scorecardresearch
 

फिल्म रिव्यूः जानें कैसी फिल्म है 'टू स्टेट्स'

आलिया भट्ट अपनी हर फिल्म के साथ धमाका कर रही हैं और अर्जुन भी अपनी हर फिल्म के साथ निखरते जा रहे हैं. दोनों की टू स्टेट्स रिलीज हो गई है. आइए जानते हैं क्या इसमें खास...

Advertisement
X
फिल्म 'टू स्टेट्स' का पोस्टर
फिल्म 'टू स्टेट्स' का पोस्टर

स्टार 4
कलाकार आलिया भट्ट, अर्जुन कपूर, रोनित रॉय, अमृता सिंह और रेवती
डायरेक्टर अभिषेक वर्मन
आलिया भट्ट ने सोच रखा है कि वे स्टीरियोटाइप रोल नहीं करेंगी और अपनी हर फिल्म में कुछ नया करने की कोशिश करती रहेंगी. यही कोशिश उनकी फिल्म टू स्टेट्स में भी नजर आती है. आलिया की यूएसपी उनके चेहरे पर नजर आने वाली मासूमियत है. हर फिल्म के साथ उनके अंदर का कलाकार तो मैच्योर होता जा रहा है, और मासूमियत दर्शकों के दिलों को और करीब से छू रही है. फिल्म फैमिली एंटरटेनर है, और इस तरह की स्तरीय फिल्म काफी लंबे समय बाद बॉलीवुड से निकली है. पंजाबी और तमिल परिवार की यह नोंक-झोंक दिलों को छूती है, गुदगुदाती है और दोनों लीड ऐक्टरों के साथ ही दोनों ही परिवारों से दर्शकों को कनेक्ट करती है.

कहानी में कितना दम
कृष मल्होत्रा (अर्जुन कपूर) और अनन्या स्वामीनाथन (आलिया भट्ट) आइआइएम-अहमदाबाद में मिलते हैं. दोनों को कॉलेज वाला लव हो जाता है. जिसमें शरारतें और हर वह चीज है जो युवा दिलों को अपनी ओर खींचती है. इसमें दोनों के रोमांटिक सीन्स से लेकर सांग्स तक, काफी जमते हैं. लड़का पंजाबी है तो लड़की साउथ इंडियन. बस, किसी भी परंपरावादी भारतीय परिवार में बखेड़ा करने के लिए इतना मसाला काफी है. रिश्तों की खटास और अपने-अपने कल्चर को लेकर बातें काफी मजेदार हैं. इंटरकास्ट मैरिज करने वाले जोड़ों को यह फिल्म अपनी कहानी जैसी लग सकती है. चेतन भगत के टू स्टेट्स पर आधारित है और डायरेक्टर ने ट्रीटमेंट भी अच्छा किया है.

स्टार अपील
आलिया इतनी प्यारी लगी हैं कि उन्हें बार-बार देखने का मन करता है. उनकी मासूमियत और साउथ इंडियन लड़की का गैटअप क्लास है. आइआइएम-ए में उनकी प्रेम कहानी और अंदाज को देखकर संघर्ष की छोटी आलिया का चेहरा सामने घूम जाता है. बेशक कहा जा सकता है कि यह एक सुपरस्टार का आगाज है. अर्जुन भी कृष के रोल में अच्छे लगते हैं. ऐक्टिंग के मामले में वे हर फिल्म के साथ निखर रहे हैं. कमाल तो इन दोनों के परिवार हैं चाहे फिर वे रेवती हो या अमृता सिंह. ठेठ भारतीय मम्मियां.  

कमाई की बात
फिल्म बहुत ही शांत किस्म की है. कहानी बांधे रखती है. लेकिन अगर इसकी अवधि थोड़ी कम होती तो मजा आ जाता. फिल्म के पक्ष में यह बात जाती है कि इसका बजट कोई खास बड़ा नहीं है और पूरी तरह से यूथ ओरियंटेड है. युवाओं के अलावा मम्मी-पापा लोगों के लिए भी यह अच्छा मसाला है. खास तौर से वे लोग इससे ज्यादा कनेक्ट कर सकेंगे, जो इस तरह सिचुएशन से निकले हैं. फिल्म कनेक्ट करती है. एक बार जरूर देखने जाने लायक है.

Advertisement
Advertisement