनाया है. हालांकि इस बार भी वो पूजा के मसलों का सुलझाने में खास कामयाब नहीं हुए हैं. राज ने नरेश कथुरिया के साथ मिलकर फिल्म की कहानी को लिखा है. इसे पर्दे पर पूरी तरह वो उतार नहीं आए. छोटे शहर के करम और उसके पिता के स्ट्रगल और करम और परी की प्रेम कहानी के साथ उन्होंने न्याय करने की कोशिश की. करम के पूजा बनने की मजबूरी को भी जस्टिफाई वो कर गए. लेकिन उनकी कहानी जगह-जगह पर ढगमगाती है.
बहुत-से पल ऐसे आते हैं जब आप ठहाके लगाकर हंसते हैं और कई पलों में आप बोर होते हैं. एक पल ऐसा भी आता है जब पूजा बनते बनते थक चुका करम अपने दोस्त स्माइली से कहता है कि लड़की बनना बहुत मुश्किल है और उससे भी मुश्किल लड़की होना है. आप सोचते हैं कि आयुष्मान यहां कोई मोनोलॉग देंगे, लेकिन ऐसा नहीं होता. ड्रीम गर्ल 2 के वन लाइनर जोक्स पर आपको खूब हंसी आती है. कई सीन काफी मजेदार हैं. लेकिन उन कुछ पार्ट्स के अलावा फिल्म में कुछ बहुत खास नहीं है. इसके अंत को लेकर अगर आपको कोई भी बड़ी उम्मीद है तो उन्हें अभी छोड़ दीजिए. बाकी अगर आपको बिना दिमाग लगाए अच्छा टाइम बिताने के लिए कुछ करना है तो आप इस फिल्म को चांस देने के बारे में सोच सकते हैं.