रेटिंगः 2.5 स्टार
कलाकारः वरुण धवन, श्रद्धा कपूर और प्रभु देवा
डायरेक्टरः रेमो डीसूजा
मसाला फिल्म बनाना अलग बात है, और किसी एक ही आर्ट पर फोकस फिल्म बनाना अलग. विषय डांस हो और जमीन बॉलीवुड हो तो कदम और भी फूंक-फूंककर रखने चाहिए. जैसा 'एबीसीडी' (एनी बडी कैन डांस) के पहले पार्ट में रेमो डीसूजा ने किया था. लेकिन इस बार रेमो उसी सिंड्रोम का शिकार हो गए जिसका अधिकतर बॉलीवुड डायरेक्टर हो जाते हैं. चमक-धमक. सीक्वल हिट हो गया तो अगली फिल्म में बड़े सितारों का जलवा और मोटा बजट. यहीं आकर मामला उलझने लगता है, बड़े प्लेटफॉर्म के चक्कर में मजा किरकिरा होता नजर आता है और इस तरह लगभग ढाई घंटे की फिल्म किसी डांस रियलिटी शो के फिनाले जैसी लगने लगती है. जिसे देखकर लगता है कि पहली फिल्म दिल से बनाई थी तो वहीं 'एबीसीडी-2' बॉक्स ऑफिस के हाथों मजबूर होकर सफलता के लिए गढ़ी गई है.
कहानी में कितना दम
वरुण धवन और श्रद्धा कपूर एक डांस ग्रुप का हिस्सा हैं और वे एक मुकाबले में हिस्सा लेते हैं. मुकाबले के दौरान वे किसी और ग्रुप का एक्ट दिखा देते हैं. बदनामी का दाग लग जाता है. समाज जीना मुहाल कर देता है. फिर वरुण लॉस वेगास के हिप हॉप मुकाबले में हाथ आजमाने का फैसला लेता है. प्रभु देवा आते हैं. फिर लॉस वेगास का सफर. रेमो कहानी के जरिये बांधकर रखने में चूक जाते हैं, और ऐसा लगता भी है कि एक कोरियोग्राफर होने के नाते वे जल्द से जल्द डांस पर पहुंचना चाहते हैं. फिल्म की लेंथ भी ज्यादा है, और यही बात तंग करने लगती है. एबीसीडी बॉलीवुड में डांस जॉनर को मेन स्ट्रीम में लाने की काबिलेतारीफ कोशिश थी, वहीं यह फिल्म सिर्फ उसका विस्तार जैसी ही नजर आती है. जो कनेक्ट नहीं कर पाती है. फिल्म डायरेक्टरों को यह बात समझनी चाहिए कि अगर फिल्म दो घंटे से ज्यादा हो तो उसकी कहानी दमदार होनी चाहिए नहीं तो ऑडियंस को इतना समय मिल जाता है कि वह फिल्म में कहानी ढूंढने लगता है.
स्टार अपील
वरुण धवन का डांस अच्छा है. सुरेश के रोल के लिए ठीक पसंद थे. लेकिन एक्टिंग के मोर्चे पर अब भी वे डायलॉग डिलीवरी में चूक जाते हैं. बेशक सिक्स पैक ऐब्स अच्छे हैं, डांस अच्छा है, अब वरुण को थोड़ा एक्टिंग पर जाना चाहिए. श्रद्धा कपूर अच्छी लगती हैं, लेकिन वह एक्टिंग को थोड़ा निखारें तो कमाल कर सकती हैं. उन्होंने डांस की अच्छी कोशिश की है, लेकिन प्रोफेशनल डांसर्स उनके इर्द-गिर्द होते हैं, इसलिए वे थोड़ी फीकी पड़ जाती हैं. प्रभु देवा तो अच्छे हैं ही. वे मजेदार लगते हैं. बाकी विष्णु सर के बारे में कहने से ज्यादा देखना ही ठीक है. राघव जुआल, धर्मेश, लॉरेन गॉटलिब और पुनीत टीवी के जरिये काफी पहचान बना चुके हैं. लेकिन इनसे एक्टिंग मत कराइए.
कमाई की बात
फिल्मी दुनिया का यह ऊसूल है कि एक ही फिल्म के साथ डायरेक्टर और एक्टर के तेवर बदल जाते हैं. एबीसीडी जहां रेमो की डांस फिल्म की पहली कोशिश थी, वहीं एबीसीडी-2 तक वे बतौर डायरेक्टर एक बड़ा नाम बन चुके थे. इस तरह उन्हें नामी स्टार्स की जरूरत थी. फिल्म को किसी बहाने से विदेश भी ले जाना था, तो उसे लॉस वेगास ले गए. फिर थ्रीडी फैक्टर तो शुरू से ही है. इस तरह एबीसीडी जहां लगभग 12-15 करोड़ रु. में बन गई थी वहीं एबीसीडी-2 का बजट तकरीबन 60 करोड़ रु. बताया जा रहा है. इस तरह उन्होंने कमजोर कहानी पर बड़ा दांव खेला है. डांस प्रेमियों को इसमें मजा आ सकता है लेकिन कहानी प्रेमी तो निराश ही होंगे.